मुजफ्फरपुर: इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के आन पर शुक्रवार की आधी रात से शहर के सभी प्राइवेट डॉक्टर तीन दिनों की हड़ताल पर चले गये. पुलिस प्रशासन से तीन सूत्री मांगों को पूरा नहीं होने पर डॉक्टरों ने बैठक कर यह निर्णय लिया था. आइएमए के फैसले का यह असर रहा कि रात के 12 बजते ही शहर के सभी नर्सिग होम पर हड़ताल की सूचना टंग गई व मुख्य द्वार को बंद कर दिया गया.
इस दौरान सीरियस मरीजों को भी भरती नहीं किया गया. हालांकि नर्सिग होम में भरती मरीजों के इलाज में दिक्कत नहीं हुई. रोज की तरह उनके इलाज के लिए नर्सिग होम में डॉक्टर मौजूद थे. शुक्रवार की रात 11.45 बजे जूरन छपरा के रोड नं. 4 स्थित प्रशांत हॉस्पिटल के बाहरी परिसर को खाली करा कर मुख्य द्वार में ताला जड़ दिया गया.
यहां रात के 11.55 से ही हड़ताल शुरू की दी गयी. जबकि केजरीवाल अस्पताल का मुख्य द्वार रात के 11.59 में बंद किया गया. इससे पहले आने वाले मरीजों को नहीं रोका गया. हालांकि केजरीवाल अस्पताल के मुख्य द्वार के समीप हड़ताल से संबंधित कोई सूचना नहीं लगी थी. केजरीवाल अस्पताल परिसर के अंदर सूचना बोर्ड पर हड़ताल की सूचना दी गई थी. हालांकि प्रबंधक की ओर से यहां अपने मरीजों को एसकेएमसीएच ले जाने वाले लोगों के लिए मुफ्त एबुलेंस की व्यवस्था करने का निर्देश था. डॉक्टरों के आन पर शहर के अन्य नर्सिग होम भी रात 12 बजे से बंद हो गये.
भरती मरीजों के इलाज में नहीं हुई परेशानी. नर्सिग होम में पहले से भरती मरीजों के इलाज में परेशानी नहीं हुई. मरीजों के इलाज के लिए यहां रोज की तरह चिकित्सक उपलब्ध थे. केजरीवाल अस्पताल में महिला रोग विशेषज्ञ डॉ आरती द्विवेदी व शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ केके मिश्र अस्पताल में भरती मरीजों का इलाज कर रहे थे. आइएमए के सचिव डॉ संजय कुमार ने कहा कि हड़ताल में सिर्फ नये मरीजों को भरती नहीं लेना है. पहले से भरती मरीजों की चिकित्सा बाधित नहीं करनी है. सभी डॉक्टर इस बात को समझते हैं. इसलिए उन्हें कोई परेशानी नहीं होगी. भाषा के प्रदेश सचिव डॉ सुरेश प्रसाद सिंह ने कहा कि सरकारी सेवा बाधित नहीं होगी. सरकारी डॉक्टर अस्पताल में डय़ूटी करेंगे. लेकिन अपने क्लीनिक या नर्सिग होम को बंद कर हड़ताल का समर्थन देंगे.