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तब दुख के आंसू थे, आज खुशी के आंसू है : बेबी

तब दुख के आंसू थे, आज खुशी के आंसू है : बेबी -बोली, जनता के सिंबल पर लड़ी थी और जनता का स्नेह मिला -बोचहां में निर्दलीय चुनाव लड़कर दी मंत्री रमई राम को मात -केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान की प्रतिष्ठा भी थी दावं पर -दो बार लोजपा के टिकट पर नामांकन, तीसरी बार निर्दल […]

तब दुख के आंसू थे, आज खुशी के आंसू है : बेबी -बोली, जनता के सिंबल पर लड़ी थी और जनता का स्नेह मिला -बोचहां में निर्दलीय चुनाव लड़कर दी मंत्री रमई राम को मात -केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान की प्रतिष्ठा भी थी दावं पर -दो बार लोजपा के टिकट पर नामांकन, तीसरी बार निर्दल दावेदारी संवाददाता, मुजफ्फरपुर राजनीतिक खींचतान के चलते चुनावी समर के बीच में ही अचानक हाई प्रोफाइल बनी बोचहां सुरक्षित विधान सभा सीट पर राज्य के कद्दावर नेता व सरकार में मंत्री रमई राम तथा केंद्रीय मंत्री राम विलास पासवान के बीच से बड़े अंतर से जीत खींच लेने वाली बेबी कुमारी मतगणना स्थल पर दोपहर में पहुंची तो आंखें भरी हुई थीं. बोलीं, ये खुशी के आंसू हैं. बोचहां की जनता ने जो प्यार दिया है, उसी की नतीजा है कि जीत मिली. इससे पहले 14 अक्टूबर को निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में नामांकन करने पहुंची बेबी की आंखों में भी आंसू भर आए थे.बेबी ने कहा कि बोचहां की जनता ने राम विलास पासवान के परिवारवाद को जवाब दिया है. उनके साथ जो कुछ भी हुआ, उसका जनता ने बदला लिया है. बेबी ने कहा कि जनका के सिंबल पर चुनाव लड़ी थी, जनता ही उसके बारे में आगे भी फैसला करेगी. जब उनसे भाजपा या अन्य दलों को समर्थन की बात पूछी गई, तो उन्होंने सीधे जनता के निर्णय की बात कहकर मामले को टाल दिया. महज सात साल के राजनीतिक जीवन में बेबी ने काफी संघर्ष किया है. छठ पूजा के पारण के दिन ही राजनीति में उतरने का फैसला किया और क्षेत्र की जनता के बीच पहुंच गई. वर्ष 2010 का चुनाव कांग्रेस के टिकट पर लड़ी, लेकिन हार का सामना करना पड़ा. चुनाव बीतने के कुछ दिनों बाद वह भाजपा के साथ आ गई और क्षेत्र में अपनी सक्रियता बनाए रखी. पार्टी के सदस्यता अभियान में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया, जिसका नतीजा था कि पूरे राज्य में बोचहां दूसरे स्थान पर था. हालांकि एनडीए के घटक दलों में बोचहां की सीट लोजपा के खाते में गई, तो बेबी ही दावेदार बनी. नामांकन शुरू होने के बाद टिकट कटने की सुगबुगाहट शुरू हुई, जिसके बीच बेबी ने लोजपा के टिकट पर पहले नौ और फिर 12 नवंबर को नामांकन पत्र दाखिल कर दिया. हालांकि लोजपा से रामविलास पासवान के दामाद अनिल कुमार साधु का टिकट फाइनल होने के बाद 14 नवंबर को बेबी ने तीसरे बार निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में नामांकन पत्र दाखिल किया. इस पूरे घटनाक्रम को लेकर एनडीए के घटक दलों के साथ ही आम मतदाताओं के बीच भी आक्रोश की स्थिति थी.

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