13.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

अब कभी परदेस नहीं जायेगा अहियापुर का रामदास

मुजफ्फरपुर: दो साल पहले पाकिस्तान की जेल से रिहा होकर आये रामदास की मानसिक स्थिति अभी भी ठीक नहीं हुई है, लेकिन उसने एक चीज तय कर ली है कि वह अब कमाने के लिए कभी परदेस नहीं जायेगा. अपने घर में ही जो रूखा-सूखा मिलेगा, उससे से काम चला लेगा. उसका लगातार इलाज चल […]

मुजफ्फरपुर: दो साल पहले पाकिस्तान की जेल से रिहा होकर आये रामदास की मानसिक स्थिति अभी भी ठीक नहीं हुई है, लेकिन उसने एक चीज तय कर ली है कि वह अब कमाने के लिए कभी परदेस नहीं जायेगा. अपने घर में ही जो रूखा-सूखा मिलेगा, उससे से काम चला लेगा. उसका लगातार इलाज चल रहा है. पूसा रोड के डॉक्टर देख रहे हैं.
रामदास ने अब मेहनत-मजदूरी शुरू कर दी है, लेकिन घरवाले चिंतित रहते हैं, क्योंकि रहते-रहते वो अजीब सी बातें करने लगता है. बेटे के जीवन-यापन को मुआवजा मिले, इसके लिए पिता बिजली सहनी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी, लेकिन अभी फैसला नहीं हुआ है. डीएम के यहां भी अरजी दी, लेकिन सुनवाई नहीं हुई.
अहियापुर थाना क्षेत्र के सोनियापुर (मिठनसराय) निवासी बिजली सहनी का पुत्र रामदास सहनी 30 सितंबर, 2010 को घर से लापता हो गया. घर वाले उसकी खोजबीन करने के बाद थक गये. 2012 में जब अखबारों में खबर छपी, तब घरवालों को पता चला कि रामदास पाकिस्तान के कोट लखपत जेल में कैद है. उसके बाद घर वाले उससे मिलने के लिए छटपटाने लगे.
तत्कालीन वैशाली सांसद डॉ रघुवंश प्रसाद सिंह ने मार्च 2013 में लोकसभा में सवाल उठाया, तब सरकार रामदास की रिहाई को लेकर गंभीर हुई. तत्कालीन विदेश मंत्री एसएम कृष्णा ने मामले का सत्यापन कराने के बाद उसकी रिहाई की प्रक्रिया शुरू करायी. तकरीबन चार महीने की लंबी प्रक्रिया के बाद रामदास जेल से रिहा हुआ. उसे कुछ दिनों के लिए अमृतसर के रेडक्रॉस सोसाइटी अस्पताल में भरती करा दिया गया.
डीएम की पहल पर दंडाधिकारी के साथ बिजली सहनी अमृतसर गये, जहां से रामदास को साथ लेकर 25 अगस्त, 2013 को घर लौटे. रामदास की आंखों में जेल का खौफनाक मंजर कई महीने तक उसे सताता रहा. इलाज के करीब छह महीने बाद वह सहज हुआ. रामदास पुराने दिनों को याद कर अब भी ङोंप जाता है. वह सिर्फ इतना ही कहता है कि अब कभी परदेस कमाने नहीं जायेंगे. उसकी मां सुशीला देवी कहती है कि गरीब आदमी हैं. बेटा के इलाज में बहुत खर्च हुआ.

कोई मदद करने वाला नहीं है. रामदास की पत्नी सकीला देवी कहती हैं कि अब ठीक रहलथीन. बाकी कहियो-कहियो दोसरे करे लागलथिन. रामदास के पिता बिजली सहनी कहते हैं कि उसकी मानसिक स्थिति लगातार इलाज कराने के बावजूद अब भी पूरी तरह ठीक नहीं है. पूरा परिवार चिंतित रहता है कि उसका खर्च कैसे चलेगा. इसके लिए सुप्रीम कोर्ट में एक साल पहले अपील किये थे, कब तक कोई फैसला नहीं आया है. डीएम से भी अपील किये थे, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई.

जन्मी बेटी, नाम रखा रत्नम
रामदास के घर में साल भर पहले बेटी ने जन्म लिया, तो घर वालों ने उसका नाम नंदिनी रखा, लेकिन रामदास ने उसका नाम रत्नम रखा है. वो बेटी को प्यार करता है. पत्नी सकीला देवी कहती है कि जब पाकिस्तान से लौट कर आये, तब वहां मिली यातनाओं की वजह से बोल तक नहीं पाते थे, तब से अब में काफी सुधार हुआ है.
प्रभात खबर की पहल पर मिली थी मदद
जब रामदास पाकिस्तान से लौटा था, तब प्रभात खबर की ओर से उसके मदद की अपील की गयी थी, तो शहर के कई लोगों मदद के लिए आगे आये थे. नकद रुपयो से लेकर कपड़े तक उसे मदद के रूप में मिले थे. इसमें शहर के प्रमुख व्यवसायी ने विशेष सहयोग किया था.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें