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शहादत से मिलती है देशभक्ति की प्रेरणा
श्रद्धा से मना खुदीराम का 108वां शहादत दिवस, बोले आयुक्त मुजफ्फरपुर : अमर शहीद खुदीराम बोस के 108वें शहादत दिवस पर मंगलवार को अहले सुबह केंद्रीय कारा में उन्हें श्रद्धांजलि दी गयी. इस मौके पर सबसे पहले लोग जेल के अंदर उस सेल में पहुंचे जहां खुदीराम बोस को कैद कर रखा गया था. वहां […]
श्रद्धा से मना खुदीराम का 108वां शहादत दिवस, बोले आयुक्त
मुजफ्फरपुर : अमर शहीद खुदीराम बोस के 108वें शहादत दिवस पर मंगलवार को अहले सुबह केंद्रीय कारा में उन्हें श्रद्धांजलि दी गयी. इस मौके पर सबसे पहले लोग जेल के अंदर उस सेल में पहुंचे जहां खुदीराम बोस को कैद कर रखा गया था. वहां उनकी तसवीर पर श्रद्धासुमन अर्पित किये गये. सुबह 3.55 बजे पर लोग उस स्थल पहुंचे जहां खुदीराम बोस को फांसी दी गयी थी.
वहां सबसे पहले प्रमंडलीय आयुक्त अतुल प्रसाद, डीएम धमेंद्र कुमार, डीआइजी पीके श्रीवास्तव, एसएसपी रंजीत मिश्र, नगर विधायक सुरेश शर्मा, टाउन डीएसपी अनिल कुमार सिंह, डीपीआरओ नागेंद्र गुप्ता ने शहीद खुदीराम बोस की तस्वीर पर माल्यार्पण किया. इसके बाद काराधीक्षक ई जितेंद्र कुमार व अन्य अधिकारियों व अतिथियों ने शहीद की तसवीर पर पुष्पांजलि की. माल्यार्पण के बाद दो मिनट मौन रखकर उन्हें श्रद्धांजलि दी.
पश्चिम बंगाल के मिदनापुर के हबीबपुर से आये प्रकाश हलदर व उनके साथियों ने शहादत स्थल पर माल्यार्पण किया और शहादत गीत गाये. इस मौके पर प्रमंडलीय आयुक्त अतुल प्रसाद ने कहा कि देश के लिए खुदीराम बोस की शहादत से लोगों को प्रेरणा मिलती है. फांसी की सजा सुनाये जाने के बाद उन्होंने इसे हंसते हुए स्वीकार किया.
कई वकीलों ने खुदीराम को अपील में जाने की सलाह दी, लेकिन उन्होंने कहा कि हम जितनी जल्दी इस दुनिया से जायेंगे, उतनी ही जल्दी फिर वापस आयेंगे और देश का सेवा करेंगे. इस मौके पर कारा परिसर स्थित शहीद खुदीराम बोस सेल व फांसी स्थल पर नमन करने के लिए लोगों की लंबी लाइन लगी थी. इस मौके पर केंद्रीय कारा को दुल्हन की तरह सजाया गया था.
वार्ड में नम हुई कैदियों की आंखें
शहीद खुदीराम बोस केंद्रीय कारा की घड़ी में जैसे ही सुबह 3:55 बजे घंटी बजी, जेल की व्यवस्था देखने व रखवाली करने वाले कैदी गुड्ड, शमशेर व वार्ड में बंद कैदियों की आंखें नम हो गयीं.
सिर्फ गुड्डू व शमशेर ही ऐसे कैदी नहीं थे, जिनकी आंखों में आंसू थे. बल्कि, शहीद खुदीराम बोस केंद्रीय कारा के 1668 सजायाफ्ता व सजावार सभी बंदियों की आंखों में आंसू थे. जफीर कहते हैं कि इस समय तक जेल के वार्ड में बंदी उठ कर शोर मचाना शुरू कर देते हैं, लेकिन सोमवार की सुबह सभी बंदी शोर मचाने के बजाय शोक में थे. हर कैदी अपने अपने वार्ड से शहीद खुदीराम बोस के फांसी स्थल की ओर टकटकी लगाये चुपचाप देख रहा था.
फांसी स्थल पर जब वंदे मातरम के नारे लगाये जा रहे थे, उस वक्त भी कैदी वार्ड के अंदर से वंदे मातरम के नारे लगा रहे थे. उधर, शहीद खुदीराम बोस केंद्रीय कारा में सुरक्षा के कड़े इंतजाम किये गये थे. लोगों की तलाशी लेकर उन्हें अंदर प्रवेश की अनुमति दी जा रही थी.
उपेक्षित रहा शहीद का चितास्थल
क्रांति की मशाल जलाने वाले खुदीराम बोस को जहां फांसी दी गयी थी, वह स्थल सुरक्षित है, लेकिन जहां उनका दाह संस्कार किया गया था, वह स्थान आज भी उपेक्षित है. अधिकारियों ने जेल में उनके फांसी स्थल व सेल में माल्यार्पण किया, लेकिन उनके चितास्थल पर जाने की जहमत नहीं उठायी.
हालांकि, जेल के अंदर अधिकारियों ने उनके चितास्थल के बारे में जानकारी अवश्य ली. आयुक्त ने कहा कि वह कोशिश करेंगे कि उनके चितास्थल को भी संवारा जाये. जेल में शहीद को श्रद्धांजलि देने के बाद सभी अधिकारी वहां से निकल गये.
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