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कालरात्रि की पूजा के बाद खुला मां का पट

कालरात्रि की पूजा के बाद खुला मां का पटमां के दर्शन लिए सुबह से रात तक लगा भक्तों का तांताकई पूजन स्थलों पर सुबह से रात तक हुई मां की पूजाकुछ पूजन स्थलों पर आज सुबह खुलेगा मां का पट वरीय संवाददाता, मुजफ्फरपुर नवरात्र की सप्तमी शुरू होते ही सोमवार को मां की पूजा के […]

कालरात्रि की पूजा के बाद खुला मां का पटमां के दर्शन लिए सुबह से रात तक लगा भक्तों का तांताकई पूजन स्थलों पर सुबह से रात तक हुई मां की पूजाकुछ पूजन स्थलों पर आज सुबह खुलेगा मां का पट वरीय संवाददाता, मुजफ्फरपुर नवरात्र की सप्तमी शुरू होते ही सोमवार को मां की पूजा के बाद उनका पट खोल दिया गया. मां का पट खुलते ही दर्शन के लिए भक्त उमड़ पड़े. सुबह 10़ 30 के बाद से सप्तमी शुरू होते ही मां दुर्गा के सप्तम रूप की आराधना के साथ कालरात्रि पूजन, पत्रिका प्रवेश व मूर्ति पूजन किया गया. इसके बाद कई सार्वजिनक पूजन स्स्थलों पर मां का पट खोला गया. हालांकि कई पूजन स्थलों पर मंगलवार को सुबह सप्तमी तिथि पर ही सुबह 9़ 48 तक मां की पूजा कर पट खोला जायेगा. इसके बाद महाअष्टमी तिथि प्रारंभ हो जायेगी. जिन पूजन स्थलों पर मां का पट खोला गया, वहां भक्तों का तांता लगा रहा. तीन दिवसीस पूजन अनुष्ठान के साथ ही माता के दर्शन के लिए भक्तों की भीड़ बढ़ गयी. सुबह से शाम तक मां दुर्गा की आराधना हुई. इसके बाद मां बागलामुखी व दुर्गा स्स्थान मंदिर में दीप जलाने भक्तों का जत्त्था उमड़ा. मां दुर्गा की कालरात्रि रूप की हुई पूजामां दुर्गा का सातवां रूप कालरात्रि के नाम से जाना जाता है. दुर्गापूजा के सातवें दिन मां कालरात्रि के रूप की उपासना की गयी. माना जाता है कि इस पूजा से भक्तों के सारे पाप मिट जाते हैं. उसे अक्षय पुण्य-लोकों की प्राप्ति होती है. मां दुर्गा का सातवां रूप घने अंधकार की तरह एकदम काला है. सिर के बाल बिखरे हुए हैं. गले में विद्युत की तरह चमकने वाली माला है. इनके तीन नेत्र हैं. ये तीनों नेत्र ब्रह्मांड के सदृश गोल हैं. इनसे विद्युत के समान चमकीली किरणें नि:सृत होती रहती हैं. मां कालरात्रि का स्वरूप देखने में अत्यंत भयानक है, लेकिन ये सदैव शुभ फल ही देने वाली हैं. इसी कारण इनका एक नाम ‘शुभंकारी’ भी है. मां कालरात्रि दुष्टों का विनाश करने वाली हैं. दानव, दैत्य, राक्षस, भूत, प्रेत आदि इनके स्मरण मात्र से ही भयभीत होकर भाग जाते हैं. ये ग्रह-बाधाओं को भी दूर करने वाली हैं. ………………………………………………………………………………….इन पूजन स्थलों पर खुला मां दुर्गा का पटमहासप्तमी के मौके पर शहर के कई स्थानों पर आयोजित मां के पूजन स्थलों पर मां का पट खुला. पंडितों ने मां की पूजा के बाद भक्तों के दर्शन के लिए मां का पट खोल दिया. इसके बाद से मां के दर्शन के लिए भक्तों का तांता लगना शुरू हो गया. शहर के देवी मंदिर रोड व हरिसभा में लगे मेले में भी रौनक आनी शुरू हो गयी. मां के दर्शन के बाद भक्तों ने मेले का भी खूब लुत्फ उठाया. खिलौना के स्टॉल सहित खाने-पीने की दुकानों में लोगों की काफी भीड़ रही. शाम के बाद से मेले का रंग भी चढ़ने लगा. इसके अलावा अघोरिया बाजार, लेनिन चौक व धर्मशाला चौक भी भक्तों से गुलजार रहा.बनारस बैंक चौक पर मां के दर्शनबनारस बैंक चौक की पूजा में शाम चार बजे महासप्तमी की पूजा के बाद मां का पट खुला. यहां परंपरागत विधि से मां की पूजा की गयी. बनारस बैंक पूजा समिति के अध्यक्ष वीर ने कहा कि यहां अष्टमी पर डांडिया का आयोजन होगा व लोगों के बीच प्रसाद का वितरण किया जायेगा. यहां की पूजा में सभी धर्मों के लोग सहयोग कर रहे हैं. माड़ीपुर में खुला मां का नेत्रमाड़ीपुर स्थित अर्चना परिषद् की ओर से की जा रही पूजा में सप्तमी शुरू होते ही सुबह 10.30 बजे मां का नेत्र खोल दिया गया. इससे पहले मां के सप्तम रूप कालरात्रि की पूजा हुई. फिर मां का पत्रिका प्रवेश कराया गया. इस मौके पर समिति के सदस्यों के अलावा भक्तों की काफी भीड़ रही. अध्यक्ष कुंदन ने कहा कि हमलोग परंपरागत ढंग से पूजा कर रहे हैं. पंचांगों के अनुसार मां का पूजन किया जा रहा है.हरिसभा में सुबह से ही लगा भक्तों का तांताबंगाली समाज की ओर से हरिसभा स्कूल में की जाने वाली पूजा में मां का नेत्र सोमवार की रात्रि 1.30 बजे खोला गया. बोधन पूजा के बाद भक्तों ने मां की पूजा की. बंगला समाज के पूजनोत्सव विधि के तहत सोमवार को सुबह 8.35 से महाषष्ठी की पूजा की गयी. समिति के सचिव देवाशीष गुहा ने कहा कि बंगला समाज की ओर से परंपरागत ढंग से पूजा की जा रही है. महाअष्टमी के मौके पर महाआरती की जायेगी.कलमबाग चौक पर उमड़े भक्तकलमबाग चौक पर मां दुर्गा की महासप्तमी पूजा के बाद सुबह 10.40 में नेत्र खोला गया. यहां भी परपंरागत ढंग से मां की पूजा की गयी. सुबह की पूजा के समय भक्तों की काफी भीड़ रही. शाम होेते ही यहां भक्तों का तांता लगा रहा. मां के दर्शन के साथ लोगों ने मां की पूजा अर्चना की. यह सिलसिला देर रात तक चला. यहां भी विभिन्न पंचागों को आधार मानते हुए परंपरागत ढंग से देवी की महासप्तमी पूजा की गयी.लकड़ीढाई में हुआ मां का दर्शनलकड़ीढाई में स्थापित मां की प्रतिमा के दर्शन भक्तों को दोपहर बाद हुए. यहां सुबह से विधि विधान से मां की पूजा होती रही. काल रात्रि प्रवेश पूजा के बाद दोपहर 2.45 में मां का पट खोला गया. समिति के अध्यक्ष लक्ष्मी राम ने कहा कि यहां मां की पूजा परंपरागत ढंग से वर्षों से होती आ रही है. मंगलवार को मां की महाअष्टमी पूजा होगी.महामाया स्थान पर रात्रि से जुटी भीड़जूरन छपरा स्थित महामाया स्थान मंदिर में रात्रि 8 बजे मां का पट खोला गया. इससे पहले आचार्य रंजीत नारायण तिवारी के नेतृत्व में पंडितों ने पूजा अर्चना की. मां के कालरात्रि रूप की पूजा के बाद मां का पत्रिका प्रवेश कराया गया. पूजन संपन्न होने के बाद विधि विधान से मां का पट खोला गया. यहां भी पट खुलते ही दर्शन के लिए भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ी.लेनिन चौक बंधा भक्ति का समालेनिन चौक पर आयोजित दुर्गा पूजा में मां की कालरात्रि पूजा के बाद शाम 6.30 बजे मां का पट खोला गया. यहां सुबह से शाम तक मां की पूजा होती रही. मां का पट खुलते ही आस पास के लोगों सहित अन्य लोगों की भीड़ जुट गयी. यहां भी विभिन्न पंचागों को आधार मानते हुए मां की पूजा की गयी. यहां मंगलवार को मां की महागौरी रूप की पूजा की जायेगी.अखाड़ाघाट में सुबह खुला मां का पटअखाड़ाघाट स्थित दो पूजन स्थलों पर सुबह 10.30 बजे मां का पट खोल दिया गया. इससे पहले पूरे विधि विधान से मां की पूजा की गयी. यहां भी मां का पट खुलते ही भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ी. रात होते ही यहां लोगों का तांता लग गया. रात्रि में यहां मां की आरती की गयी. यहां मंगलवार को महाअष्टमी की पूजा की जायेगी……………………………………………………………………………………………….आज होगी महाअष्टमी पूजा, उपवास कलमां दुर्गा की महाअष्टमी की पूजा आज की जायेगी. सुबह 9.49 से महाअष्टमी शुरू होने के बाद सार्वजनिक पूजन स्थलों व साधक मां के आठवें रूप महागौरी की उपासना करेंगे. लेकिन नवरात्र करने वाले भक्त महाअष्टमी का उपवास बुधवार को करेंगे. इस दिन सुबह 8.41 तक अष्टमी का योग होगा. उसके बाद नवमी की तिथि शुरू हो जायेगी. पंडितों की मान्यता के अनुसार जिस दिन महाअष्टमी व नवमी का संयोग हो, उसी दिन महाअष्टमी का उपवास करना चाहिए. इससे विशेष शुभ फल की प्राप्ति होती है. हालांकि महाअष्टमी पर मां के आठवें रूप महागौरी की आराधना की जायेगी. ऐसी मान्यता है कि महाअष्टमी की पूजा से भक्तों के सभी पाप धुल जाते हैं. पूर्व संचित पाप भी विनष्ट हो जाते हैं. व्यक्ति सभी प्रकार से पवित्र व अक्षय पुण्यों का अधिकारी हो जाता है. एक कथा अनुसार भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए देवी ने कठोर तपस्या की थी, जिससे इनका शरीर काला पड़ गया था. देवी की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान इन्हें स्वीकार करते हैं व शिवजी इनके शरीर को गंगा-जल से धोते हैं. इससे देवी विद्युत के समान अत्यंत कांतिमान गौर वर्ण की हो जाती हैं. इसकी वजह से इनका नाम गौरी महागौरी पड़ा. महागौरी की चार भुजाएं हैं. इनका वाहन वृषभ है. इनके ऊपर के दाहिने हाथ में अभय मुद्रा और नीचे वाले दाहिने हाथ में त्रिशूल है. अष्टमी के दिन महिलाएं अपने सुहाग के लिए देवी मां को चुनरी भेंट करती हैं…………………………………………………………………..ऐसे करें महाअष्टमी की पूजा महाअष्टमी के दिन मां के महागौरी रूप की पूजा की जाती है. इसके लिए विभिन्न मंत्रों का जाप करते हुए मां की पूजा करें. श्री जगदम्बे दुर्गा देव्यै नम: दुर्गादेवी-आवाहयामि – फूल, चावल चढ़ाएं, श्री जगदम्बे दुर्गा देव्यै नम: आसनार्थे पुष्पानी समर्पयामि – भगवती को आसन दें. श्री दुर्गादेव्यै नम: पाद्यम, अर्ध्य, आचमन, स्नानार्थ जलं समर्पयामि – आचमन ग्रहण करें. श्री दुर्गा देवी दुग्धं समर्पयामि – दूध चढ़ाएं. श्री दुर्गा देवी दही समर्पयामि – दही चढ़ाए. श्री दुर्गा देवी घृत समर्पयामि – घी चढ़ाएं. श्री दुर्गा देवी मधु समर्पयामि – शहद चढ़ाएं. श्री दुर्गा देवी शर्करा समर्पयामि – शक्कर चढ़ाएं. श्री दुर्गा देवी पंचामृत समर्पयामि – पंचामृत चढ़ाएं. श्री दुर्गा देवी गंधोदक समर्पयामि – गंध चढ़ाएं. श्री दुर्गा देवी शुद्धोदक स्नानम समर्पयामि – जल चढ़ाएं. आचमन के लिए जल लें. श्री दुर्गा देवी वस्त्रम समर्पयामि – वस्त्र, उपवस्त्र चढ़ाएं. श्री दुर्गा देवी सौभाग्य सूत्रम् समर्पयामि-सौभाग्य-सूत्र चढ़ाएं. श्री दुर्गा-देव्यै पुष्पमालाम समर्पयामि-फूल, फूलमाला, बिल्व पत्र, दुर्वा चढ़ाएं. श्री दुर्गा-देव्यै नैवेद्यम निवेदयामि-इसके बाद हाथ धोकर भगवती को भोग लगाएं. श्री दुर्गा देव्यै फलम समर्पयामि- फल चढ़ाएं. तांबुल (सुपारी, लौंग, इलायची) चढ़ाएं- श्री दुर्गा-देव्यै ताम्बूलं समर्पयामि. मां दुर्गा देवी की आरती करें. सर्वमंगल मंग्ल्ये, शिवे सर्वार्थ साधिके। शरण्ये र्त्यम्बके गौरि नारायणि नमोस्तुते मंत्र का पाठ करें.कन्याओं का करें पूजनमहाअष्टमी के दिन मां दुर्गा के कन्या रूप की पूजा की जाती है. आचार्य रत्नेश मिश्र कहते हैं कि शास्त्रों के अनुसार कन्या का पूजन मां का ही पूजन है. इसलिए इस दिन 9 या 11 कन्याओं को श्रद्धा व भक्ति भाव से अपने घर आमंत्रित करें. कन्याओं के साथ एक लड़के को भी आमंत्रित करें. आमंत्रित कन्याओं के पैर धोकर उन्हें आसन पर बैठाएं. उनके हाथों में मौली बांध कर माथे पर रोली का टीका लगाएं, चुन्नी अर्पित करें, उसके बाद सभी की आरती करें. भगवती दुर्गा को चना, हलवा, खीर पूड़ी, पूआ तथा फल आदि का भोग लगाएं. यही प्रसाद कन्याओं को अर्पित करें. इस प्रकार विधि विधान, श्रद्धापूर्ण व विश्वास के साथ पूजन करने से साधक को मनोवांछित फल प्राप्त होते हैं…………………………………………………………………………………………………राशि के अनुसार करें मां की आराधनामेष राशि वाले जातक मां मंगला देवी की आराधना करें व मंगला देवी नम: का जाप करें.वृषभ राशि वाले जातक मां कात्यायनी की आराधना करें व कात्यायनी नम: का जाप करें.मिथुन राशि वाले जातक मां दुर्गा की आराधना करें व दुर्गाये नम: का जाप करें.कर्क वाले जातक मां शिवाधात्री की आराधना करें व शिवाय नम: का जाप करेंसिंह राशि वाले जातक मां भद्रकाली की आराधना करें व कालरूपिन्ये नम: का जाप करेंकन्या राशि वाले जातक मां जयंती की आराधना करें व अम्बे नम: या जगदंबे नम: का जाप करें.तुला राशि वाले जातक मां के क्षमा रूप की आराधना करें व दुर्गादेव्यै नम: का जाप करें.वृश्चिक राशि वाले जातक मां अम्बे की आराधना करें व अम्बिके नम: का जाप करें.धनु राशि वाले जातक मां दुर्गा की आराधना करें व दूं दुर्गाये नम: का जाप करें.मकर राशि वाले जातक मां के शिक्त रूप की आराधना करें व दैत्य-मर्दिनी नम: का जाप करें.कुंभ राशि वाले जातक मां चामुण्डा की आराधना करें व चामुण्डायै नम: का जाप करें.मीन राशि वाले जातक मां तुलजा की आराधना करें व तुलजा देव्यै नम: का जाप करें.

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