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जैविक खाद के नाम पर घटिया सामान की आपूर्ति
मुजफ्फरपुर: रासायनिक उर्वरकों के दुष्प्रभाव को कम करने के लिए सरकार जैविक खाद के प्रयोग को बढ़ावा दे रही है. किसानों को जैविक खाद रास भी आ रही है. वो बड़े पैमाने पर इसका प्रयोग करने लगे हैं, लेकिन जैविक खाद के नाम पर चीज किसानों को दी गयी है. वो घटिया निकली है. इसका […]
मुजफ्फरपुर: रासायनिक उर्वरकों के दुष्प्रभाव को कम करने के लिए सरकार जैविक खाद के प्रयोग को बढ़ावा दे रही है. किसानों को जैविक खाद रास भी आ रही है. वो बड़े पैमाने पर इसका प्रयोग करने लगे हैं, लेकिन जैविक खाद के नाम पर चीज किसानों को दी गयी है. वो घटिया निकली है. इसका खुलासा सैंपल जांच के दौरान हुआ है. इसमें पाया गया है कि किसानों को जैविक खाद बनाने का जो सामान दिया गया, उसमें 59 फीसदी घटिया था. इनमें फॉस्फोरस सोलिबलाइंिजग बैक्टीरिया (पीएसबी) , एजेटोबैक्टर, राइजोबियम कल्चर, ब्लू ग्रीन एलगी, वैम शामिल है. इसके नाम पर करोड़ों रुपये की हेराफेरी हुई है. सूबे में 263 सैंपल लिये गये थे. इनमें 48 सैंपल रद्द हो गये. 213 नमूनों की जांच हुई. इनमें से 125 सैंपल नॉन स्टैंडर्ड मिले हैं.
इतना ही सैंपल लेने में अधिकारियों लापरवाही की है. 830 सैंपल सूबे के सभी जिलों से लेने का लक्षय़ था. इनमें से 263 सैंपल ही लिये गये हैं, लक्ष्य का केवल 32 फीसदी ही हैं यानी 68 फीसदी कम सैंपल लिये गये. इनकी जांच संयुक्त निदेशक(रसायन) की ओर से की गयी. इसमें 125 सैंपल फेल हो गये. यानी जो सैंपल लिये गये, उनमें आधे से ज्यादा घटिया थे. इसकी रिपोर्ट कृषि विभाग के अधिकारियों को भेज दी गयी है.
लैब की रिपोर्ट में इतने अधिक सैंपल नॉन स्टैंडर्ड आने से किसान खुद को ठगा महसूस कर रहे हैं. इनका कहना है कि इस मामले की जवाबदेही तय होनी चाहिये. घटिया सामान आपूर्ति करने वाले सप्लायर पर कार्रवाई होनी चाहिये. मुरौल के अवध बिहारी ठाकुर बताते हैं कि किसानों के बीच घटिया सामान बांट कर पैसा वसूलने का काम करने वाला बड़ा रैकेट काम कर रहा है. सरकार को इसका खुलासा करना चाहिए.
बंदरा के किसान सतीश कुमार द्विवेदी बताते हैं कि कृषि विभाग उत्पादन बढ़ाने के बजाय घटाने में लगा है. सही जैव उर्वरक पर कमीशन कम है. इसलिए घटिया सामान बांटने का खेल हो रहा है. किसानों का श्रम और संसाधन दोनों नष्ट हो रहा है. उत्पादन घट रहा है. विभाग ऐसे लोगों पर जवाबदेही तय कर कार्रवाई करे.
किसानों का आरोप है कि अधिकारी दुकानदारों के बताये हुए सामान से ही सैंपल लेते हैं. अगर किसानों के यहां पहुंचे सामान का सैंपल लिया जाये, तो नॉन स्टैंडर्ड सामान का प्रतिशत और बढ़ जायेगा. क्योंकि जांच के लिए कुछ और सामान होते हैं किसानों को देने के लिए कुछ और सामान होते हैं.
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