बढ़ रही सियासी गलियारे में चाैकड़ी भरने की बेताबी -2010 के विधान सभा चुनाव में 11 सीटों पर थे 178 दावेदार -तब एक हजार वोट भी नहीं हासिल कर पाए थे 46 उम्मीदवार -2015 के चुनाव में अब तक 201 मैदान में, नाम वापसी बाकी धनंजय पांडेय, मुजफ्फरपुर एक तरफ बिहार की बदहाली के लिए लोग यहां के नेताओं को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं, तो दूसरी ओर सियासी गलियारे में चौकड़ी भरने की बेताबी भी बढ़ती जा रही है. वर्ष 2010 के विधान सभा चुनाव में जिले की सभी 11 सीटों पर 178 उम्मीदवार मैदान में थे, जबकि इस बार 204 लोगों ने नामांकन किया है. गुरुवार को स्क्रूटनी में तीन उम्मीदवारों का नामांकन परचा खारिज होने के बाद यह संख्या घटकर 204 हो गयी है. अभी नाम वापसी की प्रक्रिया बाकी है. हां एक बात और, पिछले चुनाव में जिले में एक चौथाई यानि 46 उम्मीदवार ऐसे थे जो एक हजार का आंकड़ा भी पार नहीं कर सके. चुनावी जंग में प्रमुख राजनीतिक दलों के साथ ही छोटी-छोटी पार्टियां भी लोगों की सियासी ललक को पूरा करने में मददगार हो रही है. हर कोई आसानी से ही किसी मुकाम पर पहुंचकर महत्वपूर्ण पद पाने को बेताब दिख रहा है. पिछले विधान सभा चुनाव पर नजर डालें तो विधान सभा तक पहुंचने की लालसा में महत्वपूर्ण दलों के प्रत्याशियों के साथ-साथ छोटे-छोटे दलों व निर्दलीय उम्मीदवारों के रूप में चुनाव लड़ने वालों की संख्या अच्छी-खासी थी. वर्ष 2010 के विधान सभा चुनाव में मुजफ्फरपुर के 11 विधान सभा क्षेत्रों में 178 लोग चुनाव मैदान में थे, जिसमें 46 उम्मीदवार एक हजार का अंक भी नहीं छू सके. इसमें गायघाट से 16, औराई से 16, मीनापुर से 14, बोचहां सुरक्षित से 14, सकरा सुरक्षित से 9, कुढ़नी से 21, मुजफ्फरपुर नगर से 19, कांटी से 24, बरुराज से 14, पारू से 16 व साहेबगंज से 15 उम्मीदवार चुनाव मैदान में थे. चुनाव के दौरान सभी उम्मीदवार अपनी-अपनी जीत के लिए जोर-आजमाइश किए. जमानत बचाना तो दूर, 46 ऐसे उम्मीदवार मैदान में थे जिन्हें एक हजार वोट भी नहीं मिला. सबसे अधिक उम्मीदवार कांटी विधान सभा क्षेत्र में लड़े लेकिन एक हजार वोट प्राप्त नहीं करने वालों में मुजफ्फरपुर शहर आगे रहा. यहां 19 में 13 उम्मीदवार एक हजार का अंक नहीं प्राप्त कर पाए. वहीं सकरा सुरक्षित विस क्षेत्र से सबसे कम नौ उम्मीदवार थे, लेकिन यहां मात्र एक ही उम्मीदवार ऐसा था जिसे एक हजार वोट प्राप्त नहीं हुआ. पिछले साल की तसवीर साफ होने के बावजूद इस बार भी लगभग सभी सीटों पर दावेदाराें की धक्का-मुक्की चल रही है. तमाम छोटी पार्टियों ने उनकी मंशा पूरी करने में मदद भी की है.
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बढ़ रही सियासी गलियारे में चौकड़ी भरने की बेताबी
बढ़ रही सियासी गलियारे में चाैकड़ी भरने की बेताबी -2010 के विधान सभा चुनाव में 11 सीटों पर थे 178 दावेदार -तब एक हजार वोट भी नहीं हासिल कर पाए थे 46 उम्मीदवार -2015 के चुनाव में अब तक 201 मैदान में, नाम वापसी बाकी धनंजय पांडेय, मुजफ्फरपुर एक तरफ बिहार की बदहाली के लिए […]
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