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मुजफ्फरपुर जंकशन पर टूटा ओएचइ का तार मालगाड़ी पर गिरा, प्लेटफॉर्म पर करंट, 11 झुलसे
मुजफ्फरपुर: मुजफ्फरपुर जंकशन स्थित यार्ड के लाइन नंबर छह में लगे ओएचइ (ओवर हेड इलेक्ट्रिफिकेशन) का तार टूट गया. इससे 25 हजार वोल्ट का करंट प्लेटफॉर्म नंबर चार-तीन के बीच लगे दो खंभों में आ गया. इसकी चपेट में आकर 11 यात्री झुलस गये. इनमें तीन की हालत गंभीर हैं, जिन्हें इलाज के लिए पीएमसीएच […]
मुजफ्फरपुर: मुजफ्फरपुर जंकशन स्थित यार्ड के लाइन नंबर छह में लगे ओएचइ (ओवर हेड इलेक्ट्रिफिकेशन) का तार टूट गया. इससे 25 हजार वोल्ट का करंट प्लेटफॉर्म नंबर चार-तीन के बीच लगे दो खंभों में आ गया. इसकी चपेट में आकर 11 यात्री झुलस गये. इनमें तीन की हालत गंभीर हैं, जिन्हें इलाज के लिए पीएमसीएच भेजा गया है. हादसा लगभग 3.50 बजे हुआ, जब प्लेटफॉर्म नंबर चार पर वैशाली एक्सप्रेस व तीन पर मुंबई जानेवाली पवन एक्सप्रेस खड़ी थी. करंट आने से प्लेटफार्म पर अफरा-तफरी मच गयी. यात्री इधर-उधर भागने लगे. इसमें भी कई यात्रियों को चोटें आयीं हैं. हादसे के बाद डीआरएम समेत रेलवे के वरिष्ठ अधिाकारी मुजफ्फरपुर पहुंचे.
जानकारी के अनुसार, प्लेटफार्म नंबर 3/4 के पश्चिमी छोर पर दर्जनों यात्री लुधियाना जाने के लिए कर्मभूमि एक्सप्रेस का इंतजार कर रहे थे.
3.50 बजे यार्ड की लाइन नंबर छह में लगे ओएचइ के पोल (5021ए) का तार टूट कर गिर गया, जिसकी वजह से प्लेटफार्म नंबर चार पर लगे दो पोल में करंट आ गया. इन दोनों पोल के आसपास बैठे यात्रियों को करंट लगा, जिसमें 11 लोग झुलस गये. करंट 25 हजार वोल्ट का था. प्लेटफॉर्म पर करंट देख कर यात्रियों में भगदड़ मच गयी. कुछ ही देर में प्लेटफॉर्म नंबर तीन व चार खाली हो गये. दोनों ट्रेनों को लगभग बीस मिनट तक प्लेटफॉर्म पर ही रोके रखा गया. इस बीच लाइन काट कर झुलसे यात्रियों को इलाज के लिए अस्पताल पहुंचाया गया, जंकशन के अधिकारियों ने रेलवे के वरिष्ठ अधिकारियों को सूचना दी.
जिस समय ये हादसा हुआ, उस समय लाइन नंबर छह पर कोयले से लदी मालगाड़ी खड़ी थी. बताते है कि उक्त दोनों पोल बिजली सप्लाई के बेस हैं. तार टूटने के बाद पोल से छुआ. इसी वजह से इनमें करंट आया. करंट की सूचना मिलते ही स्टेशन अधीक्षक सुधीर कुमार सहित कई रेल कर्मी मौके पर पहुंच गये. आनन-फानन में लाइन काटी गयी. बताया जाता है कि अगर तार मालगाड़ी पर नहीं गिरता, तो ये प्लेटफॉर्म नंबर चार पर खड़ी वैशाली से टकराता, जिससे बड़ा हादसा हो सकता था.
बताया जाता है कि पांच से छह मिनट तक उक्त दोनों पोल में करंट रहा. लाइन काटने के बाद झुलसे यात्रियों को सदर अस्पताल
ले जाया गया, जहां सभी का प्राथमिक इलाज किया गया. सोनपुर मंडल के अपर मुख्य चिकित्सा अधीक्षक के बी झा ने बताया कि सभी यात्रियों की स्थिति खतरे से बाहर है. एक यात्री चालीस प्रतिशत तक जल गया है. झुलसे यात्रियों में सात नेपाल के रहने वाले है, जबकि एक-एक सीतामढ़ी, पटना व मुजफ्फरपुर के है. दिनेश, बीजू व सतीश को एसकेएमसीएच रेफर किया गया है.
इधर, सोनपुर मंडल के सीनियर डीसीएम दिलीप कुमार ने कहा कि झुलसे दो यात्रियों की स्थिति चिंताजनक है. उन्होंने कहा कि जो यात्री झुलसे हैं, उनका इलाज रेलवे की ओर से कराया जायेगा. साथ ही उन्हें पांच हजार रुपये की मदद दी जायेगी. वहीं, गुरुवार के तार टूटने की जांच शुरू होगी, जिसकी रिपोर्ट तीन दिन में आ जायेगी.
वहीं, घटना के कुछ देर बाद प्लेटफॉर्म नंबर तीन व चार पर रेलों का परिचालन सामान्य हो गया. उस जगह को घेर दिया गया है, जहां पोल में करंट आया था. रेलवे अधिकारियों ने कहा कि दोनों खंभों के पास बैरिकेट लगा दिये जायेंगे, ताकि यात्री उसके आसपास नहीं बैठ सकें.
हाइटेंशन तार में सर्किट ब्रेकर नहीं होने से हुआ हादसा
जंकशन पर लगे हाइटेंशन तार (ओवर हेड इलेक्ट्रिफिकेशन) में अगर सर्किट ब्रेकर लगा होता, तो इस बड़ी घटना को टाला जा सकता था. ओएचइ के तहत हाई टेंशन तार लगाने के बाद रख-रखाव में लापरवाही सामने आयी है. तकनीकी जानकारों का कहना है कि घटना किसी भी कारण से हुई हो, अगर सर्किट ब्रेकर होता, यह घटना नहीं होती. तार गिरने या टूटने के बाद ब्रेकर के तौर पर लगा फ्यूज उड़ा जाता, जिससे करंट का प्रवाह अपने आप रुक जाता. कम से कम रेलवे को प्लेटफार्म एरिया के पास ब्रेकर लगाना चाहिए, ताकि भविष्य में इस तरह की घटना नहीं हो सके. यहीं नहीं, स्टेशन एरिया में लगे तार में स्टील का हुक भी नहीं लगा होना एक कारण माना जा रहा है. अगर तार में हुक लगा होता, तो ब्रैकेट गिर कर अटक सकता था. सोनपुर मंडल के डीआरएम राजेश तिवारी का कहना था कि तार पर पक्षी के बैठने से शॉट सर्किट से यह हादसा हुआ है, जबकि तीन पूर्व ही हाई टेंशन तार को चेक करने वाला टावर वैगन ने निरीक्षण किया था. फिलहाल टावर वैगन नारायणपुर में खड़ी है. यह भी कहा जा रहा है कि मैनेटनेंस के दौरान ही कहीं तार लगा ब्रैकेट का नट तो खुला नहीं रह गया. हालांकि पूरे मामले की जांच रेलवे के जूनियर एडमिनिस्ट्रेटिव ग्रेड के तीन अधिकारी को दी गयी है.
क्यों नहीं की गयी पोल की घेराबंदी?
प्लेटफार्म पर लगे जिस पोल में करंट आया, उस जगह पर घेराबंदी करने का प्रावधान है. जाली से घेराबंदी कर चेतावनी भी लिखा होना चाहिओ, लेकिन ओएचइ तार में करंट प्रवाहित होने के बाद भी पोल की घेराबंदी नहीं कर लापरवाही बरती गयी?
..तो वैशाली पर गिरता तार
यह संयोग है कि लाइन नंबर छह पर कोयला से लदी मालगाड़ी खड़ी थी. अगर मालगाड़ी नहीं खड़ी होती तो तार लगा ब्रैकेट हवा में झूल कर वैशाली एक्सप्रेस से जा टकराती, जिससे और बड़ी घटना हो सकती थी. एक प्रत्यक्षदर्शी का कहना था कि प्लेटफार्म नंबर तीन पर पवन एक्सप्रेस लग चुकी थी. पवन के पैसेंजर ट्रेन में बैठ चुके थे. अगर थोड़ी देर पहले यह घटना होती, तो कुछ भी हो सकता था. हालांकि घटना के बाद पुल पर मची भगदड़ में कई जख्मी भी हो गये.
ये यात्री झुलसे
. धरम महतो, तेजा पाकड़, नेपाल
.रुपा महतो, तेजा पाकड़, नेपाल
.जंगली महतो,तेजा पाकड़, नेपाल
.रवीद्र राउत,तेजा पाकड़, नेपाल
.कपिल देव पंडित,तेजा पाकड़, नेपाल
.राकेश, हरिबेला, सीतामढ़ी
.दिनेश महतो,तेजा पाकड़, नेपाल
.बीगू महतो,तेजा पाकड़, नेपाल
.सतीश कुमार, पटना
. कांचा, सिकंदरपुर
. महेश महतो,तेजा पाकड़, नेपाल
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