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खर्च 90 लाख, मरे नहीं सैंड फ्लाइ

मुजफ्फरपुर: कालाजार के वाहक सैंड फ्लाइ को मारने में स्वास्थ्य विभाग ने पिछले 60 दिनों में 90 लाख खर्च किये. लेकिन इतने खर्च के बावजूद मक्खी मरी नहीं. अब वह और आक्रामक होकर लोगों को शिकार बनी रही है. पिछले दस दिनों में कालाजार के बढ़े मरीज इसके उदाहरण हैं. बीमारी से बचाव के लिए […]

मुजफ्फरपुर: कालाजार के वाहक सैंड फ्लाइ को मारने में स्वास्थ्य विभाग ने पिछले 60 दिनों में 90 लाख खर्च किये. लेकिन इतने खर्च के बावजूद मक्खी मरी नहीं. अब वह और आक्रामक होकर लोगों को शिकार बनी रही है. पिछले दस दिनों में कालाजार के बढ़े मरीज इसके उदाहरण हैं. बीमारी से बचाव के लिए जिले में 25 फरवरी से 24 अप्रैल तक डीडीटी छिड़काव अभियान चलाया गया था. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रलय ने इसके लिए डीडीटी उपलब्ध कराया था. राज्य सरकार ने जिले को फंड दिया था.

उद्देश्य था कि घरों में डीडीटी का छिड़काव होने के बाद सैंड फ्लाइ समाप्त हो जायेगा. इससे कालाजार का प्रकोप रुकेगा. जिले में यह अभियान भी चला. बावजूद मरीजों की बढ़ी संख्या ने छिड़काव की कलई खोल दी है. बालू मक्खी भी पहले की तरह है व मरीज भी बढ़ रहे हैं.

दीवारों पर छह फुट तक करना था छिड़काव. कालाजार उन्मूलन के लिए प्रत्येक घर के दीवारों पर छह फुट तक छिड़काव करना था. माना जाता है कि सैंड फ्लाई इससे अधिक उड़ नहीं सकती. साथ ही वह इतनी छोटी होती है कि जल्दी दिखाई नहीं देती. प्रत्येक घर की दीवारों पर छिड़काव होने से सैंड फ्लाई मर जायेगी. इससे बीमारी में काफी हद तक कमी आयेगी. लेकिन छिड़काव ठीक तरह नहीं होने के कारण सैंड फ्लाई का सफाया नहीं हो सका. कई प्रखंडों के सभी गांवों में छिड़काव नहीं किया जा सका.
सप्ताह में आते थे दो से तीन मरीज. डीडीटी छिड़काव से पहले मरीजों की संख्या कम थी. मेडिकल कॉलेज, कालाजार रिसर्च सेंटर व सदर अस्पताल में प्रति सप्ताह बमुश्किल दो से तीन मरीजों में बीमारी की पुष्टि होती थी. लेकिन डीडीटी छिड़काव के बाद मरीजों की संख्या अचानक बढ़ गयी है. एक पखवारे में 17 मरीजों की पुष्टि हुई है. इसमें इस सप्ताह दस व पिछले सप्ताह के सात मरीज मिले हैं. इस तरह अब तक जिले में मरीजों की संख्या 297 तक पहुंच गयी है.

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