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मुर्दे में जान डालने को सात घंटे हुई झाड़फूंक
मुजफ्फरपुर : एक तरफ विज्ञान की तरक्की व चांद छूने के दावे, तो दूसरी ओर मुर्दे में जान डालने को सात घंटे की मशक्कत. कितनी अजीब बात है, विकास के दावों के बीच अंधविश्वास व पिछड़ापन का दर्द रह-रह कर हरा हो जा रहा है. शनिवार को भी ऐसा ही हुआ, जब एक ओझा ने […]
मुजफ्फरपुर : एक तरफ विज्ञान की तरक्की व चांद छूने के दावे, तो दूसरी ओर मुर्दे में जान डालने को सात घंटे की मशक्कत. कितनी अजीब बात है, विकास के दावों के बीच अंधविश्वास व पिछड़ापन का दर्द रह-रह कर हरा हो जा रहा है.
शनिवार को भी ऐसा ही हुआ, जब एक ओझा ने सर्पदंश से मर चुके व्यक्ति को जिंदा करने का दावा करते हुए पूरे दिन घरवालों को उलझाये रखा. अगर घरवाले समय से अस्पताल पहुंच गये होते, तो शायद जान बच जाती.
हाथी चौक चकबासा निवासी पप्पू चौधरी पुत्र सतयुग चौधरी अपनी ससुराल ताजपुर के बछुआरा गया था. सुबह करीब नौ बजे उसे सांप ने डंस लिया. वह घर से किसी काम के लिए बाहर निकला था. घरवाले उसे लेकर प्रभात तारा अस्पताल पहुंचे, जहां से जवाब दे दिया गया.
वहीं किसी ने बताया कि अभी सांस चल रही है. शेरपुर गांव में रामचंद्र ठाकुर बाबा के यहां झाड़फूंक होती है, वहां लेकर जाइए ठीक हो जायेंगे. घर के लोग उसकी बातों पर यकीन करके किसी अस्पताल ले जाने की बजाय सीधे झाड़फूंक कराने के लिए पहुंच गये.
सुबह 11 बजे से उसकी ओझौती शुरू हुई, तो घरवालों की उम्मीद बढ़ गयी. ओझा ने इस दावे के साथ झाड़फूंक शुरू की कि अभी सांस चल रही है, वह बचा लेगा. देखते-देखते घंटा-दो घंटा करके शाम के छह बजे तक झाड़फूंक चला. घर वाले दूर बैठे इस बात का इंतजार करते रहे कि कब धड़कन शुरू हो और ओझा बोले कि ठीक हो गये. खैर, सात घंटे बाद ओझा के इनकार करने पर परिवार वाले शव लेकर घर लौटे. उसकी तीन पुत्री व एक पुत्र हैं. मौत की पुष्टि के बाद पत्नी व बच्चों की रोते-रोते हालत खराब है.
मुजफ्फरपुर : सिकंदरपुर स्थित बाल सुधार गृह (रिमांड होम) के एक बाल बंदी को शुक्रवार की देर रात बेहोशी की हालत में एसकेएमसीएच में इलाज के लिए भर्ती कराया गया. जहां चिकित्सकों ने आशंका जतायी की युवक ने कोई जहरीला पदार्थ खाया है, इसकी जांच चल रही है. बाल बंदी की हालत में सुधार है. बाल बंदी पारू थाना क्षेत्र के महदीलपुर का रहने वाला है.
वह अपहरण के मामले में पिछले कुछ दिनों से बाल सुधार गृह में रह रहा है. बाल बंदी ने कहा कि उसने कुछ खाया नहीं था. इस संबंध में रिमांड होम के अधीक्षक गोपाल कुमार ने बताया कि बाल बंदी को मिरगी की बीमारी है, जिसका इलाज से पूर्व से चल रहा था. उसके पिता से चिकित्सक का पूर्जा मांगा गया ताकि उसका बेहतर इलाज हो सके. शुक्रवार को उसके मामले की सुनवाई हो रही थी जहां उसे बेल नहीं मिली और उसे मिरगी आ गई.
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