मुजफ्फरपुर: आज के समय में सूक्ष्म, लघु व मध्यम उद्यम (एमएसएमइ) के आठ फीसदी उद्यमियों को ही बैंक से सुविधा मिल रही है. जबकि एमएसएमइ के विकास में बैंकों की भूमिका अहम होती है. इस क्षेत्र का विकास तभी संभव है जब वह अधिक से अधिक बैंक से जुड़े. ऐसे में जहां बैंक डिपोजिट ले, वहीं पर फाइनेंस भी करें. यह बातें रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआइ) के क्षेत्रीय निदेशक एमके वर्मा ने कही. वे बुधवार को रामदयालु स्थित एक होटल के सभागार में एमएसएमइ संबंधित टाउन हॉल कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे. उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार ने देश भर में 60 क्लस्टरों को विकास के लिए चिह्न्ति किया है. इसमें से एक मुजफ्फरपुर स्थित फूड प्रोसेसिंग क्लस्टर है.
मुख्य वक्ताओं में आरबीआइ जीएम स्वरूप सिंह, ज्वाइंट डायरेक्टर इंडस्ट्री डिपार्टमेंट (जीओपी) सरिता चौधरी, डायरेक्टर एमएसएमइ-डीआइ (जीओआइ) प्रदीप कुमार, जीएम एसबीआइ सह एसएलबीसी कनवेनर बैंक एसके भट्टाचार्य, डीजीएम सिडबी एलके महापात्र, डिप्टी सीइओ केवीआइसी इपी लेप्चा, बीआइए अध्यक्ष नीशीत जायसवाल, डीजीएम आइडीबीआइ बैंक रिजवान खान शामिल थे.
कार्यक्रम का संचालन रविशंकर प्रसाद, शैलजा सिंह, प्रवीण कुमार व धन्यवाद ज्ञापन डीजीएम आरपीसीडी आरबीआइ एसके देव ने किया. इस दौरान सेंट्रल बैंक जेडएम एसके राय, एलडीएम डॉ एचके झा, एसबीआइ डीजीएम डीके पांडा, आरएम पीके मिश्र, पीएनबी सीएम एमसी भट्ट, ग्रामीण बैंक अध्यक्ष बीएस हरिलाल, जीएम ओपी सिंह, इलाहाबाद बैंक मंडल प्रमुख एचएस मलिक, बॉब एजीएम टीपी मिश्र सहित विभिन्न बैंकों के पदाधिकारी व सैकड़ों की संख्या में उद्यमी शामिल थे.
छोटे उद्योग में बदलाव जरूरी
इस क्षेत्र का विकास तभी संभव है जब इसमें समय के साथ बदलाव किया जाये. ऐसे में बैंकों का काम केवल ऋण देना ही नहीं है. बल्कि बैंकों को इस क्षेत्र से जुड़े लोगों को समय के साथ हो रहे बदलाव के बारे में बताना होगा. इतना ही नहीं कई बार जानकारी, साधन, संचार की कमी के कारण योग्य उद्यमी बैंकिंग सेवाओं से वंचित रह जाते हैं. इस फासले को भी बैंकों को कम करने की जरूरत है. इस दौरान उद्यमियों ने अपनी समस्याएं बतायी, जिस पर सभी बैंक पदाधिकारियों ने शीघ्र कार्रवाई का आश्वासन दिया. साथ ही सभी बैंक पदाधिकारियों से कहा गया कि वह कारण बता कर किसी प्रपोजल को लौटाये और मार्गदर्शन करें.