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किसान निराश: सरकार से आपदा प्रबंधन की नीति बदलने की मांग बरबाद हुई है लीची, मिलना चाहिए मुआवजा

मुजफ्फरपुर: लीची की फसल कीड़े व फंगस से बरबाद हो गई. लेकिन आपदा प्रबंधन की मौजूदा नीतियों से किसानों को कोई फायदा नहीं होगा. ऐसे में किसानों की गोलबंदी शुरू हो गई है. मंगलवार को जिले के प्रमुख लीची उत्पादक किसान संयुक्त भवन कैंपस स्थित हनुमान मंदिर पर एकत्र हुए. सबने बेबाकी से अपनी बातें […]

मुजफ्फरपुर: लीची की फसल कीड़े व फंगस से बरबाद हो गई. लेकिन आपदा प्रबंधन की मौजूदा नीतियों से किसानों को कोई फायदा नहीं होगा. ऐसे में किसानों की गोलबंदी शुरू हो गई है. मंगलवार को जिले के प्रमुख लीची उत्पादक किसान संयुक्त भवन कैंपस स्थित हनुमान मंदिर पर एकत्र हुए. सबने बेबाकी से अपनी बातें रखी. यहां एक ही मुद्दा छाया रहा. केंद्र व राज्य की सरकारें आपदा प्रबंधन की नीतियां बदले. जिससे लीची किसानों के नुकसान की भरपाई हो सके. क्योंकि कृषि की जो मौजूदा हालत है, उसमें किसान कहीं के नहीं रह गये हैं. आपदा प्रबंधन की नीतियां लीची किसानों को आत्म हत्या के लिए मजबूर कर रही है.
बैठक के बाद किसानों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार व कृषि मंत्री विजय कुमार चौधरी को पत्र भेजा है. इसके साथ, उद्यान निदेशालय व कृषि निदेशक को भी पत्र दिया गया. सभी को इ मेल के जरिये पत्र भेजा गया है. किसानों का कहना है कि बारिश, पुरवा हवा व नमी युक्त मौसम के कारण लीची में कीड़े व फंगस का हमला हुआ. लेकिन, नुकसान का आकलन नहीं होना, इसे प्राकृतिक आपदा नहीं मानना अन्याय है. ऐसे में किसानों की स्थिति और दयनीय हो जायेगी.
किसानों की हालत यह है कि पिछले साल अक्तूबर के अंत में भीषण बारिश के चलते धान की फसल डूब गयी. खेतों में खड़ा व कटा हुआ धान अंकुर गया. जो धान बचा था, पैक्सों को दिया गया, आज तक भुगतान नहीं हो सका है. इसके बाद भी हार नहीं माने. रबी की खेती इस साल की थी. शुरू से फसल बेहतर थी. लेकिन फरवरी के मध्यम में आयी बारिश में सारी उम्मीदें धुल गई. फिर लगातार पुरवा हवा व नमी के कारण सैनिक कीट गेहूं व मक्का की फसल पर हमला कर दिया. आंखों के सामने गेहूं, मक्का व गन्ना की खेती बारी-बारी से बरबाद हो गई. इसके बाद रही सही कसर मार्च के अंत में आयी आंधी व बारिश ने पूरी कर दी. पूरे फसल में फंगस लग गया. गेहूं देखने लायक नहीं रह गया.
फिर जायद फसल की खेती की थी. उम्मीद जगी कि मूंग का उत्पादन बेहतर होगा. लेकिन इसमें बिहार हेयरी कैटर पीलर का हमला हो गया. देखते ही देखते मूंग ऐलो मोजैक वायरस व कैटर पीलर की चपेट में आ गया. सब कुछ बरबाद हो गया. कर्ज से कलेटा फट रहा है. इसके बाद उम्मीद लीची से होने वाली आमदनी पर टिकी. लीची व आम से किसान कुछ आमदनी की उम्मीद में थे. लेकिन लीची में कीड़े व फंगस ने उम्मीदों को चट कर दिया. अब कोई उम्मीद नहीं बची है. अंतिम आस भी समाप्त हो गया. बैंक का भारी कर्ज है. अन्य लोगों का भी बकाया है. अब कहां जाये? अधिकारी बोल रहे हैं लीची की बरबादी प्राकृतिक आपदा की श्रेणी में नहीं है.

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