डॉक्टरों का कहना है कि ऐसी ही बीमारियों के मरीज 80 फीसदी है. सफाई व शुद्ध पेय जल की व्यवस्था नहीं होने के कारण लोग कॉमन बीमारियों के शिकार हो हो हैं. ये बीमारियां नहीं हो तो दवाओं का कारोबार भी 20 फीसदी रह जायेगा. व्यवसाय के दृष्टिकोण से देखा जाये तो जिले की वर्तमान स्थिति चिकित्सा पेशे से जुड़े लोगों के लिए मुनाफे का सौदा है. डॉक्टर मरीजों को परामर्श देते हैं कि गंदगी से बचना है, लेकिन उन्हें भी पता है कि जब तक व्यवस्था में सुधार नहीं होगा, मरीजों की संख्या कम नहीं होगी.
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वायरल बीमारियों पर सबसे अधिक खर्च करते हैं लोग
मुजफ्फरपुर: जिले के लोग अपनी मेहनत की कमाई कॉमन बीमारियों में खर्च करते हैं, जिसकी वजह गंदगी जनित बीमारियां है. जिले में सरदी, खांसी बुखार कॉमन बीमारी है. एक सप्ताह से अधिक रहने वाला बुखार टाइफाइड बन जाता है. इसके अलावा डायरिया, जांडिस व रेसपेरेटरी इंफेक्शन (सांस की बीमारी) से भी लोग अधिक ग्रस्त हो […]
मुजफ्फरपुर: जिले के लोग अपनी मेहनत की कमाई कॉमन बीमारियों में खर्च करते हैं, जिसकी वजह गंदगी जनित बीमारियां है. जिले में सरदी, खांसी बुखार कॉमन बीमारी है. एक सप्ताह से अधिक रहने वाला बुखार टाइफाइड बन जाता है. इसके अलावा डायरिया, जांडिस व रेसपेरेटरी इंफेक्शन (सांस की बीमारी) से भी लोग अधिक ग्रस्त हो रहे हैं. गंदगी के कारण मलेरिया का प्रकोप भी जिले में सबसे ज्यादा है.
एक महीने में 20 हजार खर्च
गंदगी जनित बीमारियों का कहर ङोल रहे दूरदर्शन केंद्र के कर्मचारी व जेल रोड निवासी चंद्रशेखर प्रसाद सिंह कहते हैं कि बीमारियों के कारण एक महीने में 20 हजार खर्च हो गये. पहले बेटी अंजलि शेखर बीमार पड़ीं. शहर के तीन डॉक्टरों को दिखाया. कई तरह की जांच हुई. डॉक्टर के परामर्श के अनुसार दवा चली. एक महीने बाद अब उसकी स्थिति में सुधार हो रहा है. डॉक्टर का कहना था कि गंदगी के कारण बीमारियां हो रही है. श्री सिंह कहते हैं कि उनके घर के पीछे गंदगी का अंबार लगा है. नगर निगम में कई बार आवेदन दिया. लेकिन साफ नहीं हुआ. जिसकी वजह से बीमारियों का प्रसार हो रहा है.
बिना जरू रत भी लोग खा रहे दवाएं
डॉक्टर बताते हैं कि सरदी, खांसी, बुखार का कारण वायरस भी होता है. जरू री नहीं कि बैक्टीरियल इंफेक्शन के कारण यह बीमारी हो, लेकिन इन बीमारियों में भी एंटीबायोटिक दवा दी जाती है. इससे मरीजों पर बेवजह दवाओं का खर्च बढ़ता ही है, उनकी प्रतिरोधक क्षमता भी कम होती है. जबकि इन दवाओं से उन्हें कोई फायदा नहीं होता. जब तक जांच में यह पता नहीं चले कि मरीज की बीमारी का कारण बैक्टीरिया है, उसे एंटीबायोटिक दवाओं का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए. गांवों में क्वैक व शहर के कुछ डॉक्टर एंटीबायोटिक दवाओं के कारोबार में प्रमुख भूमिका निभा रहे हैं. वे बिना जरू रत मरीजों को ऐसी दवाएं लिखते हैं, इससे दवा कंपनियों से उन्हें सुविधा तो मिलती है, लेकिन मरीजों का नुकसान होता है.
बीमारियों का घर बनाने में हम सभी जिम्मेवार
जिले को बीमारियों का घर बनाने में हम सभी जिम्मेवार हैं, जिन पर जिले को साफ रखने की जिम्मेवारी है, उन्हें इससे कोई लेना देना नहीं है, लेकिन हम सभी भी अपने स्वास्थ्य के प्रति सचेत नहीं है. सफाई का संस्कार नहीं होने के कारण हम सभी रोज बीमारियों से ग्रसित होते हैं. हम अपने घरों के अलावा आस पास की जगहों की सफाई पर ध्यान नहीं देते. बीमारियां हमारे घरों में प्रवेश कर जाती है, हमें पता ही नहीं चलता इसका कारण हमारी आदतें हैं.
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