मुजफ्फरपुर: राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री सह पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ जगन्नाथ मिश्र ने नेपाल में भूकंप से आयी त्रसदी से निपटने में भारत सरकार की सहायता की जम कर तारीफ करते हुए कहा कि पीएम नरेंद्र मोदी ने बता दिया है कि नेपाल का दर्द भारत का दर्द है.
उन्होंने कहा कि भूकंप आने के बाद प्रधानमंत्री ने बिना समय गंवाये जिस तत्परता के साथ नेपाल में सेना उतार कर राहत कार्य चलाया, इससे विश्व के राष्ट्राध्यक्ष को सीख लेनी चाहिए. प्रधानमंत्री ने ईमानदार व सच्चे पड़ोसी की जिम्मेदारी को बखूबी निभाया. इसका संदेश पूरे विश्व के देश में गया है. वे शनिवार को सर्किट हाउस में संवाददासता सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे. पूर्व सीएम ने सार्क देशों से सहायता की अपील करते हुए कहा कि नेपाल मुसीबत है. 80 लाख से अधिक लोग तबाह हुए है. नेपाल के लोगों को भूखमरी से बचाने की जरुरत है. इसके लिए सार्क सुरक्षित खाधान्न भंडार का आनाज अविलंब भेजा जाना चाहिए.
श्री मिश्र ने कहा कि भूकंप से नेपाल में 20 खरब से अधिक का नुकसान हुआ है. किसी एक दो देश के सहायता से इसका भरपाई नहीं किया जा सकता है. ऐतिहासिक देश को फिर से संवारने के लिए सार्क के देश को आगे आना होगा. उन्होंने कहा कि पर्यटन नेपाल के अर्थव्यवस्था का रीढ़ था, लेकिन आज सब कुछ खत्म हो गया है. नेपाल में 53 प्रतिशत सेवा उद्योग में सबसे बड़ा हिस्सा पर्यटन का है.
हताशा में बना महा गंठबंधन
पूर्व सीएम ने बिहार में राजनैतिक अस्थिरता की चर्चा करते हुए कहा कि लालू व नीतीश कुमार लोकसभा चुनाव में मिली करारी हार से हताश होकर एकजुट हुए, लेकिन जनता इसे अगले विधानसभा चुनाव में पूरी तरह से नकार देगी. नीतीश कुमार को समझना चाहिए कि बिहार के जनता ने उनको(नीतीश ) को नहीं, बल्कि एनडीए गंठबंधन को वोट दिया था. भाजपा से अलग होना नीतीश कुमार के लिए घातक साबित हुआ. उन्होंने कहा कि किसी दल व नेता को जनतंत्र के मत के खिलाफ काम नहीं करना चाहिए. इसका परिणाम बहुत खराब होता है. पूर्व सीएम जीतन राम मांझी को पद से हटाने के सवाल पर श्री मिश्र ने कहा कि मांझी बिहार के राजनीति के बड़ा फैक्टर बन गये. दलित व गरीब के लोग इनके साथ है. मांझी को सीएम पद से हटाना दलित वर्ग के लोगों को दिल में चुभ गया है.