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स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव अन्य के विरुद्ध जांच का आदेश

मुजफ्फरपुर: दवा घोटाले को लेकर दर्ज मामले को खारिज करने के बाद भी केस की पैरवी करने के नाम पर 68 लाख रुपये खर्च करने के मामले को निगरानी कोर्ट ने गंभीरता से लिया है. विशेष निगरानी न्यायाधीश अजय कुमार श्रीवास्तव ने सुनवाई करते हुए स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव ब्रजेश मेहरोत्र व अन्य के […]

मुजफ्फरपुर: दवा घोटाले को लेकर दर्ज मामले को खारिज करने के बाद भी केस की पैरवी करने के नाम पर 68 लाख रुपये खर्च करने के मामले को निगरानी कोर्ट ने गंभीरता से लिया है. विशेष निगरानी न्यायाधीश अजय कुमार श्रीवास्तव ने सुनवाई करते हुए स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव ब्रजेश मेहरोत्र व अन्य के खिलाफ जांच का निर्देश निगरानी ब्यूरो के विशेष डीआइजी को दिया है.

न्यायालय ने मामले में दुबारा जांच का आदेश दिया है. कोर्ट ने पहली बार जांच का ओदश पटना एसपी को दिया था. जहां निगरानी एसपी ने मामले को यह कहते हुए लौटा दिया कि दवा घोटाला का मामले ‘शहबाज सुसैन अली बनाम बिहार सरकार’ में जांच प्रधान सचिव की ओर से की जा रही है.

इसलिए इसे वहीं जांच के लिए भेजने की कृपा करें. इसके बाद कोर्ट ने निगरानी ब्यूरो के आग्रह को खारिज करते हुए फिर निगरानी ब्यूरो के डीआइजी को जांच कर आदेश दिया है. बता दें कि लोजपा के प्रदेश महासचिव व सदर थाना क्षेत्र के लहलादपुर निवासी सुधीर कुमार ओझा ने भ्रष्टाचार अधिनियम के तहत 2 मार्च 2015 को विशेष निगरानी न्यायालय में परिवाद पत्र संख्या 30/2015 दर्ज कराया था, जिसमें स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव ब्रजेश मेहरोत्र, तत्कालीन प्रधान सचिव दीपक कुमार, बिहार मेडिकल सर्विसेज इंफ्रास्ट्रक्चर कॉरपोरेशन के प्रबंध निदेशक प्रवीण किशोर व वर्तमान प्रबंध निदेशक देवेंद्र कुमार शुक्ला को आरोपित बनाया था.

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