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नवरुणा अपहरण कांड: तीन साल में भी नहीं उठा परदा

मुजफ्फरपुर: नवरुणा अपहरण कांड के तीन साल पूरे हो चुके लेकिन इस मामले से अब तक परदा नहीं उठ पाया है. नवरुणा के माता-पिता को जिस तरह से न्याय नहीं मिलने की चिंता सता रही है, उसी तरह आम लोग भी इस बहुचर्चित मामले में अपहरण के कारणों व इसमें शामिल लोगों के नाम जानने […]

मुजफ्फरपुर: नवरुणा अपहरण कांड के तीन साल पूरे हो चुके लेकिन इस मामले से अब तक परदा नहीं उठ पाया है. नवरुणा के माता-पिता को जिस तरह से न्याय नहीं मिलने की चिंता सता रही है, उसी तरह आम लोग भी इस बहुचर्चित मामले में अपहरण के कारणों व इसमें शामिल लोगों के नाम जानने बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं. यह मामला जिला से लेकर पीएमओ व राष्ट्रपति कार्यालय तक पहुंच चुका है. मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचने के बाद इसकी जांच 19 महीने से सीबीआइ कर रही है.
14 फरवरी 2014 को सीबीआइ ने मामले में प्राथमिकी दर्ज कर ली. चार दिन बाद 18 फरवरी को सीबीआइ की टीम मुजफ्फरपुर पहुंची. यानि कि सीबीआइ भी सीबीआइ भी 19 माह से इस मामले की जांच कर रही है, इसलिए यह मामला और भी अधिक महत्वपूर्ण हो गया है. पहली बार जिले में किसी मामले की जांच सीबीआइ इतने दिनों से कर रही है. देश की सबसे बड़ी जांच एजेंसी की जांच में क्या निष्कर्ष निकला, कैसे मामले का खुलासा हुआ, यह पूरे शहर व जिले के लोग जानना चाह रहे है. हालांकि अब तक उन्हें निराशा ही हाथ लग रही है. अब तक सीबीआइ कोर्ट में प्रगति रिपोर्ट व कुछ कागजात ही जमा कर सकी है. इस मामले में चार्जशीट नहीं हुआ, न ही किसी की गिरफ्तारी हो सकी. जब नवरुणा के माता-पिता पुत्री की याद में भावुक हो जाते हैं तो सीबीआइ की जांच पर भी सवाल उठाने लगते हैं. उनका कहना है कि आखिर आरपी पांडेय को अनुसंधान से क्यों हटा दिया गया? वैसे उन्हें सीबीआइ पर अभी भी भरोसा है कि न्याय मिलेगा.
भू-माफिया, सफेदपोश व पुलिस पर उठता रहा सवाल
मुजफ्फरपुर. नवरुणा मामले में भू-माफिया, नेता व पुलिस की भूमिका और गठजोड़ पर शुरू से ही सवाल उठता रहा. सीबीआइ ने भी इस दिशा में जांच की शुरूआत की और दो दर्जन से अधिक लोगों से इसमें पूछताछ भी की. पूछताछ में कई बड़े लोग भी सीबीआइ की जद में आए. हालांकि इसे अति गोपनीय रखा गया है. बताया जाता है कि सीबीआइ टीम ने शहर से जुड़े एक बड़े राजनीतिज्ञ के भाई, एक महिला जनप्रतिनिधि के पति के साथ ही निगम के सफाइकर्मी व कई भू-माफियाओं से भी पूछताछ की है. वैसे तो एसएसपी राजेश कुमार ने जो जांच रिपोर्ट पुलिस के वरीय अधिकारियों को सौंपी थी, उसमें भी जमीन के कारोबार से जुड़े कई लोगों से पूछताछ किए जाने का जिक्र किया था. साथ ही उन लोगों पर विशेष नजर रखने का निर्देश जांच से जुड़े अधिकारियों को दिया था. नवरुणा के माता-पिता भी इस कांड में इन तीनों के गठजोड़ के शामिल होने की बात बताते हैं. इस संबंध में वे सीबीआइ के अधिकारियों को भी अवगत करा चुके है. हालांकि इस मामले के अनुसंधान में लगे सब इंसपेक्टर अमित कुमार व जितेंद्र प्रसाद सहित पांच पुलिस पदाधिकारियों की पॉलीग्राफी टेस्ट कराने पर मामले का 10 दिन में खुलासा होने का दावा कर रहे हैं.
नवरूणा कांड : एक नजर में
18 सितंबर 2012 की रात खिड़की का छड़ टेढ़ा कर अपहरण
19 सितंबर 2012 को नगर थाना हत्या में अज्ञात पर प्राथमिकी
20 अक्तूबर 2012 को पुलिस ने बबलू, सुदीप चक्रवर्ती व श्याम पटेल को जेल भेजा
22 अक्तूबर 2012 (घटना के 33 दिन बाद) एसएसपी राजेश कुमार जांच को नवरुणा के घर पहुंचे
04 नवंबर 2012 को फॉरेंसिक टीम मौके की जांच करने नगर थाना पुलिस के साथ पहुंची
26 नवंबर 2012 को घर के पास नाले में कंकाल मिला, जिसे पुलिस ने जांच के लिए भेजा
28 दिसंबर 2012 को फॉरेंसिक जांच की रिपोर्ट मिलने का दावा पुलिस ने किया
29 दिसंबर 2012 को नवरुणा के पिता पर डीएनए टेस्ट के लिए दबाव बनाना शुरू किया
31 दिसंबर 2012 को एडीजी ने इस मामले की जांच सीआइडी को सौंप दी
0 4 जनवरी 2013 को पुलिस ने डीएनए टेस्ट के लिए कोर्ट में आवेदन दिया
07 जनवरी 2013 को कोर्ट ने आवेदन स्वीकार कर टेस्ट कराने की अनुमति दी
15 जनवरी 2013 को सीआइडी की टीम जांच के लिए नवरुणा के घर पहुंची
14 फरवरी 2014 को सीबीआइ ने मामले में प्राथमिकी दर्ज की
25 मार्च 2014 को नवरूणा के माता-पिता का डीएनए जांच के लिए सैंपल लिया गया
09 अक्तूबर 2014 को कंकाल को नवरूणा के होने की बात कही गयी
तीज की रात ही हुआ था अपहरण
उस दिन भी तीज थी. हमारे घर में तीज का पर्व नहीं होता है, लेकिन यहां बरसों से रहने के चलते कुछ परंपराएं व उससे जुड़ी कुछ छोटी-छोटी चीजें हमने हासिल की हैं. उस रात बेटी ने अपने से ही एक हाथ में मेहंदी लगायी थी. जब वो मेंहदी लगा रही थी, तभी देखा. फिर उसके हाथों पर सजे मेहंदी का चटक रंग देखने को नहीं मिला. रात में सब लोग खाना खाए और सोने चले गये. वह रात मेरे परिवार के लिए काली रात साबित हुई. इतना कहते-कहते नवरुणा के पिता अतुल्य चक्रवर्ती की आवाज भारी हो जाती है. बड़ी मुश्किल से खुद को संभालते हैं.
18 सितंबर 2012 की रात के बाद अतुल्य चक्रवर्ती परिवार को जिस तरह से संघर्ष करना पड़ा है. उसकी पल-पल की बात नवरुणा के पिता को याद है.
वो पुलिस, सीआइडी व सीबीआइ जांच की बात करते हैं. कहते हैं, इसमें बड़े लोगों का हाथ हैं, देखते हैं सीबीआइ हमें न्याय दे पाती है. बुधवार को जब अतुल्य चक्रवर्ती से मुलाकात हुई, तो उस समय वो घर पर अकेले थे. पत्नी मैत्री चक्रवर्ती किसी काम से बाहर गई थी. घटना का जिक्र करते हुए लगा सारी तस्वीरें उनकी आंखों के सामने तैर रही हैं. घटना की रात से अब तक जो कुछ भी हुआ, सिलसिलेवार बताते गए. बीच-बीच में कई बार लगा कि शब्दों ने जुबान का साथ छोड़ना चाहा, लेकिन बड़े धैर्य से खुद को काबू में रखा. मन में आज भी इस बात का विश्वास है कि उनकी बेटी सुरक्षित है. बोले, मुझे उम्मीद है कि एक दिन वह वापस लौटेगी. दावा किया कि जिस दिन इस मामले से परदा उठेगा, मुजफ्फरपुर में भू-माफियाओं के लिए वह आखिरी दिन होगा. श्री चक्रवर्ती ने एक-एक वजह गिनाते हुए दावा किया कि इस मामले की जांच में लगे पुलिस, सीआइडी और सीबीआइ के अधिकारी भी जान गए हैं कि नवरुणा कहां है और उसको गायब करने में किन लोगों का हाथ है.
पूजा पर आने की पुलिस ने कही थी बात
नवरूणा के अपहरण के बाद जब माता-पिता बरामदगी के लिए पुलिसवालों का चक्कर लगा रहे थे, तब पुलिस अधिकारियों ने ये दिलासा दिया था कि पूजा के समय उनकी बेटी घर आ जायेगी, लेकिन 2012 के बाद दो दुर्गा पूजा बीत गयी है. अब तीसरी पूजा आनेवाली है, लेकिन नवरूणा का पता नहीं चल पाया है. उसकी हत्या किन लोगों ने की है. उसके बारे में खुलासा नहीं हो सका है.

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