कलश स्थापना के साथ मां दुर्गा की पूजा शुरू मां के पहले रूप शैलपुत्री की हुई उपासनामंत्रोच्चार के साथ हुई पहले दिन की पूजाभक्तिमय रहा माहौल, देवी मंदिरों में उमड़ी भीड़ वरीय संवाददाता, मुजफ्पफरपुर शारदीय नवरात्र पर कलश स्थापना के साथ ही मंगलवार को मां दुर्गा की पूजा शुरू हुई. भाहर के विभिन्न स्थानों पर आयोजित सार्वजनिक पूजा स्थलों पर सुबह से भााम तक विधिवत ढंग से कलश स्थापित की गयी. सभी पूजा आयोजनों में सुबह से भााम तक मां के आराधना के मंत्र गूंजते रहे. हर तरफ भक्ति का माहौल. पूजा से पूर्व कलश स्थापना करने वाली जगह को गाय के गोबर व गंगा जल से शुद्ध किया गया. उसके बाद कलश में सात प्रकार की मिट्टी, सुपारी रखा गया व पांच प्रकार के पल्लव से कलश को सजाया गया. कलश के नीचे सात प्रकार के अनाज व जौ बोये गये. पंडितों ने मंत्रोच्चार के साथ मां दुर्गा के प्रथम दिन की पूजा करायी. मां के शैलपुत्री रूप की हुई पूजानवरात्र के पहले दिन मां दुर्गा के शैलपुत्री रूप की आराधना की गयी. हिमालय के यहां पुत्री के रूप में जन्म लेने के कारण मां का नाम शैलपुत्री पड़ा. इनका वाहन वृशभ है. देवी के दायें हाथ में त्रिशूल व बायें हाथ में कमल है. लोगों ने मां के इसी रूप की आराधना की. पूजन के बाद सार्वजनिक पूजा स्थलों पर दिन भर दुर्गा सप्तशती का पाठ होता रहा. शहर के अघोरिया बाजार, देवी मंदिर, दुर्गा स्थान, मां बंग्लामुखी मंदिर सहित अन्य स्थलों पर दिन भर पूजा का दौर चलता रहा.घरों में कलश स्थापना कर हुई पूजाभक्तों ने घरों में कलश स्थापना कर मां की पूजा प्रारंभ की. अधिकतर घरों में नवरात्र को लेकर श्रद्धा का माहौल रहा. सुबह से घरों में सफाई कर पूजन स्थल को गंगा जल से शुद्ध किया गया. इसके बाद कलश स्थापित कर मां दुर्गा का चित्र रखा गया. भक्तों ने विधि पूर्वक कलश स्थापित कर मां दुर्गा की आराधना की. दुर्गा सप्तशती के पहले पाठ के साथ पहले दिन की पूजा संपूर्ण की गयी. भक्तों ने सुबह से शाम तक निर्जला व्रत रखा. शाम में देवी की आरती कर भक्तों ने फलाहार किया.मंदिरों में भक्तों की बढ़ी भीड़नवरात्र के पहले दिन से ही भाहर के दुर्गा मंदिरों में भक्तों की भीड़ बढ़ गयी. सुबह में कलश स्थापना के बाद से ही भक्तों का मंदिरों में तांता लगा रहा. सबसे अधिक भीड़ देवी मंदिर, बंग्लामुखी मंदिर व दुर्गा स्थान मंदिर में रही. शाम के समय मंदिरों में दीप जलाने के लिए विभिन्न मुहल्लों से महिलाओं का जत्था मंदिर में पहुंचा. महिलाओं ने मंदिर में देवी गीत गाये व मां की आराधना की. आज होगी मां की ब्रह्मचारिणी रूप की पूजानवरात्र के दूसरे दिन मां के ब्रह्मचारिणी रूप की पूजा होगी. साधक इस दिन अपने मन को मां के चरणों में लगायेंगे. ब्रह्मचारिणी मां का दूसरा रूप है. इसका अर्थ होता है तप का आचरण करने वाली. कहा जाता है कि मां दुर्गा ने भगवान शंकर को पति के रूप में प्राप्त करने के लिए घोर तपस्या की थी. इस कारण इन्हें ब्रह्मचारिणी नाम से बुलाया गया. मां दुर्गा का यह रूप भक्तों को अनंत फल देने वाला है. इसकी उपासना से तप, वैराग्य, त्याग, सदाचार व संयम की वृद्धि होती है.
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कलश स्थापना के साथ मां दुर्गा की पूजा शुरू
कलश स्थापना के साथ मां दुर्गा की पूजा शुरू मां के पहले रूप शैलपुत्री की हुई उपासनामंत्रोच्चार के साथ हुई पहले दिन की पूजाभक्तिमय रहा माहौल, देवी मंदिरों में उमड़ी भीड़ वरीय संवाददाता, मुजफ्पफरपुर शारदीय नवरात्र पर कलश स्थापना के साथ ही मंगलवार को मां दुर्गा की पूजा शुरू हुई. भाहर के विभिन्न स्थानों पर […]
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