हायर एजुकेशन के लिए बने अलग एग्जामिनेशन बोर्ड -बीआरए विवि के कुलपति ने तैयार किया मास्टर प्लान -हायर एजुकेशन एग्जामिनेशन बोर्ड के गठन का प्रस्ताव -परीक्षा का बोझ कम होने से विवि दे सकेंगे बेहतर रिजल्ट -मंजूरी के लिए राजभवन व राज्य सरकार को भेजा पत्र फोटो::: कुलपति पंडित पलांडे संवाददाता, मुजफ्फरपुर राज्य में हायर एजुकेशन को बेहतर बनाने तथा विश्वविद्यालयों को परीक्षा संस्थान बनने से बचाने के लिए बीआरए बिहार विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ पंडित पलांडे ने मास्टर प्लान तैयार किया है. उन्होंने उच्च शिक्षा की परीक्षा से विश्वविद्यालयों को मुक्त करते हुए हायर एजुकेशन एग्जामिनेशन बोर्ड (हीब) के गठन की पहल की है. प्रस्ताव बनाकर मंजूरी के लिए राजभवन व राज्य सरकार को पत्र भेजा है. डॉ पलांडे ने कहा कि इस सिस्टम को ग्रीन सिग्नल मिला तो उच्च शिक्षा में तकनीकी बदलाव करने के मामले में बिहार पहला राज्य होगा. विश्वविद्यालय स्थित अपने चेंबर में मंगलवार को डॉ पलांडे ने पत्रकारों से बातचीत में अपने प्लान पर चर्चा की. कहा कि मौजूदा हालात में विश्वविद्यालय परीक्षा में उलझकर रह गए हैं. इससे उच्च शिक्षा को काफी नुकसान हो रहा है. टीचिंग, रिसर्च व एक्सटेंशन के काम पूरी तरह प्रभावित हो रहे हैं. इसके लिए जरूरी है कि हायर एजुकेशन बोर्ड का गठन किया जाए. एसएसइ व एचएसइ के तहत विश्वविद्यालयों की परीक्षा के लिए बोर्ड गठित होने के बाद रिजल्ट की गुणवत्ता में भी सुधार होगी. वहीं विश्वविद्यालय की शैक्षिक गुणवत्ता व रिसर्च बेहतर तरीके से हो सकेंगे. डॉ पलांडे ने कहा कि अगर सरकार उनके प्लान को मंजूरी देती है तो वे राज्य स्तर पर इसे लागू करने के लिए खुद प्रोजेक्ट बनाने को तैयार है. साथ ही इसे इम्प्लीमेंट भी कराएंगे. सभी विवि में होगा एक समान सिलेबस डॉ पलांडे ने कहा कि नई व्यवस्था में जब हायर एजुकेशन एग्जामिनेशन बोर्ड का गठन होगा तो सभी विश्वविद्यालयों में एक समान पाठ्यक्रम होगा. यूजीसी के आधार पर लोकल इनपुट देकर पाठ्यक्रम तैयार किया जाएगा. इसे राजभवन फाइनल करेगा और सभी विश्वविद्यालयों व कॉलेजों में लागू किया जाएगा. परीक्षा के बाद कॉलेज व यूनिवर्सिटी इंटरनल मार्क्स देंगे, जिसे जोड़कर ‘हीब’ रिजल्ट जारी करेगा. कॉपियों की जांच सिस्टम होगी इंप्रुव ‘हीब’ के गठन के बाद उत्तर पुस्तिकाओं की जांच का सिस्टम भी इंप्रुव होगा. डॉ पलांडे ने बताया कि राज्य स्तर पर मूल्यांकन होगा तो ‘हीब’ पूरे प्रदेश से चुनकर शिक्षकों को लेगी. ऐसे में मूल्यांकन निश्चित तौर पर बेहतर होगा. इसके साथ ही पूरा सिस्टम कंप्यूटराइज्ड होगा. मूल्यांकन की नई टेक्नोलॉजी अपनाने से आसानी से हो जाएगी. रिजल्ट व क्वालिटी बेहतर होगा. साथ ही पेंडिंग की समस्या भी कम हो जाएगी.लोड कम होगा तो देंगे रिसर्च पर ध्यान डॉ पलांडे ने कहा कि जब विश्वविद्यालयों को परीक्षा से मुक्ति मिलेगी तो रिसर्च, टीचिंग व एक्सटेंशन पर ध्यान दे सकेंगे. अभी रिसर्च की स्थिति संतोषजनक नहीं है. उन्होंने छात्रों की अधिक संख्या को इसकी वजह बताया. एक उदाहरण देते हुए कहा कि यूरोप की इंजीनियरिंग यूनिवर्सिटी में एक टीचर के अंडर में आठ स्टूडेंट्स ही रिसर्च करते हैं. ऐसे में उनकी गुणवत्ता ठीक होती है. हमारे यहां स्टूडेंट्स अधिक है. दिक्कतों का भी होगा समाधान कुलपति ने कहा कि नया सिस्टम लागू होने के बाद कुछ दिक्कतें भी आएंगी, जिसका समाधान संभव है. बताया कि कुछ छोटे विषयों की परीक्षा कराने में ‘हीब’ को दिक्कत आ सकती है. जैसे मैथिली विषय में कम छात्र होंगे तथा सभी विवि में यह विषय है भी नहीं. इसके लिए विश्वविद्यालयों को ऐसे छोटे विषयों की परीक्षा कराने की जिम्मेदारी दी जाएगी. वे परीक्षा कराकर रिजल्ट ‘हीब’ को भेज देंगे, जिसके बाद सर्टीफिकेट जारी किया जाएगा.
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हायर एजुकेशन के लिए बने अलग एग्जामिनेशन बोर्ड
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