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जन्म लेते ही लावारिस हो गयी बिटिया

मुजफ्फरपुर : जिस कोख ने उसे ठुकराया था, उसका तो पता नहीं, लेकिन जिन्होंने उसे जिंदा रखने की कोशिश की, वे बेहद खुश हैं. महज चंद घंटों में न जाने तीन दिन की मासूम ने कौन से जादू कर दिया कि उसे बचाने के लिए शहीद खुदीराम बोस स्मारक चिता भूमि बचाओ अभियान समिति के […]

मुजफ्फरपुर : जिस कोख ने उसे ठुकराया था, उसका तो पता नहीं, लेकिन जिन्होंने उसे जिंदा रखने की कोशिश की, वे बेहद खुश हैं. महज चंद घंटों में न जाने तीन दिन की मासूम ने कौन से जादू कर दिया कि उसे बचाने के लिए शहीद खुदीराम बोस स्मारक चिता भूमि बचाओ अभियान समिति के साकेत ने हर वो कोशिश की, जो उनके बस में थी.

मासूम की जान तो बच गयी, लेकिन इस घटना ने समाज के समक्ष कई सवाल छोड़ दिये. बेहद शर्मनाक घटना है मुजफ्फरपुर के लिए. माली घाट नाका के पास स्थित मंदिर के चबूतरे पर मंगलवार की शाम तीन दिन की मासूम बच्ची मिली. साकेत के मोबाइल फोन पर करीब पांच बजे फोन आता है. रीसिव करने पर उधर से आवाज आयी कि एक मासूम मंदिर के फर्श पर लेटी हुई रो रही है. फोन पर इतना सुनते ही साकेत उसे लाने के लिए चल पड़े. पुलिस की देखरेख में उसकी नाजुक स्थिति को देखते हुए जिला अस्पताल ले गये. डाॅ उसे एसकेएमसीएच रेफर कर देते हैं. इस बीच मेडिकल में डॉक्टरों ने उसका इलाज किया और बताया कि बच्ची को अब ममता के छांव की जरूरत है.

सीमा ने दिखाई दरियादिली

मालीघाट की ही रहने वाली ममता ने पांच दिन पहले ही एक बिटिया को जन्म दिया है. घर में बेटी की किलकारी गूंजी, तो घर वाले खुशी से झूम उठे. लेकिन कहीं से ममता को पता चला कि एक और बेटी जिदंगी और मौत से जद्दोजहद कर रही है, उसे जरूरत है उस दूध की, जो सिर्फ वह दे सकती है. उन्होंने उस मासूम बिटिया को दूध देकर मानवता व ममता की अद्भुत मिसाल दी.

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