मुजफ्फरपुर : एसकेएमसीएच लोगों के स्वास्थ्य से खिलवाड़ कर रहा है. बिना जांच के ही दवा मरीजों को खिलाया जा रहा है. ड्रग इंस्पेक्टर दवा कंपनियों व आपूर्तिकर्ताओं पर मेहरबान हैं. अस्पताल प्रशासन भी ड्रग इंस्पेक्टर का कदमताल कर रहा है. अस्पताल प्रशासन ने दवाओं की बिना जांच किये 1206.76 लाख रुपये दवा आपूर्तिकर्ताओं के बीच बांट दिये. इतना ही नहीं, 23 लाख रुपये की कटौती गुणवत्ता जांच के लिए कटौती की जानी थी, मेहरबानी दिखाते हुए आपूर्तिकर्ताओं के बीच बांट दिया.
एसकेएमसीएच प्रशासन की मदद से ड्रग इंस्पेक्टर का हर कार्य सही हो रहा है. इस मामले का खुलासा महालेखाकार की ऑडिट रिपोर्ट 2014-15 से हुआ है. इतना बड़ा खेल वर्ष 2012 से लेकर 2014 तक किया गया है. महालेखाकार की रिपोर्ट के अनुसार, दवाओं के प्रत्येक बैच से सैंपल के बदले ड्रग इंस्पेक्टर ने रैंडम तरीके से मेडिसिन स्टोर की जांच की थी. प्रत्येक बैच से दवाओं का सैंपल नहीं लिया. वर्ष 2012-2014 में 30 दवाओं को जांच के लिए सैंपल ले जाया गया.
इसमें से मात्र तीन दवाओं का जांच प्रतिवेदन दिया. बाकी दो दवाओं की जांच ही नहीं की गयी. इससे साफ है एसकेएमसीएच लोगों में बिना सैंपल जांच किये दवा बांट रहा है. सरकार का पैसा दवा कंपनियों पर पानी की तरह बहा दिया. आगे भी एसकेएमसीएच प्रशासन ने बहुत कुछ कर दिखाया है. ऑडिट ने साफ कहा है कि राज्य स्वास्थ्य समिति ने आठवें चक्र में किये गये दवा के दर निर्धारण व आपूर्ति संबंधी नियम और शर्तें के अनुसार आपूर्तिकर्ताओं के क्रय आदेश के विरुद्ध जितनी भी दवाएं खरीदी गयी थीं, उन दवाओं के प्रत्येक बैच की दवा नमूना की जांच के लिए ड्रग सैंपल लिया जाना था. इसके लिए मूल्य में बिक्री कर घटाते हुए दो प्रतिशत राशि गुणवत्ता जांच कराने के लिए काटी जानी थी.
लेकिन अस्पताल प्रशासन ने यह राशि नहीं काटी और 23.13 लाख रुपये दवा आपूर्तिकर्ताओं को अवैध रूप से बांट दिया. वर्ष 2011-12 से 2013-2014 में आठवें चक्र में शामिल दवा पर कुल 1206.76 लाख रुपये भुगतान कर दिया गया. शामिल दवाओं व स्थानीय क्रय में आपूर्ति हुई दवाओं के भुगतान में से दो फीसदी राशि के रूप में 23.13 लाख रुपये कटौती की जानी थी. दवाओं की गुणवत्ता जांच नहीं की गयी. लेखा परीक्षा को अधीक्षक डॉ जीके ठाकुर ने बताया कि विभागीय उच्चाधिकारियों के ध्यान में इस मामले को लाया जायेगा. दिशा-निर्देश के आलोक में कार्रवाई की जायेगी.