मुजफ्फरपुर: मुहर्रम की आठवीं तारीख इमाम हुसैन के सेनापति हजरत अब्बास के नाम समर्पित रहा. लोगों ने उनकी शहादत को याद कर मातम मनाया. शहर के एक सौ से अधिक घरों व इमामबाड़े में लोग हजरत अब्बास की चर्चा करते व जार-जार रोते. मजलिसों में विशेष रूप से हजरत अब्बास को समर्पित नोहा भी पढ़ा गया. अब्बास कटे हाथों का एजाज तो दिखा दो, दिन मेरे पलट दो मेरी तकदीर बना दो नोहा सुन कर लोगों ने मातम किया.
रात में ब्रrापुरा स्थित दरबारे हुसैनी से जुलूस फातहे फुरात निकाला गया. जिसमें करीब एक सौ से अधिक लोग शरीक हुए. यह जुलूस विभिन्न मार्गो से गुजरते ब्रह्नापुरा स्थित मीर हसन वक्फ स्टेट पहुंचा. इसके अलावा कमरा मुहल्ला स्थित शिया इमामबाड़ा व ब्रह्नापुरा स्थित मीर हसन वक्फ स्टेट में भी मजलिस का आयोजन किया गया.
ब्रह्नापुरा स्थित इमामबाड़े में बयान फरमाते हुए सैयद एहतेशाम हुसैन ने कहा कि हजरत अब्बास इमाम हुसैन के सेनापति थे. उन्होंने अपने छोटे से दल को मजबूती के साथ खड़ा किया था. यजीद के सामने वे झुके नहीं, बल्कि तीन दिनों तक भूखे प्यासे रहकर अपनी शहादत दी. मौलाना ने कहा कि करबला के मैदान में औरतें व बच्चे हजरत अब्बास के अलम के नीचे आकर दुआएं मांगती हैं.
जब प्यास से बच्चे बिलबिलाते हैं तो हजरत अब्बास चमड़े की मस्क लेकर नहरे फरात पर पानी लेने जाते हैं. वे खाली हाथ होते हैं. वे खुद पानी नहीं पीते, उनका घोड़ा भी पानी नहीं पीता. वे बच्चों के लिए नहरे फरात से पानी लेने लगते हैं. तभी 80 हजार यजीदी एक साथ तीरों से आक्रमण कर देती है. हजरत अब्बास का दोनों हाथ कट जाता है. चमड़े की मस्क भी तीर से वेध दिया जाता है. उधर, कमरा मोहल्ला स्थित इमामबाड़ा में इरान से आये मौलाना तनवीर अब्बास मोनफ्फी ने बयान फरमाया. उन्होंने भी हजरत अब्बास के वसूलों की चर्चा की.