मुजफ्फरपुर: बीआरए बिहार विवि ने अब आरटीआइ के तहत जवाब देने में गड़बड़ी किया है. लोक सूचना के अधिकार के तहत पूछे गये सवाल के दो अधिकारियों ने दो जवाब दिये हैं. इससे विवि की ओर से आरटीआइ के तहत दिये जा रहे जवाब सवालों के घेरे में आ गये हैं. मामला शिक्षकों की नियुक्ति से जुड़ा है.
सामाजिक कार्यकर्ता महंथ राजीव रंजन दास ने गत 04 मार्च को लोक सूचना के अधिकार के तहत कुलसचिव कार्यालय से विवि में वर्ष 2010 के बाद नियुक्त शिक्षकों की सूची मांगी थी. इसके जवाब में तत्कालीन कुलसचिव डॉ एपी मिश्र ने 21 मई को उन्हें पत्र लिख कर उक्त पीरियड में विवि में एक भी शिक्षक की नियुक्ति या नियोजन नहीं होने की बात कही.
महंथ राजीव रंजन दास ने उनके इस जवाब पर सवाल उठाते हुए इसके खिलाफ विवि लोक सूचना प्राधिकार में गये. वहां सुनवाई के बाद 29 अगस्त को लोक सूचना पदाधिकारी डॉ रघुनंदन प्रसाद ने उन्हें दुबारा जवाब उपलब्ध कराया. इसमें उन्होंने वर्ष 2010 के बाद विवि में छह शिक्षकों की नियुक्ति दर्शायी गयी. इसमें डॉ लक्ष्मी रानी (मनोविज्ञान), डॉ किरण उपाध्याय (गृहविज्ञान), डॉ पूनम शर्मा (गृह विज्ञान), डॉ उमेश प्रसाद सिंह (राजनीति विज्ञान) व डॉ नवल किशोर शर्मा (गणितशास्त्र) शामिल हैं.
इस पत्र में इनकी नियुक्ति वर्ष 2003 में नियुक्त पैनल के आधार पर उच्च न्यायालय के आदेश पर किये जाने की बात कही गयी, जिसकी प्रति संलग्न होने की बात अंकित थी. पर श्री दास के अनुसार जवाब के साथ उन्हें न्यायालय के आदेश की कोई प्रति विवि की ओर से उपलब्ध नहीं करायी गयी. ऐसे में उनके सवालों का यह पूर्ण जवाब नहीं है. उन्होंने इस संबंध में सोमवार को लोक सूचना पदाधिकारी को पत्र लिख कर अपनी शिकायत दर्ज करायी है.