मुजफ्फरपुर: सोमवार को दिन में 12.35 मिनट तक सब कुछ सामान्य चल रहा था. अन्य दिनों की तरह लोग अपने रोजमर्रा के कामों में व्यवस्त थे. अप्रैल में आये भूकंप को भूल चुके थे. जिंदगी फिर से पटरी पर आ चुकी थी, लेकिन इसके अलगे ही मिनट जैसे ही घड़ी में 12.36 बजे धरती हिलने लगी, जो जहां था, वहीं से सुरक्षित स्थानों की ओर भागने लगा. धरती के सहारे खड़ी सभी सजीव व निर्जीव चीजें हिलने लगीं.
तालाबों का पानी ऊपर की ओर हिलोरें मारने लगा. सुबह हुई बारिश के चलते सड़कों पर जो पानी था, वो बाहर की ओर भागने लगा, जलजला कह कर लोग भाग रहे थे, तभी भयंकर झटका आया, तो लगा कि अब सब कुछ थम जायेगा. बिल्डिंगें गिर जायेंगी, लेकिन ये झटका केवल दो बार आया और इसके बाद चीजें शांत होने लगीं. लोग खुद को नार्मल करने की कोशिश करने लगे. भूकंप की भयावहता की बात हो ही रही थी कि फिर एक और झटका आ गया.
पहला भूकंप आये लगभग तीस मिनट हो चुके थे, लेकिन लोग सामान्य नहीं हो सके थे. मिठनपुरा रोड के रहनेवाले एक व्यक्ति के मुह से अचानक निकल पड़ा, पता नहीं भगवान क्या करनेवाले हैं? इसके बाद झटके पर झटके आने शुरू हो गये. फोन लगने बंद हो गये. लोग टीवी के सहारे भूकंप की भयावहता के बारे में जानना चाह रहे थे.
स्मार्ट फोन वाले फेसबुक, ट्विटर जैसी सोशल साइट्स पर सक्रिय हो गये. भूकंप का हाल जानने के लिए, पता चला फिर केंद्र नेपाल के इलाके में है. भूकंप ने केवल नेपाल व भारत को ही नहीं हिलाया है. इस बार चीन में भी भूकंप की भयावहता महसूस की गयी. पड़ोसी पाकिस्तान व अफगानिस्तान भी इसकी चपेट में आये हैं. लोग आपस में इस पर चर्चा कर ही रहे थे कि फिर से भूकंप का झटका आ गया. हालांकि पिछले झटकों का सबक इस बार काम आया. लोग ज्यादा परेशान नहीं हुये, न ही अफवाहों का दौर चला कि चांद उल्टा निकला है या फिर रिक्टर स्केल पर 32 की तीव्रतावाला भूकंप आयेगा, लेकिन लोगों के बीच इस बात के बारे में जानने की उत्सुकता जरूर थी कि आखिर आगे क्या होनेवाला है.
भूकंप के डर से बाजार के साथ ऑफिस आदि बंद हो गये. अस्पतालों से मरीज भाग कर खुले में आ गये. बैंकों का कारोबार प्रभावित हो गया. तमाम बैठकें रद्द हो गयीं. लोगों की दिनचर्या बदल गयी, लेकिन इस बार लोग रात के समय घरों पर ही रहे. एलएस कॉलेज, बीबी कॉलिजिएट, मारवाड़ी स्कूल जैसे सार्वजनिक स्थलों पर लोगों की भीड़ नहीं दिखी. डीएन हाइस्कूल व एमएसकेबी में कुछ लोग रात बिताने के लिए जरूर पहुंचे. यहां डीएम अनुपम कुमार भी लोगों का हाल जानने के लिए पहुंच गये.
क्या रात में भी कोई आशंका है क्या?
देर रात साहित्यकार डॉ नंद किशोर नंदन ने फोन किया. कहने लगे, क्या रात में भूकंप आने की कोई आशंका है, जब उनसे कहा गया कि भूकंप के बारे में कोई भविष्यवाणी नहीं कर सकता है, तो कहने लगे कि इस बार कुछ ज्यादा ही हो रहा है. इस वजह से आशंका बनी हुई है. बैंक मैनेजर पद से सेवानिवृत्त एचएल गुप्ता भी कहने लगे कि प्रभु पता नहीं क्या करना चाहते हैं, लेकिन सोना तो है ही. अब प्रभु का नाम लेकर सोने जा रहा हूं. वैसे आगे के बारे में क्या कोई जानकारी है.
टूट कर गिरा झूमर का हिस्सा
जिस समय भूकंप आया, 6वीं मंजिल पर रहनेवाले भूषण झा के घर का सामान तितर-बितर हो गया. ड्राइंग रूम से लेकर किचन तक का सामान बिखर गया. इस दौरान घर में लगी झूमर का कुछ हिस्सा टूट कर गिर गया. इसके अलावा शो केश में फोटो व अन्य सामान रखा था, वो भी टूट कर बिखर गया.
झटका लगा बंद हो गयी लिफ्ट
भूकंप के झटके से यूबी टावर में लिफ्ट बंद हो गयी. उसके खीचनेवाली जंजीर अपने धुरी से उतर गयी. इस वजह से भूकंप के बाद भी लिफ्ट नहीं चली. टावर के मालिक भूषण झा ने बताया कि लिफ्ट बनाने में एक दिन का समय लगेगा.
घर के बाहर लगाया टेंट
शहर ही नहीं गावों में भूकंप को लेकर भारी दहशत देखी गयी. सेवानिवृत्त शिक्षक ब्रह्मानंद ठाकुर बंदरा इलाके के पियर गांव में रहते हैं. भूकंप आते ही शहर में लोगों को फोन लगाने लगे. सबसे एक ही सवाल, आप भूकंप के समय कहां थे. साथ ही पिछले भूकंप से आज का भूकंप ज्यादा भयावह था या कम. ग्रामीणों इलाकों में लोगों ने घरों के बाहर टेंट लगा लिया. उसी में रात गुजारी. इनका कहना था कि जिस तरह से भगवान परीक्षा ले रहे हैं. उसमें रात के समय घर में सोना खतरे से खाली नहीं है.
मन में बना हुआ है भय
चिकित्सक डॉ निशींद्र किंजल्क ने कहा, अब लगातार एक भय बना हुआ है. पिछले बार और इस बार के भूकंप में बड़ा अंतर था. पिछली बार सोचने का मौका मिला था, लेकिन इस बार अचानक हिला दिया. हम पूजा करके उठ रहे थे, तभी हिलने लगा. हम घर के बाहर कैंपस में आ गये. कुछ साथी आये हुये थे. सबके मन में इस बात दहशत थी. मुङो भी कुछ दहशत लग रही है.