मुजफ्फरपुर: एक्यूट इंसेफ्लाइटिस सिंड्रोम के इलाज व जांच के तरीकों के लिए बुधवार को केजरीवाल मातृसदन के डॉक्टरों व पारा मेडिकल स्टाफ को प्रशिक्षण दिया गया. दिल्ली से आयी नॉन कम्युनिकेबल डिजीज कंट्रोल टीम के विशेषज्ञों ने इलाज के प्रोटोकॉल से अवगत कराया. इससे पूर्व केजरीवाल अस्पताल के शिशु रोग विभागाध्यक्ष डॉ राजीव कुमार ने स्वागत भाषण कर विशेषज्ञों से परिचित कराया. उन्होंने कहा कि यह एक बेहतर संयोग है. प्रोटोकॉल के तहत इलाज व जांच होने से बीमारी की रोकथाम की जा सकती है. साथ ही बीमारी की पहचान के लिए हो रहे अध्ययन में भी सुविधा होगी.
विशेषज्ञों ने डॉक्टरों को पल्स, ब्लडप्रेशर, श्वसन गति, हृदय गति, पीड़ित की लंबाई, वजन, फीवर सहित कई फिजिकल जांच को निश्चित फॉर्मेट में लिखने की सलाह दी. विशेषज्ञों ने क्लीनिकल जांच के लिए भी सैंपल लेने व उसे संग्रहित करने का तरीका बताया.
डॉ आरबी थापर कहते हैं कि अभी कुछ कहना मुश्किल है कि बीमारी क्या है, इसके वायरस कौन हैं. लेकिन इतना तय है कि ये वायरस जनित रोग है. पिछले वर्ष यहां से पीड़ित बच्चों का सीएसएफ एनसीडीसी गया था. लेकिन वहां जांच में कोई वायरस नहीं मिला. इसका कारण जलवायु के अनुसार वायरस का स्वरूप बदलना भी हो सकता है. बिहार में कालाजार का प्रभाव भी है. इसका एजेंट बालू मक्खी है. संभव है कि कालाजार से भी बीमारी का कोई संबंध हो. इसलिए हमलोग सभी पहलुओं पर व्यापक जांच कर रहे हैं. जिसमें जलवायु का अध्ययन भी शामिल है.
सालती है बच्चों की मौत
डॉ थापर कहते हैं कि पिछले साल भी वे आये थे, लेकिन बीमारी की पहचान नहीं हो पायी. इस बीच दर्जनों बच्चे ने दम तोड़ा. इस बात से बहुत पीड़ा होती है. लगता है कि इतना सारा अध्ययन सब बेकार है. आखिर इतने रिसर्च का कुछ तो नतीजा निकलना चाहिए. हमने बीमारी की पहचान के लिए काफी मेहनत की है. इस बार इसी विश्वास के साथ आये हैं कि कामयाबी मिलेगी. हर संभव कोशिश कर रहे हैं कि दो महीनों में पहचान कर ली जाय.
मेडिकल कॉलेज में खुलेगा पीएमआर डिवीजन
एइएस बीमारी के प्रकोप को देखते हुए भारत सरकार ने मेडिकल कॉलेज में पीएमआर डिवीजन खोलने की स्वीकृति दी है. इसके लिए फंड भी राज्य सरकार को भेज दिया गया है. इसके खुल जाने से यहां बीमारी के इलाज सहित बच्चों के पुनर्वास की सुविधा भी मिलेगी. केंद्र ने एइएस प्रभावित राज्यों में विशेष अभियान चलाने के लिए पांच राज्य चुने हैं.
इनमें बिहार भी एक है. यहां मुजफ्फरपुर सहित 14 जिलों को इस विशेष सुविधा के लिए रखा गया है. इन जिलों में शुद्ध पेयजल, शौचालय की व्यवस्था व सफाई प्राथमिकता में है. पिछले दिनों यह निर्णय केंद्र के स्वास्थ्य सहित पांच मंत्रालयों की संयुक्त बैठक में लिया गया था. डॉ आरबी थापर ने कहा कि इसके लिए पटना में स्वास्थ्य विभाग की बैठक होगी. इसमें कार्यरूप बनाया जायेगा.