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निदेशक के बराबर मिलेगा पीजी विभागाध्यक्षों को मेहनताना

मुजफ्फरपुर : बीआरए बिहार विवि स्नातक पार्ट थर्ड की कॉपियों की जांच पीजी विभागाध्यक्षों की देखरेख में होगी. इसके लिए प्रत्येक विभागाध्यक्ष को मूल्यांकन निदेशक के समान प्रतिदिन 250 रुपये मेहनताना (रेमुनरेशन) दिया जायेगा. जिन विषयों में छात्रों की संख्या कम होगी, उनकी कॉपी दस दिनों के अंदर जांच करानी होगी. वहीं जिन विषयों में […]

मुजफ्फरपुर : बीआरए बिहार विवि स्नातक पार्ट थर्ड की कॉपियों की जांच पीजी विभागाध्यक्षों की देखरेख में होगी. इसके लिए प्रत्येक विभागाध्यक्ष को मूल्यांकन निदेशक के समान प्रतिदिन 250 रुपये मेहनताना (रेमुनरेशन) दिया जायेगा.
जिन विषयों में छात्रों की संख्या कम होगी, उनकी कॉपी दस दिनों के अंदर जांच करानी होगी. वहीं जिन विषयों में छात्रों की संख्या अधिक होगी, उनके लिए पंद्रह दिन का समय दिया जायेगा. इस आधार पर कॉपियों की जांच कराने के लिए एक विभागाध्यक्ष को 2500 से 3750 रुपये का भुगतान किया जायेगा.
प्रतिकुलपति डॉ प्रभा किरण की अध्यक्षता में शनिवार को आयोजित अधिकारियों की बैठक में इसे मंजूरी दी गयी. गत वर्ष भी पार्ट थर्ड की कॉपियां विभागाध्यक्षों की देखरेख में ही जांची गयी थीं.
तब प्रत्येक विभागाध्यक्ष को अधिकतम पंद्रह सौ रुपये भुगतान का फैसला लिया गया था. इसका विभागाध्यक्षों ने विरोध किया था. कई विभागाध्यक्षों ने तो पैसे लेने से भी इनकार कर दिया. गत 29 सितंबर को परीक्षा बोर्ड की बैठक में इस वर्ष भी कॉपियों की जांच पीजी विभागाध्यक्षों की देखरेख में कराने का फैसला लिया गया तो कई विभागाध्यक्षों ने जिम्मेदारी लेने से इनकार कर दिया. इसके बाद प्रतिकुलपति ने मेहनताना पर पुनर्विचार के लिए बैठक बुलाने का फैसला लिया. मेहनताना बढ़ने के बावजूद अभी विवि प्रशासन की मुश्किलें खत्म नहीं हुई हैं. कॉपियों की जांच दुर्गा पूजा की छुट्टियों के दौरान कराने की योजना है. इस दौरान कई विभागाध्यक्षों का पहले से ही बाहर जाने का कार्यक्रम तय है.
इसकी सूचना उन्होंने परीक्षा विभाग को दे दी है. ऐसे में यदि कॉपी जांच की तिथि नहीं बढ़ायी गयी, तो विवि प्रशासन को नये मूल्यांकन निदेशक की तलाश करनी होगी. प्रत्येक दस हजार कॉपियों पर एक को-ऑर्डिनेटर की बहाली का फैसला भी लिया गया है. उन्हें प्रतिदिन दो सौ रुपये मिलेंगे.
पार्ट थर्ड की कॉपियों की जांच पीजी विभागाध्यक्षों की देखरेख में होगी. इसके लिए विभागाध्यक्ष को प्रतिदिन ढाई सौ रुपये का भुगतान होगा. दस हजार कॉपियों पर एक को-ऑर्डिनेटर होंगे. कुछ विभागाध्यक्षों ने निजी कारणों से अनिच्छा जतायी है. उस पर बाद में फैसला लिया जायेगा.
डॉ सतीश कुमार राय, कुलानुशासक

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