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बज्जिका के लिए डॉ श्रीरंग ने समर्पित किया था जीवन
मुजफ्फरपुर: बज्जिका भाषा व साहित्य के विकास के लिए डॉ श्रीरंग शाही ने अपना जीवन समर्पित कर दिया. वे जब तक जीवित रहे, बज्जिका भाषा के प्रसार के लिए काम करते रहे. साहित्य को समृद्ध करने में उनका बड़ा योगदान है. उनके प्रयास से दर्जनों साहित्यकारों ने बज्जिका भाषा साहित्य पर काम करना शुरू किया. […]
मुजफ्फरपुर: बज्जिका भाषा व साहित्य के विकास के लिए डॉ श्रीरंग शाही ने अपना जीवन समर्पित कर दिया. वे जब तक जीवित रहे, बज्जिका भाषा के प्रसार के लिए काम करते रहे. साहित्य को समृद्ध करने में उनका बड़ा योगदान है. उनके प्रयास से दर्जनों साहित्यकारों ने बज्जिका भाषा साहित्य पर काम करना शुरू किया. नतीजा बज्जिका पर शोध भी होने लगा. बज्जिका रामायन जैसी कृति भी सामने आयी.
उक्त बातें डॉ रामविलास ने बज्जिका के शिखर पुरुष डॉ श्रीरंग शाही की 16वीं पुण्यतिथि पर आवास नगर में आयोजित कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कही. इससे पूर्व लेखिका डॉ भावना ने विषय प्रवेश कराते हुए डॉ शाही की ओर से भाषा पर किये गये कार्यों की विवेचना की.
संस्मरणात्मक आलेख के जरिये उन्होंने डॉ शाही के संपूर्ण कृतित्व व व्यक्तित्व पर प्रकाश डाला. डॉ शांति कुमारी ने कहा कि डाॅ शाही के प्रोत्साहन से ही उन्होंने बज्जिका भाषा साहित्य पर शोध किया. माधवेंद्र वर्मा ने डॉ शाही पर केंद्रित किताब के प्रकाशन की बात कही. उन्होंने कहा कि नयी पीढ़ी के लिए यह जरूरी है.
डॉ ब्रजनंदन वर्मा ने कहा कि बज्जिका भाषा को जगाने का काम डॉ श्रीरंग शाही ने किया था.उनके प्रोत्साहन से ही बज्जिका की कई पत्रिकाएं प्रकाशित हो रही है. प्रवीण कुमार मिश्र ने भी बज्जिका के विकास के लिए लेखकों से साहित्य समृद्धि की अपील की.
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