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फर्जी लॉ डिग्री मामले में अधिकारियों तक पहुंची आंच

मुजफ्फरपुर: बीआरए बिहार विवि में 2006 में लॉ की फर्जी डिग्री बनाने के मामले में अब अधिकारी भी विवादों में घिर गये हैं. मामले में आरोपित सह सेवानिवृत्त कर्मी ब्रजभूषण शर्मा ने विवि की जांच कमेटी की रिपोर्ट पर सवाल उठाते हुए, अधिकारियों को बचाने का आरोप लगाया है. उसने विवि प्रशासन को पत्र लिख […]

मुजफ्फरपुर: बीआरए बिहार विवि में 2006 में लॉ की फर्जी डिग्री बनाने के मामले में अब अधिकारी भी विवादों में घिर गये हैं. मामले में आरोपित सह सेवानिवृत्त कर्मी ब्रजभूषण शर्मा ने विवि की जांच कमेटी की रिपोर्ट पर सवाल उठाते हुए, अधिकारियों को बचाने का आरोप लगाया है. उसने विवि प्रशासन को पत्र लिख कर मामले की नये सिरे से जांच कराने की मांग की है. इस विवि का कहना है कि मामला गंभीर है, जरूरत पड़ने पर दुबारा जांच करायी जायेगी. इससे तत्कालीन कुलसचिव, तत्कालीन परीक्षा नियंत्रक व परीक्षा विभाग के कई कर्मी भी विवादों में घिर सकते हैं. 2013 में गठित जांच कमेटी की रिपोर्ट में ब्रजभूषण की भूमिका इस मामले में संदिग्ध बतायी गयी थी.

उस पर रणजीत सिंह के नाम से अंक पत्र की फर्जी डुप्लीकेट कॉपी जारी करने का आरोप है. मामले में विवि की ओर से उस पर विवि थाना में प्राथमिकी भी दर्ज करायी गयी थी. ब्रजभूषण ने विवि प्रशासन को लिखे अपने पत्र में आरोपों को गलत बताया है. उसके अनुसार, उसने डुप्लीकेट अंक पत्र रोल नंबर, रजिस्ट्रेशन नंबर व टीआर रजिस्टर के आधार पर नियमों के तहत जारी किया था. उसने विवि प्रशासन से पांच बिंदुओं पर फिर से जांच की मांग की है. इसमें औपबंधिक प्रमाण पत्र किसने जारी किया और उस पर किसका हस्ताक्षर है? टीआर रजिस्टर का कस्टोडियन कौन था? यदि उसमें छेड़छाड़ हुई, तो इसके लिए कौन जिम्मेदार है? विवि में औपबंधिक प्रमाण पत्र कुलसचिव के हस्ताक्षर से जारी होता है, जबकि विवि में टीआर की एक कॉपी डिग्री सेक्शन व एक परीक्षा नियंत्रक परीक्षा नियंत्रक के कस्टडी में होती है.

ये है मामला
2006 में रणजीत सिंह नाम के एक व्यक्ति को विवि की ओर से लॉ का औपबंधिक प्रमाण पत्र जारी किया गया. इसमें उसका रोल नंबर 239 व पंजीयन संख्या 16480 बताया गया है. इसके आधार पर उसने पंजाब बार कौंसिल में लॉ की प्रैक्टिस के लिए आवेदन दिया. प्रमाण पत्र के सत्यापन के दौरान पता चला कि उसकी डिग्री फर्जी है. मामले में पंजाब पुलिस की टीम 2013 में विवि पहुंची. मामले का खुलासा होने के पर विवि की ओर से चार अप्रैल, 2013 को एक जांच कमेटी का गठन किया गया. इसमें 31 जनवरी, 2012 को सेवानिवृत्त हो चुके कर्मी ब्रजभूषण शर्मा को आरोपित बताया गया.
एक और कर्मी पर शक
मामले में विवि का एक और कर्मी आरोपित था. प्रमाण पत्र पर उसके हस्ताक्षर भी मिले थे. इसके आधार पर उसे विवि पीजी विभाग में स्थानांतरित भी कर दिया गया था, लेकिन जांच कमेटी ने उसे क्लीन चिट दे दी. पिछले दिनों दस कर्मियों को विवि में टेबुल स्थानांतरण किया गया. इसमें उक्त कर्मी को दुबारा परीक्षा विभाग में पोस्टिंग कर दी गयी है.
विवि को एक पत्र मिला है. आरोप की जांच के लिए परीक्षा विभाग से जांच कमेटी की रिपोर्ट मांगी जा रही है. जरू रत पड़ी तो रणजीत सिंह को जारी लॉ की डिग्री से संबंधित संचिकाओं की फिर से जांच की जायेगी. सूचना के अधिकार के तहत जो सवाल पूछे गये हैं, उसका जवाब देने के लिए भी यह जरू री है.
डॉ सतीश कुमार राय, कुलानुशासक

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