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शहर में बेहतर बिजली आपूर्ति का दावा फेल

मुजफ्फरपुर: बिजली कंपनी एस्सेल का बेहतर बिजली आपूर्ति का दावा फेल हो रहा है. कम आपूर्ति व लो वोल्टेज के कारण शरीर झुलसाने वाली गरमी में लोगों को जीना मुहाल हो गया है. शाम ढलने के साथ बिजली के आंख मिचौनी का खेल शुरू हो जाता है. लोड शेडिंग होने से शहर से लेकर ग्रामीण […]

मुजफ्फरपुर: बिजली कंपनी एस्सेल का बेहतर बिजली आपूर्ति का दावा फेल हो रहा है. कम आपूर्ति व लो वोल्टेज के कारण शरीर झुलसाने वाली गरमी में लोगों को जीना मुहाल हो गया है. शाम ढलने के साथ बिजली के आंख मिचौनी का खेल शुरू हो जाता है. लोड शेडिंग होने से शहर से लेकर ग्रामीण इलाके की बत्ती गुल हो जाती है. बिजली के इंतजार में लोगों को रतजगा करना पड़ रहा है. इधर, गरमी शुरू होने के साथ शहर के आधे हिस्सा में लो वोल्टेज की समस्या बनी हुई है. इसके वजह से बिजली उपलब्ध रहने के बाद भी पंखा की हवा व रोशनी के लिए लोगों को तरसना पड़ रहा है.

पानी का मोटर व फ्रिज चलाने के लिए वोल्टेज का जुगाड़ करना पड़ता है. स्थिति यह है कि वोल्टेज बढ़ाने के लिए स्टेवलाइजर का सहारा लेना पड़ता है. खासकर जिस इलाके में ट्रांसफॉर्मर से न्यूट्रल का तार नहीं निकाला गया है, वहां वोल्टेज की गंभीर समस्या बनी हुई है. शहर के भगवानपुर, मिठनपुरा, कलमबाग चौक, सतपुरा, अघोरिया बाजार, आम गोला, रामदयालु, अतरदह, इंदिरा नगर, मझौली धर्मदास, पोखरिया पीर आदि इलाके में लोग लो वोल्टेज से परेशान हैं. परेशानी का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि लोग पूरे घर की बत्ती ऑफ कर मोटर चलाते हैं. एसी व कूलर तो इस इलाके में काफी दिनों से ठंडा पड़ा हुआ है.

ट्रिप कर रही बिजली, नहीं बढ़ी क्षमता. फीडरों पर अधिक लोड होने के कारण पीक ऑवर (शाम 6 से 10 बजे ) तक बिजली का आवाजाही लगी रहती है. इससे बिजली उपकरण के खराब होने का खतरा बना रहता है. स्थिति यह है कि हर दस-पंद्रह मिनट के अंतराल पर बिजली आती-जाती रहती है. फीडरों से लोड घटाने व पावर ट्रांसफॉर्मर की क्षमता बढ़ाने के लिए पिछले चार वर्ष से कवायद चल रही है. बिजली कंपनी (एस्सेल) ने आपूर्ति की कमान संभालने के साथ प्राथमिकता के आधार पर फीडर को बांट कर लोड कम करने की बात कही थी. लेकिन फिलहाल यह हवाहवाई ही साबित हुआ है. लोड कम करने के नाम पर कुछ खास इलाके के डिस्ट्रीब्यूशन ट्रांसफॉर्मर की क्षमता ही बढ़ायी गयी. कंपनी की ओर से अधिक उपभोक्ता वाले इलाके में 500 केवीए का ट्रांसफॉर्मर लगाने का दावा किया गया था.
रात में नहीं ठीक होता फॉल्ट. रात में तार टूटने, ट्रांसफॉर्मर का फ्यूज उड़ने या गड़बड़ी आने पर बिजली ठीक नहीं हो पाती है. पावर स्टेशन में रात्रि सेवा के नाम पर खानापूर्ति की जाती है. रात की गड़बड़ी को सुबह में ठीक किया जाता है. एक फीडर का मेटेनेंस एक लाइनमैन के सहारे है.
कस्टमर केयर पर नहीं लिया जाता नोटिस. बिजली खराब होने या किसी तरह की इमरजेंसी होने पर सूचना देने के लिए उपभोक्ताओं को कड़ी मशक्कत करनी पड़ती है. कस्टमर केयर में संयोग से ही फोन लगता है. जहां तक पावर स्टेशन या वहां कार्यकरत अधिकारी से संपर्क करने की बात है, तो एस्सेल कंपनी इनका मोबाइल व बेसिक नंबर सार्वजनिक करने से परहेज करती है. स्थिति यह है कि तार टूटने व आग लगने जैसी बड़ी घटना में भी समय पर सूचना देना मुश्किल है.

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