फोटो दीपक मुजफ्फरपुर. सर, मुझे वैशाली सुपर फास्ट ट्रेन में बैठा दीजिए हम अपने घर चले जायेंगे. हमारे माता पिता बहुत चिंतित होंगे अगर हम घर नहीं पहुंचे तो, सर मैं कहीं भी बैठ कर चली जाउंगी. मैरे पास टिकट के पैसे हैं मुझे जाने दीजिए. यह गुहार जीआरपी थाने में गाजियाबाद की 15 साल की आरती जीआरपी प्रभारी प्रमोद कुमार से लगा रही थी. वह इतनी घबरायी हुई थी कि उसे अपने घर का फोन नंबर तक याद नहीं आ रहा था. अंत में प्रभारी ने महिला हेल्प लाइन में फोन कर आरती को उसके हवाले कर दिया. थाने में बैठी आरती ने बताया कि वह गाजियाबाद से छपरा में अपनी सहेली रोमा के घर तीन मई को शादी में शामिल होने के लिये सहेली के साथ आयी थी. शादी समारोह में पांच मई को शामिल होने के बाद वह सात मई को गाजियाबाद के लिए निकली. लेकिन वह मुजफ्फरपुर आने वाली पैसेंजर 55022 में बैठ गयी और मुजफ्फरपुर जंकशन पहुंच गयी. जब यात्रियों से पूछा की कौन सा स्टेशन है और यह ट्रेन गाजियाबाद कब पहुंचेगी तो यात्रियों ने उसे गलत ट्रेन पकड़ने की बात कहीं. यात्रियों ने इसकी सूचना जीआरपी प्रभारी को दी. जीआरपी प्रभारी ने महिला सिपाही भेज की आरती को थाने बुला लिया. थाने में आरती से पूछताछ में उसने बताया कि उसके पिता का नाम जितेंद्र मांझी है. वह रहने वाली गोपालगंज की है. लेकिन उसका पूरा परिवार गाजियाबाद में रहता है. जीआरपी ने आरती के पास से एक बैग बरामद किया है. जिसमें ऋंगार के सामान थे और उसके पास एक हजार चार सौ रुपया था. उसके बैग में तीन मई का गाजियाबाद से समस्तीपुर की एक टिकट भी मिला है.
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आयी थी सहेली की शादी में पहुंची महिला हेल्प लाइन
फोटो दीपक मुजफ्फरपुर. सर, मुझे वैशाली सुपर फास्ट ट्रेन में बैठा दीजिए हम अपने घर चले जायेंगे. हमारे माता पिता बहुत चिंतित होंगे अगर हम घर नहीं पहुंचे तो, सर मैं कहीं भी बैठ कर चली जाउंगी. मैरे पास टिकट के पैसे हैं मुझे जाने दीजिए. यह गुहार जीआरपी थाने में गाजियाबाद की 15 साल […]
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