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भूल गये हाजीपुर-सुगौली रेल लाइन को

कुमार गौरव मुजफ्फरपुर : हाजीपुर-सुगौली रेल लाइन पर आज तक केवल राजनीति हुई है. नेताओं ने इसे अपना मुद्दा बनाकर लोगों से वोट लिया. किसी ने काम नहीं किया. यह रेल लाइन ऐसे लोगों का इंतजार कर रहा है जो इसे चालू करा दे. हकीकत है कि इस रेल लाइन को लोग भूलते जा रहे […]

कुमार गौरव
मुजफ्फरपुर : हाजीपुर-सुगौली रेल लाइन पर आज तक केवल राजनीति हुई है. नेताओं ने इसे अपना मुद्दा बनाकर लोगों से वोट लिया. किसी ने काम नहीं किया. यह रेल लाइन ऐसे लोगों का इंतजार कर रहा है जो इसे चालू करा दे. हकीकत है कि इस रेल लाइन को लोग भूलते जा रहे हैं. लोगों को याद नहीं कि यह रेल लाइन बनना कब से शुरू हुआ था? लोगों को याद है कि इस रेल लाइन का उद्घाटन पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने किया था.
जमीन ले लिया, मुआवजा का पता नहीं
हाजीपुर-सुगौली नयी रेल लाइन के निर्माण कार्य के लिए अधिग्रहित भूमि के मुआवजे का भुगतान नहीं होने से पूर्वी चंपारण, मुजफ्फरपुर व वैशाली के किसानों में आक्रोश हैं. सरकारी प्रावधानों के मुताबिक अधिग्रहित भूमि का मुआवजा सरकारी दर से चार गुणा ज्यादा मिलना है. इतना ही नहीं, भूस्वामी के एक परिजन को रेल विभाग में नौकरी देने का भी प्रावधान है.
रेल लाइन के लिए भरी मिट्टी भी बह गयी
इस रेल लाइन का शिलान्यास वर्ष 2004 में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने किया था. प्रारंभिक दौर में 325 करोड़ रुपये का प्राक्कलन बना था. हाजीपुर से सुगौली तक 80 किलोमीटर में जहां-तहां मिट्टी भराई हुई. अब तो पानी के प्रेशर से रेल लाइन की मिट्टी भी बह गयी है और जमीन सरपट हो रही है. लालगंज व वैशाली में स्टेशन बन कर तैयार है, लेकिन इस रेल लाइन में अभी कितना वक्त लगेगा, किसी को पता नहीं है.
रेल लाइन से बड़ी थी उम्मीदें, नेताओं ने तोड़ डाला
पारू प्रखंड के गाढ़ा गांव में इस रेल लाइन के किनारे टहल रहे रामचंद्र सहनी व उपेंद्र कुमार यादव बताते हैं कि यह रेल लाइन अगर चालू हो जाता तो इस क्षेत्र से बेकारी की समस्या दूर होती. यहां से लोग दूसरे स्थानों पर व्यवसाय करने जाते. यहां के कृषि उत्पादों की दूसरे जगहों पर बिक्री होती. लेकिन, नेता लोग इस प्रखंड का सपना ही तोड़ दिया. रेल लाइन निर्माण के नाम पर जमीन में मिट्टी भर कर हड़प ली. किसी ने इसके लिए कोई पहल नहीं की.
22 टोला के लोगों को नहीं मिल रहा पानी
विनोद कुमार महतो बताते हैं कि पारू प्रखंड कार्यालय के समीप वर्ष 1982 में पानी टंकी बनी थी. दो किलोमीटर रेडियस में इसका पाइप बिछा था. 22 टोला के लोगों पानी मिलता था. एक-दो वर्ष तक लोगों को पानी मिला. इसके बाद पानी टंकी से पानी निकलना बंद हो गया. आज पारू बाजार, बाबू टोला, घोरवा, महुवरिया, चौधरी टोला, मल्लाह टोली, पारू कसबा के लोगों को पानी नहीं मिल रहा है. पानी से करीब 60 हजार से अधिक लोग वंचित हो रहे हैं.
इंटरमीडिएट के बाद पढ़ने का उपाय नहीं
बाजार के एक दुकान में बैठे विजय साह बताते हैं कि इस प्रखंड में 10+2 तक विद्यालय है. इसके बाद इस प्रखंड में पठन-पाठन का दूसरा कोई उपाय नहीं है. एक भी कॉलेज नहीं है. मेधावी लड़कियां पढ़ाई से वंचित रह जाती हैं. जिन्हें पढ़ाई पूरी करनी होती है,वे शहर या सरैया प्रखंड में जाकर पढ़ाई करती हैं. इस प्रखंड में एक डिग्री कॉलेज खुलना चाहिए.
नहर बनाया, पटवन के लिए चैनल नहीं
महेश कुमार गुप्ता बताते हैं कि इस प्रखंड के बीचोबीच वैशाली नहर गुजरता है. जल संसाधन विभाग ने नहर बना दिया. लेकिन फसलों को इससे कोई फायदा नहीं है. इस नहर से किसी चैनल की व्यवस्था खेतों तक पानी पहुंचाने के लिए नहीं हुई. इस कारण इस नहर से ंिसचाई नहीं हो पाती है. हां इतना है कि नहर से जहां-तहां पानी बह जाता है. इसे रबी की फसल बरबाद हो जाती है.

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