मीनापुर: मत कर गुरुर इतना अपने हाथों की लकीरों पर, किस्मत उनकी भी होती है जिनके हाथ नहीं होते. बनघारा गांव के नि:शक्त संजीव पर यह कहावत सटीक बैठती है. संजीव की तमन्ना थी कि वह बड़ा क्रि केटर बनेगा व तेंडुलकर बन कर गांव का नाम देश में रौशन करेगा. किंतु प्रकृति को कुछ और ही मंजूर था.
बचपन में गेंहू दौनी के दौरान थ्रेसर से संजीव का दाहिना हाथ कट गया. तब लगा कि संजीव के सपनों पर पहाड़ टूट पड़ा हो. लेकिन गांव के दिलीप कुमार ने उसके जीवन को संवारने में संजीवनी का काम किया. एक हाथ खोने के बाद भी संजीव ने पढ़ाई व क्रि केट का साथ नहीं छोड़ा. इंटर परीक्षा उतीर्ण करने के बाद उसने अपना सारा ध्यान क्रि केट पर लगा दिया है.
हालांकि, वह बीए पार्ट वन में साइंस विषय से दाखिला करा चुका है. बिहार विकलांग क्रि केट एकेडेमी की ओर से राज्य के विभिन्न जिलों में अपने ऑलराउंडर प्रदर्शन से सबको आश्चर्यचकित कर चुका है. राष्ट्रीय प्रतियोगिता में ईडेन गार्डेन कोलकता के क्रि केट मैदान पर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा चुका है.
वहां इस्ट जोन की ओर से खेले जा रहे मुकाबले में संजीव ने तेज गेंदबाजी का जलवा बिखरते हुए पूरी श्रृखंला में 13 विकेट झटके. मणिपुर में आयोजित राष्ट्रीय प्रतियोगिता में झारखंड के खिलाफ बेहतर प्रदर्शन के लिए संजीव को मैन ऑफ द मैच दिया गया. लखनऊ में अगले माह होने वाले राष्ट्रीय प्रतियोगिता को लेकर बिहार टीम में संजीव का चयन किया गया है. प्रतियोगिता में 12 राज्यों की टीमें भाग ले रही है. संजीव के पिता नारायण सहनी व माता रीता देवी कहती हैं कि शीघ्र ही उनका बेटा अंतरराष्ट्रीय मैच खेलेगा. पूर्व सरपंच किरण कुमारी व दिलीप कुमार बताते हैं कि संजीव ने बनघारा का नाम पूरे देश में रौशन किया है.