मुजफ्फरपुर: बीआरए बिहार विवि में 14 जुलाई को होने वाले दीक्षांत समारोह में पीजी के टॉपरों को सम्मानित करने का मामला फंस सकता है. ऐसा परीक्षा के रिजल्ट को राजभवन से मंजूरी नहीं मिले होने के कारण है. आयोजन समिति में शामिल दो सदस्यों, डॉ अशोक कुमार श्रीवास्तव व डॉ उपेंद्र मिश्र ने कुलपति डॉ पंडित पलांडे के समक्ष उठाया है. उनका तर्क है कि रिजल्ट को मंजूरी नहीं मिले होने के बावजूद यदि राज्यपाल टॉपरों को गोल्ड मेडल देते हैं, तो इससे विवाद पैदा हो सकता है. मामले की गंभीरता को देखते हुए कुलपति ने रिजल्ट की मंजूरी के लिए राजभवन को पत्र लिखने का फैसला लिया है.
सूत्रों की मानें तो खुद कुलपति वह पत्र लेकर राजभवन जा सकते हैं, ताकि समारोह से पूर्व रिजल्ट को मंजूरी दिलायी जा सके. गौरतलब है कि विवि प्रशासन ने दीक्षांत समारोह में पीजी के 25 टॉपरों को गोल्ड मेडल देने का फैसला लिया है. इसके लिए पंजीयन की प्रक्रिया भी पूरी हो चुकी है. मेडल लेने के लिए अभ्यर्थी पंद्रह सौ रुपये का बैंक ड्राफ्ट भी जमा कर चुके हैं.
परीक्षा बोर्ड में फैसला बदल दिया रेगुलेशन
विवि में सत्र 2011-13 से बिना राजभवन की मंजूरी के ही पीजी कोर्स में सेमेस्टर सिस्टम लागू कर दिया गया. बीते साल पहले सत्र के फोर्थ सेमेस्टर की परीक्षा भी हुई. इसमें करीब आठ हजार परीक्षार्थी शामिल हुए. इस बीच राजभवन ने 2014-15 से पूर्व पीजी में सेमेस्टर सिस्टम को मंजूरी देने से इनकार कर दिया. इस कारण लंबे समय तक रिजल्ट फंसा रहा. करीब आठ माह बाद मामला परीक्षा बोर्ड में रखा गया. कुलपति डॉ पंडित पलांडे की अध्यक्षता वाली बोर्ड ने रिजल्ट सेमेस्टर सिस्टम के बजाये पुराने रेगुलेशन के आधार पर वार्षिक मोड में निकालने का फैसला लिया. इसके लिए अंक पत्र का प्रारू प में भी बदलाव करते हुए प्रीवियस की जगह प्रीवियस वन व प्रीवियस टू एवं फाइनल की जगह फाइनल थ्री व फाइनल फोर अंकित करने का फैसला लिया गया. इसी आधार पर रिजल्ट जारी भी हुआ.
नियमों का नहीं हुआ पालन
विवि में किसी भी कोर्स को शुरू करने से पूर्व राजभवन से उसका रेगुलेशन व ऑर्डिनेंस पास कराना अनिवार्य है. इसमें नामांकन की प्रक्रिया, फी स्ट्रक्चर, परीक्षा का प्रारू प आदि का जिक्र रहता है. नियमों के तहत रेगुलेशन के निर्माण या परिवर्तन के लिए पहले एकेडमिक कौंसिल, सिंडिकेट व सीनेट से प्रस्ताव पास कराना अनिवार्य होता है. आखिर में प्रस्ताव राजभवन को भेजा जाता है. पीजी के रिजल्ट के मामले में इन नियमों की अनदेखी हुई. सिर्फ परीक्षा बोर्ड की बैठक बुला कर परीक्षा सिस्टम व अंक पत्र का प्रारू प बदल दिया गया. विवि का तर्क है कि रिजल्ट पुराने रेगुलेशन के आधार पर निकाला गया. यदि इसे मान लिया जाये तो कोर्स के फी स्ट्रक्चर के साथ भी छेड़छाड़ हुई. प्रभात खबर ने उसी समय इस मामले को उठाते हुए, ‘विवि से जारी पीजी के मार्क्सशीट होंगे अमान्य!’ शीर्षक से खबर भी छापी थी. तब अधिकारियों ने ऐसी किसी आशंका से इनकार किया था.
दीक्षांत समारोह के आयोजन समिति ने पीजी के रिजल्ट को राजभवन से मंजूरी नहीं मिले होने का मामला कुलपति के समक्ष रखा है. इस मामले में राजभवन को पत्र लिखा जा रहा है. उम्मीद है 14 जुलाई से पूर्व रिजल्ट को मंजूरी मिल जायेगी. इसके लिए खुद कुलपति पहल कर रहे हैं.
डॉ रत्नेश मिश्र, कुलसचिव