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तिरहुत नहर से सिंचाई नहीं, हो रहा मछलीपालन

तिरहुत नहर से सिंचाई नहीं, हो रहा मछलीपालन फोटो दीपक : पारू प्रखंड में नहर किनारे लगातार दिख रहा तालाबखेतों में पटवन के लिए जल संसाधन विभाग का दावा फेल छह अरब से अधिक खर्च कर भी सिंचाई खास नहीं खेतों में पानी पहुुंचाने की कोई इंतजाम नहीं किया विभाग का दावा लोग खुद कर […]

तिरहुत नहर से सिंचाई नहीं, हो रहा मछलीपालन फोटो दीपक : पारू प्रखंड में नहर किनारे लगातार दिख रहा तालाबखेतों में पटवन के लिए जल संसाधन विभाग का दावा फेल छह अरब से अधिक खर्च कर भी सिंचाई खास नहीं खेतों में पानी पहुुंचाने की कोई इंतजाम नहीं किया विभाग का दावा लोग खुद कर रहे नहर को बरबाद वरीय संवाददाता, मुजफ्फरपुरतिरहुत नहर इस प्रकार बनाया गया है कि किसानों के खेतों तक पानी नहीं पहुंच सकता है. किसानों के खेतों का पटवन नहीं हो रहा है. लेकिन, नहर किनारे के खेताें में मछलीपालन जरूर हो रहा है. नहर किनारे जमीन की मिट्टी काट कर नहर बना दिया गया. यह जमीन गहरी हो गई है. पोखर का आकार ले रखा है. इसमें लोग मछली पालन ही कर रहे हैं. नहर की व्यवस्था ऐसी है कि फसल में पटवन कर किसान पानी का पैसा नहीं बचा सकते हैं. जबकि सरकार नहर पर अरबों रुपये खर्च कर रही है. तिरहुत नहर पर करीब छह अरब रुपये खर्च कर सिंचाई लायक नहीं है. जल संसाधन विभाग चाहे जितना भी दावा कर ले लेकिन, नहर किनारे की जमीन दावा का पोल खोल रही है. पारू प्रखंड के गाढ़ा निवासी रामचंद्र सहनी बताते हैं कि यहां नहर की स्थिति ठीक है. पानी रहता है. लेकिन, खेतों तक पानी नहीं पहुंच पाता है. अपने टूट कर, नहर में रिसाव होकर पानी पट जाये तो बात अलग है. नहर से खेतों में पानी पहुंचाने की कोई व्यवस्था नहीं है. गाढ़ा बहराम के उपेंद्र यादव बताते हैं कि इस नहर के किनारे पारू प्रखंड में गाढ़ा, मझौलिया, मोहजम्मा, दाउदपुर, बहलाेलपुर, एकम्मा, मोहब्बतपुर, धरफरी, गोपालपुर, गरीबाा, सेमरा, दामोदरपुर समेत काफी संख्या में गांव बसे हैं. नहर के दोनों ओर खेती-बारी है. लेकिन, किसानों को इससे लाभ कहां हैं. पारू बाजार स्थित पानी टंकी के पास बसे गांव के विनोद कुमार महतो, महेश कुमार गुप्ता और विजय साह बताते हैं कि इस नहर से कोई फायदा नहीं है. विभाग के इंजीनियरों ने ऐसा इस्टीमेट बनाया कि खेतों तक पानी नहीं पहुंच रहा है. जल संसाधन विभाग के मुख्य अभियंता ओम प्रकाश अंबरकर ने बताया कि नहर दुरुस्त था. लोग नहर काट कर बरबाद कर देते हैं. खेतों तक पानी पहुंच जाता लेकिन, लोग खुद अपना नुकसान कर रहे हैं. पटवन का लक्ष्य भी कोई खास हासिल नहीं हो रहा है.

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