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कसैलिया लीची पर मौसम का असर नहीं

मुजफ्फरपुर: बेमौसम बारिश, नमी के कारण शाही व चाइना लीची को कीड़े व फंगस ने भले ही बरबाद कर दिया, लेकिन देसी लीची कसैलिया का मौसम बाल बांका भी नहीं कर सका है. इसके 95 प्रतिशत फल स्वस्थ हैं. इसमें स्टोन बोरर नहीं है. फंगस नहीं लगे हैं. देसी प्रभेद होने के कारण इसमें दोनों […]

मुजफ्फरपुर: बेमौसम बारिश, नमी के कारण शाही व चाइना लीची को कीड़े व फंगस ने भले ही बरबाद कर दिया, लेकिन देसी लीची कसैलिया का मौसम बाल बांका भी नहीं कर सका है. इसके 95 प्रतिशत फल स्वस्थ हैं. इसमें स्टोन बोरर नहीं है. फंगस नहीं लगे हैं. देसी प्रभेद होने के कारण इसमें दोनों प्रकार की लीची की तुलना में फल भी अधिक आये हैं. अगर देसी वैराइटी को बागों में जगह मिलती है तो विपरीत परिस्थिति में किसानों को यह लीची कंगाल होने से बचा सकती है. हालांकि इस लीची के पौधों की संख्या काफी कम है.
भटौलिया के अविनाश कुमार बताते हैं कि उनके बाग में कसैलिया प्रजाति की लीची के पेड़ हैं. जब विपरीत मौसम में शाही व चाइना लीची बरबाद हो जाती है, उस हालात में भी कसैलिया लीची का बेहतर उत्पादन होता है. विपरीत मौसम में लीची के फलन क्रिया का तीन वर्ष के अध्ययन के आधार पर बताते हैं कि 2013 में तीन दिन तक हुई बारिश में चाइना धुल गयी. लेकिन, कसैलिया लीची का कुछ नहीं बिगड़ा. काफी उत्पादन हुआ. 2012 में भीषण गरमी थी. शाही व चाइना फट कर टपक गयी. लेकिन, कसैलिया लीची डालियों में झुंड में टिकी रही. वर्ष 2015 में शाही व चाइना बरबाद हो गयी, लेकिन इस देसी लीची में कीड़े या फंगस नहीं लगे हैं. फलों की संख्या भी शाही व चाइना से अधिक है. यह लीची शाही व चाइना को टक्कर दे सकती है. नये बाग में 40 फीसदी कसैलिया, शाही व चायना को 60 फीसदी लगाने से एक विकल्प के रूप में लिया जा सकता है.
जिस प्रकार विपरीत मौसम में यह लीची टिकी हुई है, कहा जा सकता है कि इसमें वितरीत मौसम से पनपने वाली सभी बीमारियों से लड़ने की क्षमता अधिक है. संस्थान इस बार से ज्यादा से ज्यादा कलम तैयार करवायेगा और किसानों को इसके खासियत के बारे में जानकारी देगा. भीषण धूप में फल बची हुई थी. 2013 में तीन दिन तक हुई बारिश में समय चाइना धुल गयी थी, लेकिन इस पर कोई असर नहीं देखा गया. इसमें चाइना व शाही से ज्यादा फल है. इस पर रिसर्च हो. अगर देसी माटी व स्थानीय मौसम के अनुकूल है तो बागों में इसके पौधों को बढ़ावा देने की जरू रत है.

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