मुजफ्फरपुर: नवादा सांसद प्रो. भोला सिंह ने कहा कि आज शिक्षक अपनी भूमिका में नहीं हैं. शिक्षक आज सरकार के कार्यकर्ता की भूमिका अदा कर रहे हैं. शैक्षणिक कार्य शिक्षकों की प्राथमिकता से गायब कर दी गई है. सरकार की योजनाओं का संचालन में शिक्षकों की अधिक भूमिका है. प्रो सिंह सोमवार नॉर्थ बिहार चैंबर ऑफ कॉमर्स सभागार में वर्तमान शैक्षणिक व्यवस्था व शिक्षकों की स्थिति विषय पर मथुरा कृष्ण फाउंडेशन फॉर सोशियो इकोनॉमिक डेवलपमेंट एंड रिसर्च मेकर संस्था की ओर से आयोजित संगोष्ठी में संबोधित कर रहे थे. प्रो. सिंह व पूर्व मंत्री हिंद केसरी यादव ने कार्यक्रम का उद्घाटन किया.
प्रो. सिंह ने कहा कि ज्ञान का सागर व विज्ञान की आकृति समाप्त हो रही है. पूर्वजों के संस्कार से हमें दूर कराया जा रहा है. वर्तमान शिक्षा ने रिश्ते के बंधनों को समाप्त कर दिया है. शिक्षा बाजार की वस्तु बन गई है. शिक्षा राजनीति की गुलाम हो रही है. शिक्षा में व्यापक सुधार की जरूरत है. मुख्य अतिथि पूर्व मंत्री हिंद केसरी यादव ने कहा कि अंगरेजी तो हमारी सभ्यता व संस्कृति को समाप्त कर रही है. बिहार में शिक्षा का धड़ल्ले से निजीकरण हुआ है. टोला मुहल्ला में दारू का अड्डा खुल गया है. इससे सामाजिक समरसता समाप्त हो रही है. सरकार वेतन देने के बजाय शिक्षकों पर लाठियां चलवा रही है.
सरकार संवेदनहीन हो गई है. शिक्षण व्यवस्था समाप्त हो रही है. लड़कियां कॉलेज व स्कूलों में सुरक्षित नहीं है. शिक्षा विद् नारायण सिंह ने कहा कि लॉर्ड मैकाले की शिक्षा पद्धति भारतीय शैक्षणिक व्यव्था को समाप्त कर देगी. शिक्षकों का वेतन बंद कर देना अंगरेजी हुकूमत की याद करा रहा है. सुनील कुमार, सुबोध कुमार, गायत्री पटेल, प्रो. अजय कुमार, प्रो. वंदना विजय लक्ष्मी, डॉ फूलगेन पूर्वे ने अपने विचार रखे.