मुजफ्फरपुर : नगर थाना के अंबेदकर नगर निवासी रामसखी देवी को अपना हक मांगने पर उसके बड़े पुत्र ने घर से निकाल कर उसके कमरे में ताला लगा दिया. रामसखी ने एसएसपी रंजीत कुमार मिश्रा के जनता दरबार का रुख किया. एसएसपी के आदेश पर नगर पुलिस की पहल पर चार दिनों बाद रामसखी अपने घर में प्रवेश करने में सफल हो गयी.
रामसखी देवी नगर थाना के अंबेदकर नगर में रहती हैं. उसके पति चुल्हाई राम पलंबर का काम करते थे. रामसखी को तीन पुत्र सूरज राम, रामईश्वर राम व रामश्रेष्ठ राम व दो पुत्री हैं. सूरज पिता चुल्हाई के साथ ही पलंबर का काम करता था. रामईश्वर राम रिक्शा चलाता है और सबसे छोटा रामश्रेष्ठ दिल्ली में काम करता है. चुल्हाई राम की मृत्यु चार वर्ष पहले हो गयी थी. सूरज ने उनके सारे औजार रख लिये. रामसखी का आरोप है कि सूरज ने अपने पिता की मृत्यु के बाद से ही उसे खाना-कपड़ा देना बंद कर दिया. हक मांगने पर उसको मारता-पीटता है.
चार दिन पहले पीट कर घर से निकाला
रामसखी अपने छोटे पुत्र रामश्रेष्ठ व बेटी सुनैना से मिलने दिल्ली गयी थी. वहां से चार दिन पहले जब वह अपने घर लौटी तो कमरे में ताला लगा देखा. पूछने पर पुत्र सूरज ने उसे वापस दिल्ली जाकर रहने का फरमान जारी कर दिया. तब रामसखी ने अंत में न्याय के लिए एसएसपी के जनता दरबार में अपना दुखड़ा सुनाया. एसएसपी ने नगर पुलिस को तलब किया. नगर थाना के दरोगा मो. सफीर आलम एसएसपी कार्यालय पहुंचे. एसएसपी ने रामसखी को उसके घर में प्रवेश कराने का निर्देश दिया. दारोगा मो. सफीर आलम पुलिस बल के साथ रामसखी के घर अंबेदकर नगर पहुंचे. रामसखी के घर में ताला लगा था. वहां के कई लोग उसके पुत्र सूरज के पक्ष में बातें करने लगे. स्थानीय लोगों ने रामसखी द्वारा गाली-गलौज करने की शिकायत जांच पदाधिकारी से की. रामसखी ने कहा कि सूरज ने मोहल्ले के लोगों को अपने पक्ष में कर उसे घर से निकालने की साजिश रची है. वहीं उसके पुत्र सूरज ने कहा कि वह अपनी मां रामसखी को खाना-कपड़ा व अन्य सुविधाएं देना चाहता है, लेकिन इनकार करती है.
उसने रामसखी पर छोटे पुत्र रामश्रेष्ट को मकान सौंपने का आरोप लगाया. उसने इसी कारण घर में ताला लगाने की बात स्वीकारी. अंत में पुलिस अधिकारी ने घर का ताला खुलवाकर उसे घर में प्रवेश कराया.
गहने-कपड़े बेचकर पेट की बुझायी आग
जांच के क्रम में ही रामसखी ने रोते हुए पुलिस अधिकारी को बताया कि कई माह से सूरज ने उसे खाना-कपड़ा देना बंद कर दिया है. वह अपना गहना व कपड़ा बेचकर किसी तरह से गुजारा कर रही है. वह अपने छोटे पुत्र व पुत्री सुनैना से खाने के लिए रुपये मांगने दिल्ली गयी थी.