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3.52 करोड़ का गबन : बैंकर पर आरोप गठित

मुजफ्फरपुर: एसबीआइ के 3.52 करोड़ की एटीएम राशि घोटाले मामले में सुनवाई कर रहे न्यायिक दंडाधिकारी एके दीक्षित ने एसबीआइ रेडक्रॉस शाखा के तत्कालीन लेखा पदाधिकारी अमरेश सिन्हा के विरुद्ध आरोप गठन की कार्रवाई की है. एसबीआइ के एटीएम कैश लोड के घोटाले को लेकर एसआइएस कैश सर्विसेज के सहायक मैनेजर रविकांत ओझा ने एक […]

मुजफ्फरपुर: एसबीआइ के 3.52 करोड़ की एटीएम राशि घोटाले मामले में सुनवाई कर रहे न्यायिक दंडाधिकारी एके दीक्षित ने एसबीआइ रेडक्रॉस शाखा के तत्कालीन लेखा पदाधिकारी अमरेश सिन्हा के विरुद्ध आरोप गठन की कार्रवाई की है.

एसबीआइ के एटीएम कैश लोड के घोटाले को लेकर एसआइएस कैश सर्विसेज के सहायक मैनेजर रविकांत ओझा ने एक जनवरी 2014 को सदर थाना में कांड संख्या 1/14 दर्ज कराया था. इसमें कस्टोडियन वैशाली के कर्मोपुर निवासी अमरेंद्र कुमार सिंह व सूरज कुमार सिंह को आरोपित बनाया गया था.

पुलिस को दिये गये बयान में श्री ओझा ने आरोप लगाया था कि उनकी कंपनी एटीएम में कैश लोड करने का काम करती है. इसी काम को अमरेंद्र कुमार सिंह व सूरज कुमार सिंह करते थे. 29 दिसंबर 2013 को इन्हें पता चला कि बीबीगंज स्थित एटीएम में पैसा का हिसाब नहीं मिल रहा है. एटीएम में पैसा एसबीआइ रेडक्रॉस शाखा से जाता था. 30 दिसंबर 2013 को सारा रिकॉर्ड देखने पर पता चला कि 1.14 करोड़ रुपये का हिसाब नहीं मिल रहा है. यह पैसा इन्हीं दोनों कस्टोडियन ने गायब किया था. इसके बाद पुलिस ने एसआइएस के एक्जीक्यूटिव वैशाली कर्मोपुर निवासी कुणाल रंजन उर्फ डंपी को 7 जनवरी 2014 को गिरफ्तार कर जेल भेजा और 6 मार्च 2014 को चाजर्सीट दाखिल की. इसके बाद कस्टोडियन अरमेंद्र कुमार सिंह व सूरज सिंह ने 29 मई 2014 को न्यायालय में आत्मसमर्पण किया.

इसके बाद पुलिस ने इनके विरुद्ध 2 अप्रैल को चाजर्सीट दाखिल किया.

वहीं लेखा पदाधिकारी अमरेश कुमार सिन्हा को समाहरणालय परिसर से 22 अप्रैल 2014 को पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल भेजा था. अभी श्री सिन्हा बेल पर बाहर है. हाइकोर्ट के आदेश पर इन सभी के विरुद्ध चल रहे अलग-अलग ट्रायल को एक साथ करते हुए मामले के निष्पादन का आदेश दिया है. एसबीआइ रेडक्रॉस के लेखा पदाधिकारी अमरेश सिन्हा की ओर से 20 फरवरी को दायर आरोप मुक्ति के आवेदन को सीजेएम वेद प्रकाश सिंह ने खारिज कर दिया है.

इसके बाद सीजेएम ने हाइकोर्ट के 6 फरवरी को दिये गये स्पीडी ट्रायल के आदेश के तहत इस मामले में चल रहे चार अलग-अलग ट्रायल को एक साथ कर दिया है. इसे ट्रायल के लिए सीजेएम ने मामले को न्यायिक दंडाधिकारी (मजिस्ट्रेट) एके दीक्षित के न्यायालय में भेज दिया और छह माह में मामले को निबटाने का आदेश दिया था.

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