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निगम व धनई पर हत्या की प्राथमिकी

पति की मौत के बाद बेसहारा हुई ‘गुड़िया’, पूरा परिवार हो गया तबाह मुजफ्फरपुर : नगर थाना के सिकंदरपुर श्मशान घाट पर बसे विनोद सहनी की मौत के मामले में नगर निगम व स्थानीय धनई सहनी पर हत्या का मुकदमा दर्ज हो गया है. रविवार को शौच के दौरान कचरे में लगी आग से विनोद […]

पति की मौत के बाद बेसहारा हुई ‘गुड़िया’, पूरा परिवार हो गया तबाह
मुजफ्फरपुर : नगर थाना के सिकंदरपुर श्मशान घाट पर बसे विनोद सहनी की मौत के मामले में नगर निगम व स्थानीय धनई सहनी पर हत्या का मुकदमा दर्ज हो गया है. रविवार को शौच के दौरान कचरे में लगी आग से विनोद सहनी की मौत हो गयी थी. इस घटना के लिए उसकी पत्नी गुड़िया ने नगर निगम व धनई सहनी को जिम्मेदार ठहराया था.
गुड़िया के बयान पर पुलिस ने हत्या की प्राथमिकी दर्ज कर जांच पड़ताल शुरू कर दी है. घटना के बाद से ही स्थानीय लोगों में इस बात का विरोध था कि नगर निगम यहां कूड़ा क्यों फेंकता है. इसी आक्रोश के कारण सोमवार को नगर निगम वहां कूड़ा फेकने नहीं गया था.
भगवान करे बेटा हो जाये
विनोद की मौत के बाद गुड़िया पूरी तरह से बेसुध हो चुकी है. पेट में आठ माह का बच्चा है. मोहल्ले के लोगों ने दुआ मांगनी शुरू कर दी है कि गुड़िया को इस बार बेटा हो जाये. कम से कम बड़ा होकर उसका सहारा तो बन सकेगा.
पोस्टमार्टम के लिए ठेले पर गयी लाश
स्वास्थ्य महकमे व जिम्मेदारों की उदासीनता की वजह से विनोद की लाश पोस्मार्टम के लिए ठेले से ले गये. इसके लिए भी लोगों ने 200 रुपये चंदा दिया. तब जाकर उसका शव एसकेएमसीएच ले जाया गया. इस बीच लोग सरकार द्वारा चलाये जा रहे एंबुलेंस पर भी सवाल खड़े कर दिये. लोगों ने बताया कि काहे की योजना जिसका लाभ गरीबों को नहीं मिल पाये? ऐसी योजना चलाने से क्या फायदा? जब एक लाश के लिए एंबुलेंस तक नहीं मिल पा रहा हो.
कूड़ा ही बना मौत का कारण
विनोद कूड़ा बीन कर अपनी जीविका पाजर्न करता था. कूड़ा बीनने के बाद उसे बेचने का काम करता था. उसी से उसके परिवार का पेट भरता था. वह इस काम में बेहद खुश था. लेकिन वही कूड़ा उसकी मौत का कारण बन गया.
चंदा मिला तो आया कफन
गुड़िया की गरीबी का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि विनोद के कफन के लिए उसकी पास फूटी कौड़ी तक नहीं थी. उसके कफन से लेकर दाह संस्कार तक का इंतजाम चंदे के जरिये हुआ.
मोहल्ले के लोगों के सहयोग से उसका दाह संस्कार हो सका. सरकारी मदद के नाम पर उसको फूटी कौड़ी तक नसीब न हो सकी. जबकि घटना के बाद ही स्थानीय प्रशासन ने सहायता देने की बात कही थी, लेकिन कोई जिम्मेदार झांकने तक नहीं गया.

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