सरैया: भटौलिया गांव में संतरे की खेती कर एमबीआरआई के संस्थापक अविनाश कुमार ने एक उपलब्धि हासिल की है. लीची के लिये प्रसिद्ध और उपयुक्त मिट्टी में संतरे की खेती कर उन्होने एक तरह से नयी क्रांति की शुरुआत की है. इससे अब यहां के किसानों के लिये भी नया रास्ता बना है. भविष्य में यहां किसानों के लिये यह वरदान साबित हो सकता है.
अविनाश ने बताया कि नागपुर और मुजफ्फरपुर के तापमान में कोई अंतर नहीं है. इसे देखते हुये तीन साल पहले नागपुर से वे संतरे का पौधा लाये और अपनी पॉली हाउस में उसे लगाया.
इस वर्ष जनवरी में उन पौधों में फूल आये. फिर फल आया आैर अब संतरे पक गये हैं. ये फल सिफ रंग व आकार में ही नहीं, बल्कि स्वाद में भी वहां के संतरे के समान हैं. अविनाश ने बताया कि राष्ट्रीय संतरा अनुसंधान केंद्र नागपुर के निदेशक को पत्र लिख कर उन्होंने यहां की गयी खेती से अवगत कराया है. किसानों ने भी संतरे की खेती में रूची दिखाई है. राजेंद्र कृषि विश्वविद्यालय पूसा के पूर्व कुलपति डा गोपालजी त्रिवेदी ने कहा कि बिहार में संतरे की सफल खेती काफी परिवर्तनकारी साबित होगी.