मुजफ्फरपुर: शहर के एसबीआइ एडीबी गोबरसही शाखा में हुए 29.25 करोड़ के साइबर फ्रॉड मामले में जेल में बंद नौ आरोपियों को सीबीआइ की विशेष अदालत में बुधवार को विशेष न्यायिक दंडाधिकारी जावेद आलम की अदालत में पेश किया गया. जहां आरोपितों को उनके ऊपर लगे आरोप का सारांश सुनाते हुए आरोप गठित कर दिया […]
मुजफ्फरपुर: शहर के एसबीआइ एडीबी गोबरसही शाखा में हुए 29.25 करोड़ के साइबर फ्रॉड मामले में जेल में बंद नौ आरोपियों को सीबीआइ की विशेष अदालत में बुधवार को विशेष न्यायिक दंडाधिकारी जावेद आलम की अदालत में पेश किया गया. जहां आरोपितों को उनके ऊपर लगे आरोप का सारांश सुनाते हुए आरोप गठित कर दिया गया. वहीं मामले के साक्ष्य के लिए 18 सितंबर की तिथि न्यायालय ने निर्धारित की है. बता दें कि मामले में कुल नौ अरोपित हैं.
इसमें आठ पूर्व से जेल में थे व एक आरोपित विनय यादव बाहर था, जिसे सीबीआइ ने हाल ही में रांची कोर्ट में पकड़ा व चार सितंबर को कोर्ट में पेश किया. इसके बाद मंगलवार को संजय राज की जमानत याचिका सीबीआइ के विशेष अदालत में खारिज कर दिया था.
मामले में नौ आरोपित जेल में हैं. इसमें बालूघाट दीप नगर निवासी विकास कुमार राजा, चर्च रोड
चंदवारा स्थित मोनिस परवेज उर्फ मिंटू, तुर्की के चढुआ निवासी संजय राज, चढुआ निवासी मनीष कुमार, चढुआ निवासी देवेंद्र राय, पहलेजा सोनपुर निवासी विनय यादव, छपरा जिला के गांधी चौक बीएसएनएल क्वार्टर निवासी नीतीन राज वर्मा,
रांची के जय प्रकाश नगर बुट्टी रोड निवासी पवन कुमार सिंह, रांची निवासी उमेश साहू शामिल हैं.
कैसे हुई थी घटना
25 नवंबर 2011 को एसबीआइ एडीबी गोबरसही शाखा के सिस्टम को हैक कर साइबर फ्रॉड के आरोपियों ने धनबाद स्थित एसबीआइ शाखा में बीसीसीएल के खाते से 29.25 करोड़ रुपये आरटीजीएस के माध्यम से उत्तर प्रदेश के मोदीनगर स्थित पीएनबी शाखा में नेशनल फारमर्स कोऑपरेटिव लिमिटेड (नेफको) के खाते में ट्रांसफर किया था. यह राशि दो आरटीजीएस ट्रांजेक्शन (दो बार) 15.75 करोड़ व 13.5 करोड़ रुपये भेजे गये थे. बैंक प्रबंधन की तत्परता से राशि बचा ली गई थी. सीबीआइ की माने तो इस मामले के अधिकांश अारोपित इससे पूर्व इसी शाखा में 10 मई 2015 को 12.50 करोड़ रुपये का अवैध ट्रांसफर में शामिल है. सीबीआइ ने इस मामले में दायर चार्जसीट में इस बात का उल्लेख कर रखा है.