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तुरकी को कौन बनायेगा सिकरिया
मीनापुर (मुजफ्फरपुर) : चुनावी शोर में आम आदमी के मुद्दों पर जाति-जमात की बात हावी हो गयी है. नेता भी ऐसी ही बातें सभाओं में करते हैं, लेकिन जमीनी हकीकत ये है कि लोग अपने इलाके की तस्वीर बदलते हुये देखना चाहते हैं. मुजफ्फरपुर के मीनापुर प्रखंड का तुरकी बाजार दो पाटों के बीच पिस […]
मीनापुर (मुजफ्फरपुर) : चुनावी शोर में आम आदमी के मुद्दों पर जाति-जमात की बात हावी हो गयी है. नेता भी ऐसी ही बातें सभाओं में करते हैं, लेकिन जमीनी हकीकत ये है कि लोग अपने इलाके की तस्वीर बदलते हुये देखना चाहते हैं.
मुजफ्फरपुर के मीनापुर प्रखंड का तुरकी बाजार दो पाटों के बीच पिस रहा है. यहां माओवादियों के साथ आजाद हिंद फौज का खौफ भी है, लेकिन सुविधा के नाम पर कुछ भी नहीं. खौफ के साये में यहां के लोग रह रहे हैं. शिवहर से सटे तुरकी में वादे के बाद भी पुलिस ओपी नहीं खुल पाया है. चुनाव आया, तो इसी के बहाने यहां के लोग अपना हक मांग रहे हैं.
उपेक्षा व पिछड़ेपन का शिकार तुरकी बाजार जहानाबाद के सिकरिया की तर्ज पर विकसित होना चाहता है. ये यहां के रहनेवालों का कहना है. माओवादियों के खौफ के बीच जिंदगी काट रहे यहां के लोग पश्चिमी व पूर्वी तुरकी पंचायतों में रहते हैं. यहां कई बड़ी माओवादी घटनाएं भी हो चुकी हैं.
तुरकी की पंचायत समिति सदस्य के पति रामानंद यादव बताते है कि दस साल पहले टंकी बनी, लेकिन पानी अभी तक नसीब नहीं हुआ. ऐसे ही सिंचाई के लिए बनी टंकी भी दिखावा भर है. उससे भी पानी की सप्लाई नहीं हो सकी. कहते हैं कि ट्रांसफार्मर जल जाने के कारण ऐसा हुआ. वहीं, यादव टोला में 80 ऐसे घर हैं, जहां बिजली का कनेक्शन नहीं है, लेकिन बिल आता है. अमर कुमार बताते है कि तुरकी बाजार में दशकों से बिजली नहीं पहुंच पायी है, जबकि यहां रोज 50 से 60 लाख का कारोबार होता है.
ग्रामीण महंथ युगल किशोर दास स्कूल का मुद्दा उठाते हैं. कहते हैं राजकीय उत्क्रमित मध्य विद्यालय तुरकी मठ हरिजन की छत दरक गयी है. बारिश के दिनों में स्कूल की जगह पंचायत भवन में क्लास ले जानी पड़ती है. उच्च विधालय में व्यवस्था के नाम पर कुछ भी नहीं है. अतिरिक्त स्वास्थ्य केंद्र तुरकी में चिकित्सक नहीं आते हैं. पूर्व जिला पार्षद प्रत्याशी गीता देवी बताती हैं कि यहां जल निकासी का कोई सुविधा नहीं है. मुख्य सड़क तक पर पानी लग जाता है.
बाजार में तीन सौ दुकानें
मीनापुर प्रखंड में आर्थिक रूप से समृद्ध तुरकी में करीब तीन सौ व्यवसायी है. यहां के व्यवसायी माओवादी व आजाद हिंद फौज के धमकी के बीच जी रहे हैं. माओवादी बंदी के दिनों यहां व्यवसाय ठप रहता है. यहां के व्यापारी 17 सितंबर 2006 को नहीं भूल पाते हैं, जब माओवादियों ने पूरे बाजार को घेर लिया था.
बड़े वाहन नहीं आते
तुरकी की दोनों पंचायतों में लगभग 21 हजार लोग रहते हैं. पश्चिमी तुरकी में 13 वार्ड हैं. पंचायतों को शहर से जोड़नेवाला हरका पुल जजर्र है. इससे बड़े वाहनों के आने-जाने पर रोक लगा दी गयी है. स्थानीय लोग कहते हैं कि राजनीतिक दलों को सिर्फ वोट से मतलब रहता है. समस्याओं से नहीं. तुरकी के सरपंच नंद किशोर चौधरी कहते हैं कि जब तक इस इलाके का विकास सिकरिया की तर्ज पर नहीं होगा, तब तक सूरत नहीं बदलेगी.
ऐसे बदला सिकरिया
लाल मिट्टी, लाल सलाम जहानाबाद के सिकरिया की पहचान थी. वहां एमसीसी व पीपुल्स वार ग्रुप का बोलबाला था. आम आदमी तो क्या, पुलिस भी जाने से घबराती थी. 1980 से लेकर 2002 के बीच कई बड़ी घटनाएं हुईं.
कई लोग मारे गये, लेकिन जब नीतीश कुमार मुख्यमंत्री बने, तो उन्होंने सिकरिया को मॉडल के रूप में विकसित किया. यहीं से सरकार आपके द्वार कार्यक्रम की शुरुआत की. अब सिकरिया से माओवाद का नामोनिशान मिट चुका है. युवाओं ने कलम व कंप्यूटर से दोस्ती कर ली है.
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