मुजफ्फरपुर:सीएम नीतीश कुमार के निर्देश पर भीम सिंह मामले की जांच काजी मोहम्मदपुर पुलिस ने फिर शुरू कर दी है. गुरुवार को वे एसएसपी के जनता दरबार में पहुंचे. एसएसपी के निर्देश पर विवि थानाध्यक्ष राम बालक यादव ने उनका बयान दर्ज किया. पुलिस को दिये बयान के बाद सूतापट्टी की शीतला गली निवासी ब्रजेश सिंह व सज्जन पोद्दार पर पुलिस का शिकंजा कस गया है. बताया जाता है कि इस मामले की पर्यवेक्षण रिपोर्ट भी जल्द ही जारी कर दी जायेगी. भीम सिंह का कहना था कि अभियुक्तों की ऊं ची पहुंच के कारण उसके साथ हुई घटना की दो वर्ष तक प्राथमिकी दर्ज नहीं हुई. तत्कालीन डीआइजी बीएस मीणा के हस्तक्षेप पर 21 सितंबर 2011 को तत्कालीन थानाध्यक्ष जितेंद्र कुमार सिंह ने प्राथमिकी दर्ज की थी. प्राथमिकी दर्ज होने के बाद भी दो वर्ष से यह मामला ठंडे बस्ते में पड़ा था. मूल रूप से राजस्थान के रहने वाले भीभ सिंह ने पुलिस की तरफ से कार्रवाई नहीं होता देख सीएम व डीजीपी से मिल कर गुहार लगायी थी.
यह था मामला
भीम सिंह 50 वर्ष से परिवार के साथ सर्किट हाउस के पास 93 डिसमिल जमीन के मध्य भाग पर बने एक पुराने मकान में रहते थे. उस जमीन के खतियानी रैयत कमल कुमार पोद्दार थे. भीम सिंह का कहना था कि उस जमीन का महदनामा कमल ने मेरे पक्ष में लिखा था. केवाला के लिए पैसे भी दिये गये. लेकिन बाद में कमल पोद्दार ने रजिस्ट्री करने से इनकार कर दिया. इस पर स्वत्व वाद संख्या 234/08 सब जज प्रथम के कोर्ट में दाखिल किया गया. यह मामला लंबित है. इसी बीच 28 जुलाई 2009 को दिन के 10 बजे सज्जन पोद्दार व ब्रजेश सिंह करीब 100 अज्ञात लोगों के साथ आये. हथियार के बल पर मोबाइल छीन कर पत्नी प्रेम कुंवर
व बेटी निरोजन कुंवर का अपहरण कर लिया. घर का सामान ट्रक पर लाद कर ले गये. उन्हें मालीघाट के एक मकान में बंधक बना कर रखा गया. वहां पर रिवाल्वर सटा कर सादे स्टांप पेपर पर 25 जुलाई 2009 की तिथि का दस्तखत करा लिया. यहीं नहीं, थाने जाने पर जान से मारने की धमकी दी गयी. बाद में बुलडोजर से तोड़ कर मकान को मैदान बना दिया गया.