मुजफ्फरपुर : बिहार के सभी विश्वविद्यालयों के बीएड व एमएड कोर्स में एकरूपता लाने के लिए राजभवन समान सिलेबस लागू करने पर विचार कर रहा है. इसके लिए चार अगस्त को सभी विश्वविद्यालयों के कुलपति को तलब किया गया है.
कुलपति डॉ पंडित पलांडे की अनुपस्थिति में प्रति कुलपति डॉ प्रभा किरण बीआरए बिहार विवि का प्रतिनिधित्व करेंगी. राजभवन दोनों कोर्स में नामांकन के लिए समान रेगुलेशन व राज्य स्तरीय संयुक्त प्रवेश परीक्षा पर भी विचार कर रहा है. इस मामले में भी सभी कुलपतियों से राय मांगी जायेगी.
जानकारी हो कि बीआरए बिहार विवि में एनसीटीइ के निर्देश पर नये सिलेबस का निर्माण हो चुका है. एक अगस्त को उसकी कॉपी दूरस्थ शिक्षा निदेशालय के प्रशासनिक अधिकारी ललन कुमार के माध्यम से राजभवन को भेजा जा चुका है.
सिलेबस को मंजूरी मिलने के बाद ही कोर्स शुरू करने का निर्देश सभी विश्वविद्यालयों को था. अभी तक सिलेबस को मंजूरी नहीं मिले होने के कारण कई विश्वविद्यालयों ने नामांकन की प्रक्रिया भी शुरू नहीं की है. लेकिन बीआरए बिहार विवि ने खुद संयुक्त प्रवेश परीक्षा लेकर नामांकन की प्रक्रिया भी शुरू कर चुकी है. दस अगस्त से कक्षा शुरू होना प्रस्तावित है.
फी में भी हो सकती है कटौती.
विवि प्रशासन ने बीएड कोर्स का जो रेगुलेशन व ऑर्डिनेंस बनाया है, उसमें दो वर्षीय कोर्स का शुल्क एक लाख पैंतीस हजार पांच सौ रुपये निर्धारित की गयी है.
इसी तरह अन्य विश्वविद्यालयों ने भी खुद के तय किये गये फी स्ट्रक्चर की कॉपी राजभवन को उपलब्ध करा चुका है. इसमें काफी विविधता है. इसे खत्म करने के लिए राजभवन खुद एकरू प फी स्ट्रक्चर लागू करने पर विचार कर रही है. जानकारी के अनुसार, कोर्स का फी एक लाख रुपये से कम रखने पर विचार हो रहा है. लेकिन अंतिम फैसला कुलपतियों की राय जानने के बाद लिया जायेगा.
मुजफ्फरपुर : फसल बीमा नहीं होने पर मोतीपुर, मुशहरी, सकरा व मीनापुर स्थित दि सेंट्रल कोऑपरेटिव बैंक की शाखाओं के अधिकारियों व कर्मचारियों के साथ बदसलूकी के बाद आक्रोशित बैंककर्मियों ने जिले के मुख्य कार्यालय व प्रखंड के सभी नौ शाखाओं का
काम -काज ठप कर दिया.
सभी शाखा प्रबंधक व कर्मचारी जिला मुख्यालय स्थित बैंक की मुख्य शाखा में आकर दिन भर डटे रहे. वे लोग बैंक कर्मचारियों व अधिकारियों के साथ गलत व्यवहार करने वाले पैक्स अध्यक्षों पर प्राथमिकी दर्ज कर उन्हें गिरफ्तार करने की मांग कर रहे हैं.
आंदोलन का नेतृत्व कर रहे सेंट्रल कोऑपरेटिव बैंक यूनियन के अध्यक्ष विपिन चंद्र सिन्हा व सचिव विनोद पांडेय ने कहा कि जब तक सभी नौ शाखाओं के अधिकारियों व कर्मचारियों की सुरक्षा व मान-सम्मान की गारंटी प्रशासन नहीं लेता, तबतक काम करना मुश्किल है.
कर्मचारियों के आक्रोश को देखते हुए दि मुजफ्फरपुर सेंट्रल कोऑपरेटिव बैंक के प्रबंध निदेशक जवाहर प्रसाद ने कर्मचारियों के साथ वार्ता की. उन्होंने भरोसा दिलाया कि बैंक के अध्यक्ष व निदेशक मंडल के सदस्यों से विमर्श के यह तय किया जायेगा कि भविष्य में ऐसी घटना नहीं हो.
साथ ही, डीएम व एसएसपी को पत्र लिखकर बैंककर्मियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने का आश्वासन दिया. इसके बाद कर्मचारी व अधिकारी मान गये. प्रबंध निदेशक श्री प्रसाद ने कहा, कर्मचारियों के साथ गलत हुआ है.
अगर उन्हें इंसाफ नहीं मिला तो फिर अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जायेंगे. असुरक्षा के माहौल में काम मुश्किल हो रहा है. मौके पर आनंद प्रकाश, राजवर्धन, राजीव रंजन, अखिलेश कुमार, ब्रजेंद्र कुमार, मुकेश कुमार, सुजीत कुमार, फूलदेव सिंह समेत अन्य लोग उपस्थित थे.
फसल बीमा नहीं होने के ये हैं कारण
मुजफ्फरपुर : फसल बीमा नहीं होने के पीछे बहुत बड़ा कारण है. जिसे बैंक अधिकारियों व कर्मियों के अतिरिक्त आम लोग नहीं जानते हैं. बैंक सूत्रों का कहना है कि एग्रीकल्चर इंश्योंरेस कंपनी व सेंट्रल कोऑपरेटिव बैंक के प्रबंध निदेशक जवाहर प्रसाद ने बीमा के लिए जो पत्र जारी किया था.
दोनों पत्रों में काफी अंतर था. बीमा कंपनी ने कहा था कि किसानों के एलपीसी के आधार पर बीमा किया जायेगा. एलपीसी को लेकर कोई स्पष्ट गाइड लाइन नहीं था. लेकिन, एमडी के पत्र में स्पष्ट तौर पर था कि संयुक्त जमाबंदी में एलपीसी पर सीओ द्वारा बीमाकर्ता के वंशावली का जिक्र हो. एलपीसी धारी के हिस्से के जमीन का स्वामित्व स्पष्ट जिक्र हो.
अन्यथा बीमा के लिए एलपीसी नहीं ली जायेगी. बीमा प्रीमियम मुख्यालय भेजने के पूर्व एलपीसी का सत्यापन सीओ से करा लिया जाये. बीमा करने के दौरान किसी भी प्रकार की अनियमितता के लिए शाखा प्रभारी व शाखा के सहायक संयुक्त रू प से जवाबदेह होंगे. ऐसी स्थिति में बैंक के कर्मी व अधिकारी डर गये. काम नहीं हुआ.