मुजफ्फरपुर: जीवन में सफलता के लिए ‘समय प्रबंधन’ अहम है. कहा जाता है, समय का पाबंद व्यक्ति कभी असफल नहीं होता. पर बिहार विवि प्रशासन इन दिनों एक ऐसा फैसला लेने जा रहा है जो न सिर्फ इस मान्यता को झुठला देगी, बल्कि एक नयी परिभाषा भी गढ़ेगी.
लेट-लतीफ होना, यानी सफलता की गारंटी! कम-से-कम 2009 से 2011 तक प्री-पीएचडी टेस्ट पास कर करीब 400 शोधार्थियों पर यह बिल्कुल सटीक बैठेगी.
उनकी लेट-लतीफी निकट भविष्य में उनके लिए लेक्चरर बनने का द्वार खोल सकती है. वहीं इस अवधि में पीआरटी पास कर शोध पूरा कर पीएचडी की डिग्री हासिल कर चुके करीब इतने ही छात्रों को इसके लिए नेट या स्लेट पास करना मजबूरी होगी.