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नेता पार्टी से बड़ा हो जाये, तो लोकतंत्र खतरे में

मुजफ्फरपुर : जदयू के राज्यसभा सांसद केसी त्यागी ने कहा, जब एक नेता पार्टी से बड़ा हो जाये व खुद को देश के बराबर दिखाने की कोशिश करे, तो लोकतंत्र खतरे में है. जब पार्टी व सरकार में सरकार भारी पड़ने लगे तो लोकतंत्र खतरें में है. इस देश में वामपंथ व जनसंघ ही ऐसे […]

मुजफ्फरपुर : जदयू के राज्यसभा सांसद केसी त्यागी ने कहा, जब एक नेता पार्टी से बड़ा हो जाये व खुद को देश के बराबर दिखाने की कोशिश करे, तो लोकतंत्र खतरे में है. जब पार्टी व सरकार में सरकार भारी पड़ने लगे तो लोकतंत्र खतरें में है.
इस देश में वामपंथ व जनसंघ ही ऐसे दल रहे हैं, जिसमें नेता का कद पार्टी से छोटा रहा है. लेकिन आज जनसंघ खत्म हो चुका है, वहीं वामपंथ कमजोर हो गया है. यह स्थिति लोकतंत्र के लिए ठीक नहीं है. इससे अन्य दलों का, जिसमें पहले से ही नेताओं का कद पार्टी से ऊंचा है, मनोबल बढ़ेगा.
वे शनिवार को एलएस कॉलेज सभागार में आचार्य जेबी कृपलानी स्मृति व्याख्यानमाला को संबोधित कर रहे थे. विषय था, भारतीय राजनीतिक दलों में अंतरद्वंद : संगठन बनाम सरकार. आयोजन आचार्य जेबी कृपलानी स्मृति व्याख्यान समिति व एलएस कॉलेज ने संयुक्त रूप से किया.
श्री त्यागी ने कहा, आज लोकतंत्र में लोक पर तंत्र हावी हो गया है. पार्टी के शीर्ष नेताओं से ज्यादा प्रभावी सरकार में शामिल लोग हो गये हैं. कार्यकर्ताओं की मानसिकता का अवमूल्यन भी इसके लिए जिम्मेदार है.
आज कार्यकर्ता आम जनता की परिक्रमा करने, उनके सुख-दु:ख में शामिल होने के बजाये नेताओं की परिक्रमा में लगे हैं. उनका उद्देश्य सिर्फ चुनाव का टिकट हासिल करना रह गया है. पदों की प्रतिष्ठा कुछ इस कदर बना ली गयी है कि लगता है वह नहीं मिला तो कुछ भी नहीं मिला. वे नेताओं को ‘चंदा चाहिए’, ‘खर्चा-पानी’ मिलेगा, जैसे शब्द कहने में भी गुरेज नहीं करते. यह नेताओं के लिए भी शर्म की बात है.
सांसद ने कहा, मुजफ्फरपुर किसी परिचय का मोहताज नहीं. इतिहास, संस्कृति, अतीत, वर्तमान का संगम है मुजफ्फरपुर है. गांधी यहां आकर चंपारण की धरती पर नहीं जाते तो इस देश में शायद स्वतंत्रता आंदोलन की नींव नहीं पड़ती.
दो साल बाद गांधी के पहले सत्याग्रह आंदोलन के सौ साल पूरे हो जायेंगे. ऐसे में केंद्र व राज्य सरकार को 2017 सत्याग्रह वर्ष के रूप में मनाना चाहिए. उन्होंने गांधी को लोकतंत्र का सबसे बड़ा नेता बताया. कहा, जब एक आदमी इंसानियत का चोला पहन ले तो धर्म व पद यूं ही छोटे हो जाते हैं.
कार्यक्रम की अध्यक्षता प्राचार्य डॉ अमरेंद्र नारायण यादव, स्वागत डॉ प्रमोद कुमार, संचालन डॉ ब्रजेश व धन्यवाद ज्ञापन आचार्य जेबी कृपलानी स्मृति व्याख्यान समिति के संयोजक सुरेंद्र कुमार ने की. मौके पर डॉ हरेंद्र कुमार ने विवि में जेबी कृपलानी चेयर स्थापित करने का प्रस्ताव रखा, जिसका डॉ शिवानंद सिंह ने समर्थन किया.

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