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लक्षणों साथ एइएस ने जगह भी बदली

इस सीजन में कई प्रखंडों के नये गांव बीमारी से हुए प्रभावितमुकाम तक नहीं पहुंच रहा विशेषज्ञों का रिसर्चवरीय संवाददाता, मुजफ्फरपुर : एइएस ने इस बार लक्षण के साथ जगह भी बदली है. इस सीजन में एइएस से ऐसे कई गांव प्रभावित हुए हैं, जहां पिछले वर्ष यह बीमारी नहीं थी. बीमारी का मूल कारण […]

इस सीजन में कई प्रखंडों के नये गांव बीमारी से हुए प्रभावितमुकाम तक नहीं पहुंच रहा विशेषज्ञों का रिसर्चवरीय संवाददाता, मुजफ्फरपुर : एइएस ने इस बार लक्षण के साथ जगह भी बदली है. इस सीजन में एइएस से ऐसे कई गांव प्रभावित हुए हैं, जहां पिछले वर्ष यह बीमारी नहीं थी. बीमारी का मूल कारण हाइपोग्लेसेमिया (शरीर में चीनी की कमी) मान रहे विशेषज्ञों को बीमारी के लक्षण मे हाइपर ग्लेेसेमिया (शरीर में चीनी बढ़ा हुआ) मिला है. बीमारी के इस लक्षण से विशेषज्ञ पहले ही चिंतित थे. स्वास्थ्य विभाग की ओर पिछले दो-तीन वर्षों से बीमारी से प्रभावित रहे गांवों को चुना गया था. विशेषज्ञ उन जगहों पर जाकर लोगों के खान-पान का अध्यययन कर रहे थे. लेकिन इस बार कई प्रखंडों के ऐसे कई गांव में बीमारी का प्रकोप बढ़ा है, जहां पहले बीमारी नहीं हुई थी. डॉक्टरों का कहना है कि इस बार बीमारी ने लक्षण के साथ अपनी जगह भी बदल ली है. इसका स्वरूप चेंज हो रहा है. लक्षणों में भी किसी बच्चे का सोडियम व शूगर कम होता है तो किसी का बढ़ा हुआ. हालांकि अब तक अटलांटा स्थित सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल के विशेषज्ञ बीमारी के कारणों की खोज नहीं कर पाये हैं. इन गांवों में बढ़ा एइएस का प्रकोपइस सीजन में बीमारी ने कुछ नये गांवों को प्रभावित किया है, जिसमें कांटी के बथनाहा, बनरूठा, औराई के परसामा, मीनापुर के मझौलिया, कटरा के पहसौल, मधेपुरा, कुढ़नी के लदौरा, मनियारी, पारू के सिंगाही, मझौलिया, बोचहां के रामपुर जयपाल, मोतीपुर के फातेह व गायघाट का हथुआ शामिल है.

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