मुजफ्फरपुर. पुलिस की पिटाई से पहले भी मौत होने की बात सामने आ चुकी है. 2001 में तुर्की ओपी के तत्कालीन प्रभारी सतीश चंद्र माधव पर यह आरोप लगा था और वह जेल भी गये थे. उस वक्त मधौल निवासी अनिल पांडे की पुलिस हिरासत में इतनी पिटाई की गयी कि हाजत में ही उनकी मौत हो गयी. हाजत से लाठी डंडा व शराब की बोतल बरामद की गयी थी. मधौल के शगुनी राम ने मधौल निवासी अनिल पांडे सुनील पांडे व मनीष पांडे पर मामला दर्ज कराया था. 31 मई 2001 को अनिल पांडे को पुलिस गिरफ्तार कर पुलिस हिरासत मे बंद कर दिया.
रात भर उसकी इतनी पिटाई की गयी कि वह थाने हाजत में ही दम तोड़ दिया. पोस्ट मार्टम में भी कलेजा पर जख्म व हड्डी टूटने की बात सामने आयी थी. इसके बाद कई गांव के लोग मिलकर पुलिस का विरोद्ध करना शुरू किया. इसके बाद कुढ़नी थाना में कांड संख्या 114/2001 दर्ज हुआ.
जिसमें सुशील पांडे ने अपने भाई की हत्या का आरोप लगाते हुए थानाध्यक्ष सतीश चंद्र माधव, मामले के अनुसंधानक जमादार लाल बाबू प्रसाद, आरक्षी राजीव व सुनील कुमार को नामजद आरोपी बनाया और अपने भाई को पीट पीट कर मारने का आरोप लगाया. जिसके बाद थानाध्यक्ष समेत चार पुलिसकर्मी को जेल भेज दिया गया. जिसमें आरोप पत्र समय पर समर्पित नहीं होने पर तीन माह के बाद चारों को जमानत मिल गयी. इस मामले में उच्च न्यायालय ने मामला लंबित है. हत्या व जेल जाने के बाद भी सतीश चंद्र हथौरी के थानाध्यक्ष बने थे. अभी वे जिले से बाहर थानेदारी कर रहे हैं.