बुजदिलों अगर बाजुओं में दम था तो कब्जा छीनतेचार मुहर्रम पर इमामबाड़ों में मजलिस का आयोजननोहाखानी पेश कर इमाम हुसैन की याद में मनाया गया मातमवरीय संवाददाता, मुजफ्फरपुरचार मुहर्रम को कई इमामबाड़ों में मजलिस का आयोजन किया गया. इस मौके पर शिया समुदाय के लोगों ने इमाम हुसैन की याद में मातम मनाया. हसन चक बंगरा स्थित दरबारे हाशमी मरकजी इमामबाड़ा में मौलाना नासिर हुसैन ने मजलिस को खिताब फरमाया. मुहर्रम का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि तीन मुहर्रम को करबला में यजीदी सेना का आना शुरू हो गया था. चार मुहर्रम को इमाम हुसैन ने अपने दोस्त हबीब मुजाहिद को करबला बुलाया. ये भी दस मुहर्रम को करबला में शहीद हो गये. चार मुहर्रम को उनकी शहादत को विशेष रूप से याद किया जाता है. इस मौके पर अब्बास यायावर ने मश्किजा भरा था उनसे दरिया छीन कर, बुजदिलों अगर बाजुओं में दम था तो कब्जा छीनते, मश्क व तीरों की बारिश कब था मरदाना जबाब, बात तो तब थी जब तुम मश्के सकीना छीनते सुना कर लोगों को गमजदा कर दिया. मजलिस में लोगों ने मातम कर इमाम हुसैन को याद कियावफा आलम व अली असगर का झूला बरामदअंजुमने तब्लीगे इमामे हुसैन की ओर से सिपाहपुर में मजलिस का आयोजन किया गया. मजलिस को बयान फरमाते हुए मौलाना अलमदार हुसैन इलाहाबादी ने कहा कि यजीद इस्लाम को मिटाना चाहता था, लेकिन इमाम हुसैन ने शहादत देकर इस्लाम को बचा लिया. इमाम हुसैन के रास्ते पर चल कर ही दुनिया से दहशत को मिटाया जा सकता है. जब तक दुनिया रहेगी, इमाम को याद किया जायेगा. इस मौके पर सरकारे वफा आलम व मौलाना अली असगर का झूला बरामद किया गया. मजलिस के बाद ब्रह्मपुरा के अंजुमने जाफरिया इरानी मातमी दस्ता व अंजुमने हाशमिया ने नोहा पेश कर समापन किया.
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बुजदिलों अगर बाजुओं में दम था तो कब्जा छीनते
बुजदिलों अगर बाजुओं में दम था तो कब्जा छीनतेचार मुहर्रम पर इमामबाड़ों में मजलिस का आयोजननोहाखानी पेश कर इमाम हुसैन की याद में मनाया गया मातमवरीय संवाददाता, मुजफ्फरपुरचार मुहर्रम को कई इमामबाड़ों में मजलिस का आयोजन किया गया. इस मौके पर शिया समुदाय के लोगों ने इमाम हुसैन की याद में मातम मनाया. हसन चक […]
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