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बीआरएबिहार विवि: एजेंसी के फेर में फंसा छात्रों का कैरियर

मुजफ्फरपुर: बीआरए बिहार विवि में वर्ष 2011 में नामांकित दर्जनों छात्र-छात्रओं का पंजीयन नहीं हुआ है. बिना पंजीयन के ही अधिकांश ने स्नातक पार्ट वन, टू या थ्री की परीक्षा भी पास कर ली है. इसका खुलासा नामांकन के समय कॉलेजों से फी के साथ भेजे गये छात्रों के पैनल की जांच के दौरान हुआ […]

मुजफ्फरपुर: बीआरए बिहार विवि में वर्ष 2011 में नामांकित दर्जनों छात्र-छात्रओं का पंजीयन नहीं हुआ है. बिना पंजीयन के ही अधिकांश ने स्नातक पार्ट वन, टू या थ्री की परीक्षा भी पास कर ली है. इसका खुलासा नामांकन के समय कॉलेजों से फी के साथ भेजे गये छात्रों के पैनल की जांच के दौरान हुआ है. अभी कई और कॉलेजों से आये पैनल की जांच होनी है. ऐसे में आशंका जतायी जा रही है कि ऐसे कई और मामले सामने आ सकते हैं. मामले में प्रतिकुलपति डॉ प्रभा किरण ने परीक्षा विभाग से रिपोर्ट तलब किया है.
2011 में विवि को कंप्यूटराइज्ड करने का फैसला लिया गया था. इसके लिए विवि प्रशासन ने केंद्रीय भंडार के साथ अनुबंध किया. अनुबंध के तहत एजेंसी को छात्रों का पंजीयन भी करना था. इसके लिए कॉलेजों से फी के साथ रजिस्ट्रेशन फॉर्म व पैनल मंगवाया गया. पर बड़ी संख्या में छात्रों को पंजीयन संख्या एलॉट नहीं किया गया.
इधर, छात्रों ने बिना पंजीयन के ही पार्ट वन, टू व थ्री का परीक्षा फॉर्म भरना जारी रखा. लेकिन परीक्षा पास करने के बावजूद उनका रिजल्ट पेंडिंग होता चला गया. मुश्किल यह है कि एजेंसी काम छोड़ कर जा चुकी है व विवि के पास उसका कोई रिकॉर्ड नहीं है, जिसके कारण पेंडिंग रिजल्ट का सुधार नहीं हो पा रहा है.
छात्र की शिकायत पर शुरू हुई जांच
बीते साल रीत लाल सुरदीप यादव कॉलेज के छात्र बिनोद कुमार ने पार्ट थर्ड की परीक्षा दी थी. वह प्रथम श्रेणी से पास भी हुआ. लेकिन पंजीयन संख्या नहीं होने के कारण उसका अंकपत्र जारी नहीं किया गया. इसकी शिकायत उसने विवि अधिकारियों से की. मामले की जब जांच की गयी तो पता चला कि छात्र ने फी के साथ पंजीयन फॉर्म भरा था. फॉर्म विवि भी आया. कॉलेज के पैनल में भी उसका नाम है. इसके बाद कुलानुशासक डॉ सतीश कुमार ने 2011 में नामांकित सभी छात्रों के पंजीयन की जांच का निर्देश सेक्शन के कर्मचारियों को दी. बिनोद को राहत देने के लिए विवि अधिकारी मामले को परीक्षा बोर्ड में ले जाने पर विचार कर रही है. इसमें उसे विशेष पंजीयन संख्या जारी किया जा सकता है. हालांकि अंतिम फैसला कुलपति डॉ पंडित पलांडे के मुख्यालय लौटने के बाद होगा. इधर, विवि प्रशासन बिना पंजीयन कॉलेजों से फॉर्म भेजे जाने व छात्रों को एडमिक कार्ड जारी कर दिये जाने के मामले में कार्रवाई के मूड में है. इस संबंध में जल्द ही संबंधित लोगों को कारण बताओ नोटिस भेजा जायेगा.
जांच के क्रम में पता चला है कि 2011 में कई छात्रों के आवेदन व फी आने के बावजूद पंजीयन नहीं हुआ था. उस समय पंजीयन की जिम्मेदारी एक निजी एजेंसी को दी गयी थी. ऐसे छात्रों की संख्या कितनी है, इसका पता लगाया जा रहा है. सभी मामलों को परीक्षा बोर्ड में रखा जायेगा.
डॉ सतीश कुमार राय, कुलानुशासक

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