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साफ-सफाई सहजानंद कॉलोनी से सीखो
मुजफ्फरपुर: भगवानपुर स्थित सहजानंद कॉलोनी ऐसे मोहल्लों के लिए नजीर पेश कर रहा है, जो सफाई व स्ट्रीट लाइट की व्यवस्था नहीं होने के लिए प्रशासन को कोसते हैं. मोहल्ले के लोगों के प्रयास से ये अब आदर्श मोहल्ला बन गया है. यहां सफाई व स्ट्रीट लाइट की व्यवस्था शहर के अन्य मोहल्लों के लिए […]
मुजफ्फरपुर: भगवानपुर स्थित सहजानंद कॉलोनी ऐसे मोहल्लों के लिए नजीर पेश कर रहा है, जो सफाई व स्ट्रीट लाइट की व्यवस्था नहीं होने के लिए प्रशासन को कोसते हैं. मोहल्ले के लोगों के प्रयास से ये अब आदर्श मोहल्ला बन गया है. यहां सफाई व स्ट्रीट लाइट की व्यवस्था शहर के अन्य मोहल्लों के लिए सबक है.
सहजानंद कॉलोनी को आदर्श बनाने के पीछे मोहल्ले के लोगों की मेहनत है. यहां का हर व्यक्ति इस व्यवस्था को कायम रखने में एक-दूसरे का सहयोग कर रहा है. इसके लिए लोगों ने सहजानंद कॉलोनी विकास समिति का गठन कर पिछले महीने सफाई का काम शुरू किया था.
एक महीने में सफाई, कूड़ा उठाव की व्यवस्था के साथ कॉलोनी की विभिन्न गलियों में 20 स्ट्रीट लाइट लगायी गयी.
शुरू में जमा हुए एक लाख. मोहल्ले के सुधांशु कुमार कहते हैं कि हम लोगों ने शुरुआत में आपसी सहयोग से करीब एक लाख रुपये जमा किये. उस राशि से वेपर लाइट लगाया गया. इसके बाद बैठक कर प्रत्येक घर से 150 रुपये महीना लेने पर सहमति बनी. सभी लोगों ने इसका समर्थन किया. पिछले एक महीने से यह काम निरंतर चल रहा है.
चाह से निकली राह. सहजानंद कॉलोनी में जिस तरह से साफ-सफाई व अन्य व्यवस्थाएं हो रही है. उसी तरह की व्यवस्था अन्य कॉलोनियों में भी हो सकती है. बस इसके लिए केवल इच्छा शक्ति की जरूरत है. काम अपने आप शुरू हो जायेगा.
समिति खोलेगी वाचनालय
समिति कोष में राशि जमा होने के बाद मोहल्ले में एक वाचनालय की स्थापना करेगी. इसमें बुजुर्गो, महिलाओं व बच्चों के लिए अखबार व पत्रिकाएं होंगी. फुर्सत के समय लोग इस वाचनालय का लाभ उठायेंगे.समिति के सदस्य बताते हैं कि इसके लिए मोहल्ले में ही किसी का कमरा किराया पर लिया जायेगा.
ह्वाट्सएप पर ग्रुप बनाया
कार्यो के संचालन के लिए समिति के सदस्यों ने ह्वाट्सएप पर ग्रुप बनाया है. इसमें कॉलोनी के अधिकतर सदस्य शामिल हैं. कॉलोनी के किसी भी व्यक्ति को सफाई से संबंधित कोई समस्या आती है तो व्हट्सएप पर डालता है. इसके बाद त्वरित ही उसकी समस्याओं का निष्पादन किया जाता है.
ऐसे चलती है समिति
कॉलोनी में 150 घर हैं, जिनसे हर माह समिति की ओर से 150 रुपये रखरखाव के नाम पर लिये जाते हैं. यह राशि बैठक में प्रस्ताव लाकर तय की गयी. लोगों से हर माह 22 हजार पांच सौ रुपये मिलते हैं. इसी से साफ-सफाई से लेकर कूड़ा उठाव पर आनेवाला खर्च किया जाता है, जो रुपया बचता है, वो समिति की कोस में जमा रहता है, जिससे कॉलोनी के अन्य जरूरी सामूहिक कामों को कराया जाता है.
सफाई कर्मियों को वेतन
कॉलोनी में सफाई के लिए समिति ने पांच मजदूर नियुक्त रखे हैं. इसमें तीन ठेला चालक व दो कूड़ा उठाने वाले हैं. पांचों मजदूरों को वेतन के मद में समिति प्रत्येक महीने 20 हजार रुपये दे रही है. मजदूरों का काम कॉलोनी की गलियों से रोज कूड़े का उठाव करना व गली को साफ करना है. साथ ही उठाये गये कूड़े को डंपिंग प्लेस पर ले जाना. गली के लोगों की जिम्मेवारी है कि वे अपनी गली में कूड़े का उठाव के साथ सफाई कराएं. सफाई नहीं होने पर इसके लिए वे दोषी समझे जायेंगे.
स्वच्छता अभियान से मिली प्रेरणा
कॉलोनी में सफाई अभियान चलाये जाने की प्रेरणा यहां के लोगों को प्रधानमंत्री के स्वच्छता अभियान से मिली. पहले लोग कूड़ा उठाव नहीं होने व सड़कों पर लाइट की व्यवस्था नहीं होने से परेशान थे. यहां के निवासी कैप्टन घनश्याम व राकेश कुमार सिंह ने बातचीत कर समिति बना कर स्वच्छता अभियान शुरू करने की पहल की. कॉलोनी के लोगों ने इनका साथ दिया. धीरे-धीरे कई लोग समिति से जुड़ गये. शुरुआती दौर में लोगों ने अपने सामथ्र्य के मुताबिक सहयोग राशि दी. उसके बाद से समिति बना कर साफ-सफाई व अन्य काम शुरू किये गये.
हर गली से एक सदस्य
कॉलोनी की सभी गलियों के एक-एक प्रतिनिधि समिति में शामिल हैं. इनमें राकेश कुमार सिंह, कैप्टन घनश्याम, पंकज कुमार सिंह, मुकुंद शर्मा, सुधांशु शेखर, राजेश कुमार राजू, उदय कुमार, मनोज झा, श्याम कुमार सिंह, राकेश कुमार व जीतेंद्र कुमार सिंह शामिल हैं.
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